21वीं सदी के भारत की नींव तैयार करने वाली नीति है: राहुल प्रधान


गाजियाबाद: वरिष्ठ समाजसेवी एवं भाजपा(किसान मोर्चा) राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य: राहुल प्रधान ने कहां कि नई पीढ़ी किसानों मजदूरों का सम्मान करना सीखें, इसके लिए डिग्निटी ऑफ लेबर पर ध्यान दिया गया है। अब वाॅट टू थिंक नहीं बल्कि हाऊ टू थिंक पर फोकस किया जा रहा है। ३-४ साल के व्यापक विचार-विमर्श और लाखों सुझावों के बाद एजुकेशन पॉलिसी मंजूर की गई है। देश के किसी भी वर्ग से यह बात नहीं उठी की किसी तरह का भेदभाव हुआ है। ये एक इंडिकेटर भी है कि लोग वर्षों से चली आ रही शिक्षा व्यवस्था में जो बदलाव चाहते थे, वो उन्हें मिले हैं। मोदी जी मैं शिक्षा नीति बनाने वाले एक्सपर्ट से कहा कि यह सवाल उठाना स्वाभाविक है कि कितना बड़ा रिफॉर्म जमीन पर कैसे उतारा जाए। इस चैलेंज को देखते हुए व्यवस्थाओं को बनाने में जहां कहीं कुछ सुधार की जरूरत है, वह हम सभी को मिलकर करना है। आप सभी राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने में सीधे तौर पर जुड़े हैं। इसलिए आप सब्जी भूमिका बहुत अहम है। जहां तक पॉलीटिकल विल की बात है, मैं पूरी तरह कमिटेड हूं आपके साथ हूं। एक नई विश्व व्यवस्था खड़ी हो रही है। एक नया स्टैंडर्ड भी तय हो रहा है। इसके हिसाब से भारत का एजुकेशन सिस्टम खुद में बदलाव करें, यह भी किया जाना बहुत जरूरी था। स्कूल कीर करिकुलम के 10 +2 से आगे बढ़ना इसी दिशा मैं एक कदम है। हमे अपने स्टूडेंट्स को ग्लोबल सिटीजन भी बनाना है, साथ ही ध्यान रखना है कि वे जड़ों से भी जुड़े रहे। घर की बोली और स्कूल में पढ़ाई की भाषा एक होने से सीखने की गति बेहतर होगी। जहां तक संभव हो 5 वी बच्चों को उनकी मातृभाषा में ही बढ़ाने पर सहमति दी है। इससे उनकी नींव मजबूत होगी और आगे की पढ़ाई के लिए बेस भी मजबूत होगा। अभी तक की व्यवस्था में वाॅट यू थिंक पर फोकस रहा है, जबकि नई नीति में हाऊ टू थिंक पर जोर दिया जा रहा है। हर तरह की जानकारी आपके मोबाइल पर है, लेकिन जरूरी यह है कि क्या जानकारी अहम है। नई नीति में इस बात पर ध्यान रखा गया है। ढेर सारी किताबों की जरूरत को खत्म करने पर जोर दिया गया है। इंन्क्वायरी, डिस्कवरी, डिस्कशन और एनालिसिस पर जोर दिया जा रहा है। इससे बच्चों में सीखने की ललक बढ़ेगी। हर छात्र को यह मौका मिलना ही चाहिए कि वह अपने पैशन को फॉलो करें। अक्सर ऐसा होता है कि कोई कोर्स करने के बाद स्टूडेंट जॉब के लिए जाता है तो पता चलता है कि जो पढ़ा वो जोक की जरूरतों को पूरा नहीं करता। इन जरूरतों का ख्याल रखते हुए मल्टीपल एंट्री-एग्जिट का ऑप्शन दिया गया है।


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