पोषण माह के रूप में मनाया जाएगा सितम्बर

 


दो वर्ष तक के बच्चों को 'पूरक आहार' रहेगी अभियान की थीम


पोषण मिशन की महानिदेशक ने जिला कार्यक्रम अधिकारियों को भेजा पत्र
गाजियाबाद।  सितम्बर का महीना पोषण माह के रूप में मनाया जाएगी। राज्य पोषण मिशन की महानिदेशक मोनिका एस. गर्ग ने सूबे के सभी जिला कार्यक्रम अधिकारियों को पत्र भेजकर पोषण माह मनाने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ पूरक आहार के संबंध में एक निर्देशिका भी निदेशालय से भेजी गई है। इस निर्देशिका की मदद से आंगनबाड़ी कार्यकर्ता दो वर्ष से कम आयु वर्ग के बच्चों की माताओं को पूरक आहार के संबंध में समझाएंगी। जिला कार्यक्रम अधिकारी शशि वार्ष्णेय ने बताया कि इस बार पोषण माह की थीम 'कॉम्पलीमेंट्री फीडिंग' यानी पूरक आहार रखी गयी है। इस आयोजन की गंभीरता इसलिए भी बढ जाती है क्योंकि कि प्रधानमंत्री ने अपने 'मन की बात' कार्यक्रम में आम जन से पोषण अभियान में सहयोग करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति कम से कम एक कुपोषित व्यक्ति को कुपोषण से बाहर निकालने में अपना योगदान करे।
राज्य पोषण मिशन की महानिदेशक मोनिका एस. गर्ग ने जिला कार्यक्रम अधिकारी को भेजे पत्र में कहा है कि बच्चों के सर्वांगीण विकास में उनके जीवन के पहले एक हजार दिन बड़े अहम होते हैं। उन्होंने कहा है कि बच्चों में कुपोषण की व्यापकता छह माह से दो वर्ष के मध्य तेजी से बढ़ती है। दरअसल छह माह के बाद बच्चे को सही पोषण के लिए मां के दूध के अलावा पूरक आहार की भी जरूरत होती है। इस समय शिशु को डायरिया और निमोनिया का खतरा अधिक होता है, ऐसे में बच्चा सुपोषित होगा तो उसकी प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होगी। 
नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे-4 के मुताबिक छह से आठ माह के बच्चों में दो फीसदी से भी कम बच्चे ऐसे हैं जिन्हें सही पूरक आहार मिलता है। 9 से 11 माह के केवल तीन फीसदी, 12 से 17 माह के केवल 6.2 फीसदी और 18 से 23 माह के केवल 7.7 फीसदी बच्चे ही सही पूरक आहार पाते हैं। जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि दो वर्ष तक के बच्चों को पोषण अभियान में विशेष ध्यान देने के निर्देश मिले हैं। इसके लिए आंगनबाड़ी केंद्रों पर अन्नप्राशन दिवस के मौके पर दो वर्ष से कम आयु वाले बच्चों की माताओं को बुलाया जाएगा। सुपोषित बच्चों की माताओं से पूरक आहार के बारे में बताने को कहा जाएगा। साथ ही पूरक आहार की मात्रा, और दिन में कितनी बार पूरक आहार देतीं हैं, इस बारे में चर्चा कराई जाएगी। मातृ-शिशु सुरक्षा कार्ड पर भी ये सब बातें अंकित की जाएंगी। इतना ही नहीं पूरक आहार बनाते समय सफाई को लेकर रखी जाने वाली सावधानियों पर भी चर्चा होगी। बच्चे के बीमार होने पर भी स्तनपान और पूरक आहार देना जरूरी है और इसके लिए माता-पिता दोनों की सक्रिय भूमिका जरूरी है।
इसके अलावा गृह भ्रमण के दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ता इस बात का आकलन करेंगी कि अन्नप्राशन दिवस के बाद पूरक आहार को लेकर व्यवहार परिवर्तन आया कि नहीं। बच्चों को खाने में क्या दिया जा रहा है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बच्चे की मां से यह पूरी चर्चा करेंगी और साथ ही उसके लिए बनाए जाने वाले पूरक आहार को देखने का प्रयास भी करेंगी। बच्चे को दी जा रहे पूरक आहार की मात्रा के बारे में भी जानकारी करेंगी। घर में साबुन की उपलब्धता भी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता देखेंगी और शासन से भेजी गई निर्देशिका से पढ़कर संदेश सुनाएंगी।


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