प्रदेश का पहला जिला गाजियाबाद जहां किया गया जिला सड़क नियन्त्रण समिति का गठन

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जनपद गाजियाबाद प्रदेश का पहला जिला होगा जहाँ पर जिला सड़क नियन्त्रण समिति (District Road Control Committee) का गठन किया गया हैसड़कों के निर्माण कार्यो पर करोड़ों रूपये प्रतिवर्ष खर्च किये जाते है। सड़कों पर होने वाले खर्च को लाभदायी बनाने के लिए, स्थाई बनाने के लिए, गुणवत्तापरक बनाने के लिए और भ्रष्टाचारमुक्त बनाने के लिए जिलाधिकारी अजय शंकर पाण्डेय ने एक लीक से हटकर पहल की है। सड़कों के निर्माण में लगे सभी विभागों यथाएन0एच0, पी0डब्लूण्डी0, आर0ई0एस0, जिला पंचायत, आवास विकास परिषद, यू०पी०एस0आई0डी0सी0, नगर निगम, डूडा और गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के मुख्य अभियन्ताओं की एक बैठक आज उन्होंने कलेक्ट्रेट के सभागार में बुलाई। बैठक में / FISTRA जिलाधिकारी ने सड़कों से जुडे सभी गंभीर विषयों को रखा एवं विस्तृत चर्चा की। हर विभाग अपने-अपने तरीके से सड़कों का निर्माण कार्य कराता हैविभागों में समन्वय का अभाव रहता है। इस कारण सड़कों के निर्माण में डूप्लीकेसी की संभावना बनी रहती है। विभागों के सड़क निर्माण की लागत में भी भारी-भरकम अन्तर देखने को मिलता है। एक विभाग सड़क बनाता है और दूसरे विभाग को नाली-नाले का काम करना पड़ता हैनाली-नाले के निर्माण होने से सड़के खराब हो जाती है। जिलाधिकारी ने सड़कों के निर्माण में इन समस्याओं का समाधान हेतु अपनी अध्यक्षता में जिला सड़क नियन्त्रण समिति का गठन किया हैइसके सदस्य सचिव मुख्य विकास अधिकारी और समन्वयक अधिशासी अभियन्ता, लोक निर्माण विभाग, खण्ड-2 गाजियाबाद को रखा गया है। यह समिति माह में 01 बैठक करेगी और इस बैठक में विभाग अपने-अपने प्रस्ताव समिति के समक्ष रखेगें। समिति एक-दूसरे विभाग से अनापत्तियाँ प्राप्त करेगी। विभाग सड़कों की लागत से समिति को अवगत करायेंगे। इससे विभिन्न विभागों द्वारा सड़कों के निर्माण में तैयार कराये जाने वाले एस्टीमेट में अन्तर का खुलासा भी हो पाऐगा और उसे नियन्त्रण भी किया जा सकेगा। इस समिति में जनपद में कार्य करने वाली समस्त कार्यदायी संस्थाओं के पदाधिकारी सदस्य होंगे। जिलाधिकारी के इस निर्णय से सड़कों के निर्माण को लेकर जो अफरा-तफरी होती है, पर काफी हद तक नियंत्रण हो जाऐगा। जिलाधिकारी ने इस बैठक में हर विभाग को इसके अधीन आने वाली सड़कों का डेटाबेस तैयार कराने का भी निर्देश दिया है, जिसे "सडक कुण्डली"का नाम दिया गया है। इस कुण्डली में कितनी लागत आयी, ठेकेदार कौन था तथा सड़क की मरम्मत कब हुई आदि का उल्लेख किया जायेगा। "सड़क कुण्डली" नाम से इस डेटाबेस को कलेक्टर कार्यालय में भी सुरक्षित रखा जाऐगा तथा अपडेट किया जायेगा। जिलाधिकारी ने यह भी निर्णय लिया है कि हर विभाग के निर्माणाधीन/निर्मित किसी भी एक सड़क का लॉटरी पद्धति से चयन कर उसकी जाँच आई0आई0टी0 रूड़की से करायी जाऐगी, जॉच में आने वाला खर्चा सम्बन्धित विभाग से किया जायेगा। इस प्रकार की औचक जॉच से सारे विभाग और उनके ठेकेदार एलर्ट पर रहेंगे कि न जाने कब किसका नम्बर लग जाये


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