बैसवाड़ा अवधी संस्थान के तत्वावधान में अवधी भाषा की आॅनलाईन चर्चा 


धनसिंह—समीक्षा न्यूज—  
नोयडा। बैसवाड़ा अवधी संस्थान के तत्वावधान में अवधी भाषा की सद्य स्थिति व सामयिक परिदृश्य के आधार पर उसके प्रचार-प्रसार व उन्नयन हेतु अवधी के गणमान्य मनीषियों ने एम्बेसडर श्री अखिलेश मिश्र, विदेश मंत्रालय, की उपस्थिति में, विशद चर्चा की। आयोजन का संयोजन व संचालन विनय विक्रम सिंह द्वारा किया गया।
कार्यक्रम का आरम्भ नन्हे क़दम ऊँची उड़ान समूह की संस्थापिका अभिलाषा विनय द्वारा प्रस्तुत मनमोहती सरस्वती वन्दना, "मोर बिनती सुनो माइ हे सारदे, मूढ़ता हरि लियो ग्यानदा तार दे।" द्वारा किया गया। तदनन्तर "भाखा" के सम्पादक डॉ गंगाप्रसाद शर्मा 'गुणशेखर' द्वारा अवधी की समीचीन दिशा व दशा पर तथ्यात्मक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। प्रवासी संसार के सम्पादक राकेश पाण्डेय द्वारा मॉरीशस, सूरीनाम, फिजी आदि में अवधी और भोजपुरी के व्यवहारिक प्रयोग व जीवन शैली पर उसके प्रभावादि पर मननीय व्याख्यान दिया। उनके बाद रायबरेली से नवगीतकार विनय भदौरिया जी ने अवधी को आम बोल-चाल की भाषा बनाने पर जोर देते हुए अपना वक्तव्य व नव प्रकाशित संग्रह अन्तराएँ बोलती हैं, से मनोहारी काव्य प्रस्तुति दी। रायबरेली से अवधी जन-मानस के वरिष्ठ कवि इंद्रेश भदौरिया ने, "हम सबकै जिम्मेदारी है, अवधी भासा का अपनाई। अवधी भासा म लिखी भाय, अवधिन भासा म नित गाई। अवधी भासा उपयोगी है, लरिका बच्चन का समुझाई। अपनेन समाज की भासा म, अपने समाज म बतलाई।" अपनी मनोहारी प्रस्तुति से सबका मन मोह लिया। कवयित्री अभिलाषा विनय ने अपनी कजरी, "बदरा सुहावन छायो, बरसे सारी रतियाँ। भीजैं मोहन मनभावन, छ्याड़ैं सारी सखियाँ।" द्वारा भावभीनी प्रस्तुति दी। अवधी के प्रतिष्ठित कवि व संचालक विनय विक्रम सिंह ने, "हर बीता पै जापै गुनिया, केवट हुइगा ऊँचा बनिया। पाहन सैंते नाव बिसारे, उतराई लै ठाढ़ किनारे। डाँड़ बियाजी खाता कोरे, साँस तो लइले चपट बटोरे।" द्वारा आज के मानव की लालची व दोहन करने की प्रवृत्ति पर व्यंग्य किया। वरिष्ठ कवि व छंद मनीषी गोप कुमार मिश्र ने अपने सवैये, "अब राम मना मह द्वंद छिड़ो , त्रिजटा सिय को कह गूढ कहानी। हिय रावण के सिय आप बसी , तुमरे हिय राम बसे धनु पानी। रघुनाथ उदा मह लोक अनेकहु, लागत वाण सबै कर हानी। सिय मातु कहै केहि भाँति मरै दसशीष महा कपटी अभिमानी।" से वातावरण में राममय रस घोल दिया। हास्य व्यंग्य के सुविख्यात कवि बाबा कानपुरी ने, जाने केहि-केहि कै लइके सुपारी, कोरोना की आई बिमारी।" द्वारा सबको हँसने पर मजबूर कर दिया। लखनऊ से वरिष्ठ कवि सच्चिदानंद तिवारी शलभ ने सद्य प्रकाशित अवधी काव्य संकलन से भावमुग्धकारी रचना सुनाई। अवध ज्योति पत्रिका के सम्पादक व अवधी के प्रचार हेतु समर्पित राम बहादुर मिश्र ने अवधी पर जानकारी पूरित वक्तव्य, "अवधी भाषा भाषी समाज भारत और नेपाल के ३२ जिलों मे फ़ैला हुआ है। गिरमिटिया मजदूर जब विदेश गए तो अपने साथ रामचरितमानस, हनुमान चालीसा और विपुल अवधी लोकसाहित्य की थाती अपने साथ ले गये। पूरी दुनिया में रामकथा को प्रचारित और प्रसारित करने का श्रेय अवधी रचना रामचरितमानस को जाता है।" द्वारा सबको अवधी की व्यापकता के बारे में बताया।
         अपने वक्तव्य में विदेश मंत्रालय, भारत सरकार में अपर सचिव, एम्बेसडर अखिलेश मिश्र द्वारा बहुत ही विस्तृत, बहु आयामी अवलोकन प्रस्तुत किया गया। उन्होंने आदि काल से अधुनातन परिस्थितियों तक अवधी की दिशा का तथ्यात्मक अनुदान स्पष्ट किया। साथ ही सामयिक परिप्रेक्ष्य में निम्न बिंदुओं के अनुपालन का सुझाव दिया, जिससे कि अवधी को बहुमुखी आयाम मिले।
अवधी लिखने, पढ़ने, बोलने पर गर्व की अनुभूति होनी चाहिए।
अवधी साहित्य की हर विधा को प्रोत्साहन, साहित्यिक अभिवृद्धि पर जोर।
अवधी के लोकसाहित्य, लोककला, लोकगीत, लोकोक्तियों आदि का संकलन।
अवधी के प्रचार - प्रसार हेतु नई तकनीक, वेब प्लेटफॉर्म्स आदि का प्रयोग।
अन्य बोलियों यथा:- बुन्देली, बघेली, भोजपुरी, मैथिली, बैसवाड़ी एवं भारतीय भाषाओं यथा:- तमिल, असमिया, कन्नड़, तेलुगु, गुजराती आदि के साहित्य का अवधी में अनुवाद व वैचारिक आदान-प्रदान।
आयोजन का समापन एम्बेसडर अखिलेश मिश्र के आभार वक्तव्य व संयोजक विनय विक्रम सिंह द्वारा धन्यवाद ज्ञापन कर किया गया।


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