एक फौजी और एक पोलिस

 मेरी एक कविता जो दिल मे उतर जायेगी एक फौजी और एक पोलिस की जिंदगी में शायद यही हकीकत है क्योकि 


हर क्षण सताती उसकी यादें बात है यूँ दिले करार की
अब तू ही बता क्या दवा मर्ज की  मेरे मेरे परिवार की

एक अवकाश जो हो

दिल को लगे बस फिक्र ए इंतजार की
एक अवकाश जो हो, उस रविवार की

खुशबू सा अहसास हो मिठास में फ़िर
फ़रेबी दिल तुझे मिलने वाली बहार की

सूरज चाँद तारों की निगाहें हम पे ठहरी
घर को जाए फ़ौजी तो,उस रहगुजार की

हे हाले दिल, पोलिस और फौजी का ऐसे
न मिले छुटी खराब तबियत हो परिवार की

झुक झुक कर करें सलाम तब दिल से हम
उठा के निगाहे मिलती छुटी जब सरकार की

रातों की नींद उड़ाती उसकी यादें हवाओ सँग
सिर्फ घर पे राहें तकती उसके ही इंतजार की

आये कोई चिट्ठी या सन्देश मर्ज की दवा हो
मन को सुकूँ हो रुलाती यादों में बात करार की

मन को सुकूँ हो रुलाती

अशोक सपड़ा हमदर्द
9968237538


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