ईश्वर साक्षात्कार कराने वाली योग साधना का केंद्र वैदिक साधन आश्रम तपोवन, देहरादून “तपोवन आश्रम का आगामी पांच दिवसीय शरदुत्सव एवं आश्रम के अन्य समाचार”

समीक्षा न्यूज
 -मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून।
आज हमें वैदिक साधन आश्रम तपोवन, देहरादून जाने का सुअवसर मिला। हमें आश्रम में कार्यालय सहायक श्री चन्दन सिंह जी तथा बहुत पुराने कर्मचारी श्री राममूर्ति जी के दर्शन हुए। सभी ने बहुत मधुर व्यवहार किया। श्री राममूर्ति जी से हमारा सन् 1972 से परिचय है। वह सन् 1965 से वहां सेवा कर रहे हैं। श्री राममूर्ति जी आर्यसमाज के सिद्धान्तों पर चलने वाले साधु स्वभाव के व्यक्ति हैं। वह अपने घर भी प्रतिदिन यज्ञ करते हैं। उनके बच्चे पढ़ लिख कर योग्य बन गये हैं। सभी बच्चों के विवाह सम्पन्न हो चुके हैं। आश्रम के सभी पुराने अधिकारी उनको आदर व सम्मान देते आये हैं। हमें उनका सान्निध्य अच्छा लगता है। जाने से पहले हमने उन्हें फोन किया था। उन्होंने बताया कि वह आश्रम में ही हैं। हम वहां पहुंचे तो उनके दर्शन हुए और अनेक विषयों पर उनसे चर्चा की। श्री राममूर्ति जी जैसा धार्मिक स्वभाव वाला, ज्ञानी, कर्मठ तथा संस्था का हित चाहने वाला कर्मचारी मिलना अत्यन्त कठिन व असम्भव ही है। कार्यालय सहायक श्री चन्दन सिंह जी युवक हैं और इनका व्यक्तित्व एवं व्यवहार भी अत्यन्त मधुर एवं सराहनीय है। आप कम्प्यूटर से जुड़े सभी कार्यों सहित कार्यालय के लिखा-पढ़ी के भी सभी कार्य देखते हैं। इस लेख के साथ उनका व श्री राममूर्ति जी का चित्र भी दे रहे हैं। 



हम आश्रम से लौटने को थे तो हमें सूचना मिली की आश्रम के यशस्वी मंत्री इंजीनियर श्री प्रेमप्रकाश शर्मा जी आश्रम में पहुंच चुके हैं। हमने शर्मा जी का स्वागत किया। हम दोनों मंत्रीजी के कार्यालय में बैठे और अनेक विषयों पर बातें हुईं। इससे पूर्व हमें यह भी ज्ञात हुआ कि आजकल आश्रम के धर्माधिकारी एवं आर्यजगत के विख्यात विद्वान आचार्य आशीष दर्शनाचार्य जी विदेश यात्रा पर हैं। आश्रम में पुरोहित पं0 सूरत राम जी हैं जो प्रातः सायं यज्ञ कराते हैं और प्रवचन करते हैं। पं0 सूरत राम जी आश्रम द्वारा संचालित एक जूनियर हाईस्कूल तपोवन विद्या निकेतन में भी यज्ञ कराते व बच्चों को नैतिक शिक्षा का अध्ययन कराते हैं। आश्रम में मैनेजर, माली सहित अनेक कर्मचारी हैं। सब अपना-अपना काम भली प्रकार से करते हैं। आश्रम 'आरोग्य धाम' नाम से एक चिकित्सालय भी चलाता है। आश्रम ने इस चिकित्सालय के लिए एक भव्य एवं विशाल आधुनिक भवन तैयार कराया है। अभी यह अपनी तीव्र गति पर नहीं आया है। इसे एलोपैथी, आयुर्वेदिक एवं होम्योपैथी पद्धति से चलाने के प्रयास चल रहे हैं। इसके लिये आश्रम के मंत्री श्री प्रेम प्रकाश शर्मा जी प्रयत्नशील है। आश्रम को भव्य रूप देने के लिये भी शर्मा जी एक के बाद एक नई योजनायें हाथ में लेते रहते हैं। शर्मा जी को ही आश्रम के प्रधान श्री दर्शनकुमार अग्निहोत्री जी की प्रेरणा से विगत दिनों आश्रम में निर्मित की गई भव्य एवं विशाल यज्ञशाला के निर्माण का श्रेय है। इससे पूर्व वह आश्रम की एक अन्य इकाई जो पर्वतों पर स्थित है, वहां भी बाउण्ड्री वाल, एक हाल तथा विशाल भव्य यज्ञशाला का निर्माण करा चुके हैं। मुख्य आश्रम में