गलत खबरों पर ध्यान न दें: पुलिस


शामली पुलिस की जनता से अपील



राजेश भास्कर—
शामली। 'पुलिस के ख़िलाफ़ धरने पर पत्रकार' शीर्षक वाली इस ख़बर के दूसरे पैराग्राफ़ का आख़िरी वाक्य है ”काँधला में भी पत्रकार अख़्तर क़ुरैशी को फ़र्ज़ी मुकद्में में जेल भेजा गया।” आपको अवगत कराना है कि किसी पत्रिका के वरिष्ठ सम्वाददाता द्वारा लिखा गया यह तथ्य पूरी तरह से ग़लत है। यह न केवल 100 % ग़लत है, बल्कि सही तथ्यों से कोसों दूर भी है।
जाँच और विवेचना के आधार पर जो सही बात निकली है, वह यह है कि...
1. इस मामले में अख़्तर क़ुरैशी के ख़िलाफ़ कोई एफआईआर क़ायम ही नहीं हुई है।
2. अख़्तर क़ुरैशी को जेल भेजा ही नहीं गया है।
3. सही तो यह है कि पुलिस ने अख़्तर क़ुरैशी की मदद करते हुए उनकी तरफ़ से उनके विपक्षी के ख़िलाफ़ ही एफआईआर दर्ज की है।
उपरोक्त बातों पर ग़ौर फ़रमाएँ तो यह साफ़ हो जाता है कि किस तरह पत्रकारिता के नाम पर कुछ लोगों के द्वारा आम जनता को गुमराह किया जा रहा है। शामली में कुछ पत्रकार धरने पर बैठें हैं, वे बाइज़्ज़त बैठें। यह अपने देश में सबका लोकतांत्रिक हक़ है। परन्तु अपुष्ट, भ्रामक और पूरी तरह से मनगढ़ंत ख़बरों का सहारा लेकर आम जनता को भ्रमित करना व पुलिस के ख़िलाफ़ भड़काना कहाँ तक उचित है? यह एक चिन्ता का विषय है।
बताना चाहूँगा कि धरने पर बैठे कुछ पत्रकारों की मूलत: दो माँगें हैं...
1. पहली माँग है...थाना काँधला के प्रभारी संजीव विश्नोई को लाइन हाज़िर किया जाए...कारण? अख़्तर क़ुरैशी पर ज़्यादती। पर, सही तथ्य यह है कि एसपी अजय कुमार ने अपने बाद ज़िले के सबसे वरिष्ठ पुलिस अधिकारी द्वारा पूरे मामले की करवाई। जाँच में उत्पीड़न का कोई मामला पाया ही नहीं गया है; बल्कि, अख़्तर क़ुरैशी की तरफ़ से ही एफआईआर दर्ज कर पुलिस ने मदद ही किया है।
2. दूसरी माँग है कि अमित शर्मा पत्रकार के प्रकरण में विवेचना सही नहीं हुई है। बताना चाहूँगा कि मूलत: यह जीआरपी पुलिस का मामला है; यह मामला मूलत: शामली पुलिस का है ही नहीं। परन्तु, तफ़्तीश शामली पुलिस को मिली थी, और शामली पुलिस मामले में चार्जशीट तक पहुँची है; मामला माननीय प्रेस काउन्सिल ऑफ़ इण्डिया की भी जानकारी में है। परन्तु कुछ पत्रकार चाहते हैं कि लूट और अपहरण की धाराएँ और बढ़ाई जाएँ। चूँकि पूरी तफ्तीश में पुलिस द्वारा लूट और अपहरण के कोई सबूत नहीं मिले हैं; तो पुलिस कर ही क्या सकती है?
कुल मिलाकर, इसी तरह की नाजायज़ और बेबुनियाद माँगों को लेकर धरना दिया जा रहा है जो कि पूरी तरह औचित्यहीन है। सही यह है कि पूरी तरह से शामली पुलिस सभी सम्मानित पत्रकार बंधुओं का आदर, सम्मान व सहयोग करती आई है।


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