वृद्धावस्था में सात्विक,हल्के आहार व व्यायाम आवश्यक -डॉ सुषमा आर्या (आयुर्वेदाचार्या,NDDY)


धनसिंह—समीक्षा न्यूज—   
113 वां आर्य वेबिनार सौल्लास सम्पन्न
परिपक्वता,अनुभव व ज्ञान का भंडार है वृद्धावस्था -राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य
गाज़ियाबाद। सोमवार को केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में "वृद्धावस्था के रोग व उपचार" विषय पर आर्य गोष्ठी गूगल मीट पर आयोजित की गई।यह कोरोना काल में परिषद का 113वां वेबिनार था।
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि जीवन का स्वर्णिम काल है वृद्धावस्था।यह एक ऐसी स्थिति है जब व्यक्ति सारा जीवन परिश्रम करने के बाद सहसा अपने जीवन की यात्रा को पूर्ण कर विश्राम के पल बिताता है साथ ही इसके कुछ अन्य परिणाम भी होते है जैसे दूसरों पर अवलम्बित एवं शरीर बल से क्षीण होने के कारण असमर्थ पाने लगता है। वृद्धावस्था में शरीर का ध्यान अधिक रखना पड़ता है।योग व्यायाम,प्राकृतिक जीवन शैली से विभिन्न प्रकार के अनचाहे रोगों से छुटकारा पाया जा सकता है।यह परिपक्वता,ज्ञान व अनुभव का भंडार होता है जिससे समाज को लाभ व बुजुर्गों को सम्मान देना चाहिए,यही हमारी संस्कृति है।मुख्य वक्ता आयुर्वेदाचार्या डॉ सुषमा आर्या ने कहा कि वृद्धावस्था तक आते आते  मानव  शरीर थकने लगता है,शारीरिक  क्रियाएं आयु के  साथ  साथ शरीर को शिथिल करने लगती  हैं।जो झुर्रियों के रूप में स्पष्ट  होने लगती हैं इस अवस्था मे खान-पान का रखें विशेष ध्यान जीवन में आहार-विचार-संस्कार का विशेष महत्व होता है, इसलिए हमें वृद्धावस्था में सबसे पहले अपने आहार को सात्विक बनाना चाहिए।व्यायाम और योग का सहारा लें,सुबह की सैर जरूरी,नकारात्मक विचारों से दूर रहें,अकेलेपन को दूर करने के लिए परिवार से बात करें,संगीत सुने इन सभी उपायों से आप मानसिक व शारीरिक रूप से स्वस्थ रहेंगे।साथ ही दैनिक दिनचर्या में हल्के व्ययाम व हल्के पाचक भोजन का भी ध्यान रखना आवश्यक है।घर में रहकर भी घर से दूर यानी बच्चों से टोकाटाकी बन्द कर दे वानप्रस्थ आश्रम का जीवन जिये तो सुखी जीवन व्यतीत होगा।कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए स्वदेशी आयुर्वेद,हरिद्वार के निदेशक डॉ आर के आर्य ने कहा कि आयुर्वेद स्वस्थ रहने का आधार है,घर में रखी छोटी छोटी दवाइयां दैनिक  जीवन में स्वस्थ रहने में सहायक होती हैं,आर्थिक परेशानी व डॉक्टरों के बिल से बचाव हो सकता है।प्रान्तीय महामंत्री प्रवीण आर्य ने कहा कि योगाभ्यास से अंगों और मांसपेशियों को सर्वाधिक पोषण मिलता है,रक्त संचरण सुधरता है और विष कण तथा व्यर्थ पदार्थ शरीर से बाहर निकल जाते हैं। योग आसनों के खिंचाव चरण में शरीर के कोषों के मध्य मूल आधार पर हल्का दबाव पड़ता है।प्रधान शिक्षक सौरभ गुप्ता ने कहा कि योग का नियमित अभ्यास वृद्धावस्था में मानव-शरीर को ओजस्वी,लचीला और स्वस्थ बनाये रखता है।परिवार में बच्चों को अपने वृद्ध जनों की सेवा सत्कार करना चाहिए और उनके साथ समय व्यतीत करना चाहिए।युवा गायिका दीप्ति सपरा,बिन्दु मदान,रविन्द्र गुप्ता,प्रतिभा सपरा, जनक अरोड़ा,उर्मिला आर्या,पुष्पा चुघ आदि ने गीतों के माध्यम से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।प्रमुख रूप से आनन्द प्रकाश आर्य,देवेन्द्र गुप्ता,डॉ अनुराधा आनन्द,मधु खेड़ा,प्रेम सबरवाल, सुरेश आर्य,यज्ञवीर चौहान,सुरेन्द्र शास्त्री,राजश्री यादव आदि उपस्थित थे।


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