ईवीएम की घटती विश्वसनीयता



हाल ही में हुए बिहार चुनाव व उपचुनाव के नतीजों को लेकर ईवीएम मशीन को लेकर विपक्ष के लोग सशंकित हैं, दिग्विजय सिंह व उदित राज जैसे नेताओं ने खुलकर ईवीएम पर सवाल उठाए हैं, इससे पहले बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुब्रह्मण्यन स्वामी भी पूर्व में इस पर सन्देह जता चुके हैं, सन्देह का एक बड़ा कारण, पूरी दुनिया में 150 से भी ज्यादा देश इस मशीन का प्रयोग नहीं करते हैं क्योंकि इसमें गड़बड़ी की संभावना हो सकती है हाल ही में संपन्न अमेरिका के चुनाव की गिनती भी लगभग 2 सप्ताह से जारी है, इतने तकनीकी देश भी बैलेट से चुनाव करा रहे हैं, इससे भी विपक्ष की बात को बल मिलता है, बिहार चुनाव की बात करें तो रैलियों में उमड़ी भीड़ या एग्जिट पोल दोनों की बात करें तो माहौल आरजेडी के पक्ष में था, 10 में से 9 एग्जिट पोल महागठबंधन की सरकार बना रहे थे परंतु नतीजे एनडीए के पक्ष में आये और नितीश कुमार फिर से बिहार के मुख्यमंत्री बने,
सुबह 8 बजे जब गिनती शुरू हुई तो पोस्टल बैलट मे भी महा गठबंधन को बहुमत था जबकि शाम को परिणाम एनडीए के पक्ष में आये
चुनाव आयोग का दावा है कि ईवीएम पूरी तरह सुरक्षित है इसमें छेड़छाड़ नहीं की जा सकती परंतु आज के आधुनिक युग जब बड़े बड़े अकाउंट भी हैक हो जाते हैं तो मशीन छोटी चीज है आम आदमी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा के अंदर एक ऐसी मशीन का डेमो दिया था जिसे सेट किया जा सकता है सवाल यह है कि जब सारी दुनिया के देश इसे संदिग्ध मानकर बैलेट से चुनाव करा रहे हैं तो हमारे देश में क्यों इसका प्रयोग किया जा रहा है जहां तक नतीजे देर से आने का सवाल है तो अमेरिका जैसा देश जब 2 हफ्ते इंतजार कर सकता है तो हम क्यों नहीं लोकतंत्र का आधार लोगों का मत है यदि उन्हें इस पर शंका हो जाएगी तो इसे सही कैसे माना जाएगा चुनाव आयोग को चाहिए कि वो आने वाले चुनाव को बैलेट से कराने का प्रयास करें जिससे लोगों का विश्वास हमारी चुनावी प्रणाली पर बना रहे

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