-मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून।
श्री राधेश्याम गोयल ‘ढाणीवाला’, नीचम का एक लेख 22 दिसम्बर को ‘‘सूर्य मकर रेखा पर” पाणिनी कन्या गुरुकुल की आचार्या जी से व्हटशप पर प्रसारित होकर हमें प्राप्त हुआ है। इस लेख में लेखक की दो बातों का हम उद्धृत कर रहे हैं।
1- 22 दिसम्बर को पृथिवी पर मकर रेखा पर जब सूर्य की सीधी किरणें पड़ती हैं, तब पृथिवी का दक्षिणी गोलार्द्ध सूर्य की सीधी किरणों के सामने रहने से दक्षिणी गोलार्द्ध के सभी देशों में प्रखर ग्रीष्म ऋतु रहती है जबकि उत्तरी गोलार्द्ध सूर्य की तिरछी किरणों के सामने रहने पर उत्तरी गोलार्द्ध के भारत सहित सभी देशों में प्रखर शीत ऋतु रहती है।
2- 22 दिसम्बर को सूर्य के मकर रेखा प्रवेश काल से ही सूर्य की उत्तरायण गति आरम्भ हो जाती है एवं दिन बढ़ने लगते है। सूर्य के उत्तरायण होने का पर्व मकर-संक्रान्ति है। अतः 22 दिसम्बर को ही मकर संक्रान्ति मनाया जाना सर्वथा उचित है। क्योंकि ज्योतिष एवं धर्म का आधार खगोल विज्ञान ही है।
इस आधार पर 22 दिसम्बर अर्थात् आज 22-12-2020 को मकर संक्रान्ति व उत्तरायण पर्व मनाये जाने की सार्थकता है। इसी बात को आर्य पर्व पद्धति के लेखक पं. भवानी प्रसाद जी ने भी स्वीकार किया है। उन्होंने लिखा है ‘यद्यपि इस समय (14 जनवरी को) उत्तरायण परिवर्तन ठीक-ठीक मकर संक्रान्ति पर नही होता और अयन-चयन की गति बराबर पिछली ओर को होते रहने के कारण इस समय (सवंत 1994 वि. में) मकर संक्रान्ति (14 जनवरी) से 22 दिन पूर्व धनु राशि के 7 अंश 24 कला पर ‘‘उत्तरायण” होता है। इस परिवर्तन को लगभग 130 वर्ष लगे हैं परन्तु पर्व मकर संक्रान्ति के दिन ही होता चला आता है, इससे सर्वसाधारण की ज्योतिष-शास्त्रानभिज्ञता का कुछ परिचय मिलता है किन्तु शायद पर्व का चलते न रहना अनुचित मानकर मकर-संक्रान्ति के दिन ही पर्व की रीति चली आती हो।’
इस विवरण से स्पष्ट है कि भले ही हम मकर संक्रान्ति 14 जनवरी को मनायें, परन्तु उत्तरायण 22 दिसम्बर को आरम्भ होता है। आज 22 दिसम्बर, 2020 को ही वास्तविक रूप में उत्तरायण आरम्भ हो गया है। आज इसका प्रथम दिवस है। आज से दिन का बढ़ना तथा रात्रि की अवधि घटनी आरम्भ हो गयी है। इससे पहले दिन की अवधि घट रहे थे और रात्रि की अवधि बढ़ रही थी। वस्तुतः मकर संक्रान्ति वा उत्तरायण पर्व आज ही हैं, यह हमें ज्ञात होना चाहिये। हम यह भी बताना चाहते हैं कि 25 दिसम्बर से दिन बढ़ना आरम्भ नहीं होता जैसी कि कुछ लोगों में मिथ्या धारणा है। आज उत्तरायण आरम्भ हुआ तथा दक्षिणायण कल समाप्त हो गया है। 22 दिसम्बर से दिन बढ़ना आरम्भ हो चुका है और आगामी 6 महीने तक दिन के काल में वृद्धि जारी रहेगी। हमें इस ज्योतिषीय वा खगोलीय स्थिति का ज्ञान होना चाहिये।
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