भी आपने भव्य चिकित्सालय तथा सभागार सहित कार्यालय के अनेक कक्ष तथा अतिथियों के लिये निवास बनवायें हैं। श्री प्रेमप्रकाश शर्मा जी व्यवसाय की दृष्टि से वरिष्ठ इंजीनियर रहे हैं। आपने उत्तराखण्ड सरकार के विद्युत विभाग में प्रदेश के मुख्य महाप्रबन्धक के पद पर कार्य किया है। आपको प्रशानिक अनुभव है। शायद इसी कारण आश्रम भवन आदि निर्माण कार्यों में विगत एक दो दशक से प्रगति पथ पर अग्रसर है। आश्रम की एक गोशाला भी है जहां एक दर्जन से अधिक गौंवे हैं। यह गोशाला भी व्यवस्थित रूप से संचालित हो रही है। शर्मा जी की सफलता का बड़ा कारण आश्रम के प्रधान श्री दर्शन कुमार अग्निहोत्री जी का उनको हर प्रकार का सहयोग करना है जिसमें आर्थिक सहयोग भी सम्मिलित है। स्वामी चित्तेश्वरानन्द सरस्वती तथा आचार्य आशीष दर्शनाचार्य जी का भी पूर्ण सहयोग उनको प्राप्त है। स्वामी चित्तेश्वरानन्द जी समय-समय पर वेद पारायण यज्ञों एवं स्वाध्याय-यज्ञ-साधना शिविरों का आयोजन करते रहते हैं। आचार्य आशीष जी आश्रम में युवकों के जीवन व चरित्र निर्माण के शिविर लगाते रहते हैं जिसके द्वारा बच्चों को वेद और आर्यसमाज की जीवन निर्माण सम्बन्धी मान्यताओं व सिद्धान्तों से भी परिचित कराया जाता है। 
आश्रम का आगामी शरदुत्सव अक्टूबर, 2019 माह में होगा। पांच दिवसीय यह उत्सव 16 अक्टूबर 2019 से 20 अक्टूबर, 2019 तक चलेगा। इस अवसर पर आयोजित वेद पारायण यज्ञ के ब्रह्मा के पद को स्वामी वेदानन्द सरस्वती, उत्तरकाशी सुशोभित करेंगे। विश्वविख्यात आर्य भजनोपदेशक पं0 सत्यपाल पथिक जी के भजन आगन्तुक सत्संग प्रेमी ऋषि भक्तों को सुनने को मिलेंगे। प्रवचन के लिये आर्यजगत के विख्यात एवं अनुभवी विद्वान पं0 उमेश चन्द्र कुलश्रेष्ठ जी पधार रहे हैं। यह बता दें कि श्री कुलश्रेष्ठ जी स्वयं को आर्य नाम से सम्बोधित कहलवाना पसन्द करते हैं। अपनी सेवानिवृति से पूर्व आप अध्यापन कार्य से जुड़े रहे हैं। श्री कुलश्रेष्ठ जी की प्रवचन शैली बहुत प्रभावशाली है। उनका एक-एक शब्द एवं वाक्य श्रोता के हृदय में प्रभाव उत्पन्न करता है। हमने भी अनेक बार उनके प्रवचनों को सुना है और उसे यथासम्भव पूरा व उसके महत्वपूर्ण अंशों को फेसबुक तथा व्हटशप आदि साधनों के द्वारा अपने मित्रों व पाठकों तक पहुंचाने का प्रयास किया है। श्री उमेश चन्द्र कुलश्रेष्ठ आर्य जी ऐसे दुलर्भ विद्वानों में से हैं जो दक्षिणा मिले न मिले, उसकी परवाह नहीं करते अपितु जहां आवश्यक देखते हैं, वहां प्रभूत धन दान भी करते हैं। आश्रम द्वारा संचालित स्कूल के अनेक निर्धन बच्चों को भी आप छात्रवृत्ति प्रदान करते हैं। आश्रम का यह स्कूल शिक्षा का उच्च स्तर बनायें हुए है जहां धनिक परिवारों के बच्चे भी पढ़ना चाहते हैं परन्तु आश्रम के साधन, स्कूल के कक्ष आदि सीमित होने के कारण, एक सीमा से अधिक बच्चों को प्रवेश नहीं दिये जा पाते। स्कूल का स्टाफ अत्यन्त सेवाभावी व समर्पण भाव से विद्यालय की प्रधानाचार्य श्रीमती उषा नेगी जी के दिशा-निर्देशों में काम करता है। जो लोग उत्सव में भाग लेने आश्रम आते हैं वह बच्चों की योग्यता को देखकर प्रसन्नचित्त होते हैं। 
