चालान भरो राजस्व में, बदले में हेलमेट दूंगा : हेलमेट मैन.


समीक्षा न्यूज नेटवर्क
वाराणसी। वाराणसी की सड़कों पर पिछले 1 महीने से हेलमेट मैन के नाम से प्रसिद्ध राघवेंद्र कुमार ने चालान भरने वालों की संख्या में बढ़ोतरी लादी।
दरअसल वाराणसी जिले में प्रतिदिन तीन से चार हजार ई चालान हो रहे हैं. जिसमें 90 प्रतिशत बिना हेलमेट चलने वालों का ट्रैफिक पुलिस चालान करती है. और इनमें से 60% ऐसे लोग हैं जिनके एक से ज्यादा चालान हो रखे हैं लेकिन भरना नहीं चाहते हैं मैसेज आने के बावजूद भी अनदेखा कर रहे हैं घर पर चालान का नोटिस आने का इंतजार कर रहे हैं. बहुत से लोग ऐसे भी हैं जिनका अनगिनत चालान हो गया है और वह चालान भरना नहीं चाहते हैं सड़कों पर बिना हेलमेट चलने की आदत बना ली है.
सैकड़ों लोग प्रतिदिन हेलमेट मैन राघवेंद्र कुमार से सड़क पर मिलते रहते हैं और अपनी बातें रखते हैं चालान के प्रति उनकी सोच की क्या धारणा बनी हुई है.
हेलमेट मैन उन सभी से अपील करते हैं कृपया अपनी चालान भरे और अपनी रसीद लेकर आएं. मैं आपको एक हेलमेट दूंगा और साथ में 5 लाख की दुर्घटना बीमा भी. जो लोग अपना चालान ऑनलाइन के माध्यम से जमा करते हैं उन्हें भी वहीं पर हेलमेट मैन एक हेलमेट के साथ 5 लाख की दुर्घटना बीमा करके देते हैं. लोगों को बहुत हैरानी होती है और बहुत खुशी भी होती है बहुत लोग पूछते भी हैं इसमें आपका क्या फायदा है. हेलमेट मैन कहते हैं दूसरों की जान बचाने जागरूक  करने में कभी खुद का फायदा नहीं देखा जाता आपको दोस्त मानता हूं क्योंकि हमने दोस्त खोया है दुर्घटना में. बदले में हमें कुछ देना चाहते हैं  तो अपने घर से हमें अपनी पढ़ी पुरानी पुस्तक दे देना. मैं गरीब बच्चों को निशुल्क देता हूं.
भारत को सड़क दुर्घटना मुक्त बनाना चाहता हूं और देश को 100% साक्षर करना चाहता हूं.
यही मेरी सोच है इसलिए प्रतिदिन सड़कों पर लोगों को हेलमेट देता रहता हूं.
जो कार्य सरकार या प्रशासन को करना चाहिए वह कार्य एक अकेला व्यक्ति भारत की सड़कों पर पिछले 6 साल से अकेला कार्य कर रहा है. जो बिना किसी से आर्थिक मदद लिए.
हेलमेट मैन अब तक 42000 हेलमेट निशुल्क बांट चुके हैं. इस मिशन के लिए आर्थिक समस्या के कारण ग्रेटर नोएडा का घर भी बेच दिया. लेकिन पैसे के लिए किसी के पास हाथ नहीं फैलाया. 
इनके कार्य की सराहना भारत के परिवहन मंत्री नितिन गडकरी भी कर चुके हैं, लेकिन मदद के लिए सरकार या प्रशासन कभी आगे नहीं आए.


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