यह भी बता दें कि यह आश्रम आर्यजगत के विख्यात विद्वान एवं संन्यासी महात्मा आनन्द स्वामी जी की प्रेरणा से अमृतसर के एक प्रमुख व्यवसायी बावा गुरमुख सिंह जी ने बहुत बड़ी धनराशि दान देकर स्थापित किया था। बावा गुरमुख सिंह एवं उनके परिवार ने दान के अनेक प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत किये हैं। हम समझते हैं कि वैदिक साधन आश्रम तपोवन एक प्रकार से बावा गुरमुख सिंह जी और महात्मा आनन्द स्वामी जी का स्मारक है। यह आर्यों की एक तीर्थनगरी है जहां वर्ष में दो बार अप्रैल तथा अक्टूबर माह में पांच-पांच दिवसीय ग्रीष्मोत्सव एवं शरदुत्सव आयोजित किये जाते हैं। इन उत्सवों में देश भर से ऋषि भक्त जनता भाग लेती है। आश्रम के प्रधान एवं मंत्री जी ने आगामी उत्सव में आर्यजगत के सभी दयानन्द भक्तों को आमंत्रित किया है। जो ऋषिभक्त यहां कभी नहीं आये हैं वह यहां आकर यज्ञ एवं सत्संग का लाभ ले सकते हैं। आश्रम का परिसर विस्तृत है और इसमें अनेक भवन आदि बने हुए हैं। अतः आश्रम का मासिक व वार्षिक व्यय भी बहुत है। कर्मचारियों के वेतन पर भी एक बड़ी धनराशि प्रत्येक माह व्यय होती है। मंत्री श्री प्रेमप्रकाश शर्मा जी चाहते हैं कि आर्यसमाज के धनी-मानी ऋषिभक्त आश्रम को अपनी पवित्र कमाई से निरन्तर दान आदि देकर सहयोग देते रहे जिससे आश्रम अपनी धर्म प्रचार व साधना शिविरों आदि की गतिविविधयों को भव्यता एवं सफलता से सम्पन्न करता रहे। हमारी निजी राय में आश्रम को श्री शर्मा जी जैसा समर्पित व अनुभवी व्यक्ति मिलना सम्भव नहीं लगता। उनका कोई योग्य उत्तराधिकारी दिखाई न देने के कारण भी हमें चिन्ता होती है। अतः आश्रम को चलाये रखना ऋषि भक्तों का कर्तव्य है। सम्पन्न ऋषिभक्त समय समय पर आनलाइन भी सहायता भेज सकते हैं। मंत्री जी का मोबाइल नं0 09412051586 है। आश्रम का बैंक खाता केनरा बैंक, क्लाक टावर ब्रांच, देहरादून में ''वैदिक साधन आश्रम” के नाम पर है। बैंक खाता संख्या 2162101001530 तथा आईएफएससी कोड CNRB0002162 है। किसी भी प्रकार की पूछताछ के लिये मंत्री जी के मोबाइल पर फोन कर सकते हैं। आश्रम की उन्नति सभी ऋषिभक्तों का सामूहिक दायित्व है। इसका हमें ध्यान रखना चाहिये। स्वामी चित्तेश्वरानन्द सरस्वती, आचार्य आशीष दर्शनाचर्य, प्रधान श्री दर्शन कुमार अग्निहोत्री जी तथा श्री प्रेमप्रकाश शर्मा जी ने तो अपना जीवन ही इस आश्रम के लिये समर्पित किया हुआ है। यह चारों ऋषिभक्त विद्वान अपनी ओर से आश्रम की आर्थिक सहायता करते रहते हैं। 
आश्रम से विगत 32 वर्षों से प्रतिमाह एक मासिक पत्रिका ''पवमान” का प्रकाशन हो रहा है। इसका सितम्बर, 2019 अंक प्रकाशित हो गया है। पत्रिका में इसके सम्पादक डा. कृष्णकान्त वैदिक जी सहित अनेक विद्वानों के लेख प्रकाशित होते हैं। आश्रम की गतिविधियों की जानकारी भी पत्रिका में रहती हैं। आप सब पत्रिका वार्षिक व आजीवन सदस्य बन कर भी आश्रम के सहयोगी बन सकते हैं। इस पत्रिका से जुड़कर आप आर्यसमाज की विचारधारा से जुड़े रह सकते हैं। 
हम आशा करते हैं कि सभी ऋषिभक्त आश्रम का ध्यान रखेंगे और आश्रम के क्रियाकलापों में सम्मिलित होकर आश्रम के अधिकारियों को सहयोग करने सहित यज्ञ एवं सत्संग आदि से होने वाले लाभों को प्राप्त करेंगे। ओ३म् शम्।   
-मनमोहन कुमार आर्य
पताः 196 चुक्खूवाला-2
देहरादून-248001
फोनः09412985121


 


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