93वां पंडित रामप्रसाद बिस्मिल बलिदान दिवस सम्पन्न



धनसिंह—समीक्षा न्यूज     

क्रांतिकारियों के सिरमौर थे रामप्रसाद बिस्मिल-राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य

स्वतन्त्रता आंदोलन की क्रांति के जनक थे बिस्मिल -डॉ जयेन्द्र आचार्य

गाज़ियाबाद। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में अमर शहीद पंडित रामप्रसाद बिस्मिल के 93 वें बलिदान दिवस के अवसर पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन जूम पर किया गया।यह कोरोना काल में परिषद का 137 वां वेबिनार था।

वैदिक विद्धान आर्ष गुरुकुल नोएडा के प्राचार्य डॉ जयेन्द्र आचार्य ने कहा कि अमर शहीद पंडित रामप्रसाद बिस्मिल समस्त क्रांतिकारियों के गुरु थे व देश की आजादी के लिए संघर्षरत्त गर्म दल के क्रांति के जनक थे। शाहजहांपुर की उर्वरा धरती में महान क्रांतिकारी पंडित रामप्रसाद बिस्मिल का जन्म हुआ।आर्य समाज शाहजहांपुर के सत्संग में स्वामी सोमदेव जी के प्रवचनों को सुनके बालक बिस्मिल के मन पर गहरा प्रभाव पड़ा।उनसे प्रभावित होकर पंडित बिस्मिल ने सत्यार्थ प्रकाश पढा, जिसको पढ़ कर बिस्मिल का सम्पूर्ण जीवन बदल गया।नशे जैसी दुष्प्रवृत्ति में जकड़े नौजवानों ने सब बुराइयों को छोड़कर अपने जीवन को संयम तथा सदाचार के मार्ग पर लगा दिया।महर्षि दयानन्द को अपना गुरु मानकर देश को आज़ाद कराने का संकल्प लिया तथा सम्पूर्ण जीवन देश को आजाद कराने में लगा दिया तथा देश की आजादी की लड़ाई लड़ते लड़ते फाँसी के फंदे को चूम लिया।उन्होंने फांसी के फंदे को चूमते हुए कहा था "मैं ब्रिटिश साम्राज्य का पतन चाहता हूं" आचार्य जी ने कहा कि "जो फांसी पर चढ़े खेल में उनको याद करे,

जो वर्षों तक सड़े जेल में उनको याद करे" । उन्होंने बिस्मिल के जीवन से प्रेरणा लेने का आह्वान किया।

केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि क्रांतिकारियों के सिरमौर थे पंडित रामप्रसाद बिस्मिल। बिस्मिल से प्रेरणा पाकर अनेक नोजवान आजादी की लड़ाई में कूद पड़े।उनके घनिष्ठ मित्र अशफाक उल्ला खां भी उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चले। उन्होंने सत्यार्थ प्रकाश से प्रेरणा लेकर महर्षि दयानन्द के बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया था और अनेकों युवा साथियों को लेकर आजादी की लड़ाई में कूद पड़े।देश की आजादी की लड़ाई को मजबूत करने के लिए हत्यारों और धन की आवश्यकता थी जिसे पूरा करने के लिए प्रसिद्ध काकोरी काण्ड को अंजाम दिया। देश के युवाओं के लिये उनका जीवन सदियों तक प्रकाश  देता रहेगा।आज इतिहास को ठीक कर क्रांतिकारियों को सही सम्मान देने की आवश्यकता है, जिससे आने वाली पीढ़ी प्रेरणा ग्रहण कर सके । 

कार्यक्रम अध्यक्ष वेद पाल आर्य ने कहा कि शहीद देश की अमानत है,समय समय पर उनको याद करके हम उनके जीवन से प्रेरणा लेकर नयी उर्जा का संचार कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि बिस्मिल पहले क्रांतिकारी थे जिनका वजन फांसी वाले दिन बढ़ गया था।

केन्द्रीय आर्य युवक परिषद उत्तर प्रदेश के प्रान्तीय महामंत्री प्रवीण आर्य ने कहा की रामप्रसाद बिस्मिल को वैदिक धर्म को जानने का सुअवसर प्राप्त हुआ। इससे उनके जीवन में नये विचारों और विश्वासों का जन्म हुआ।उन्हें एक नया जीवन मिला।उन्हें सत्य, संयम,ब्रह्मचर्य का महत्व आदि समझ में आया। 

योगाचार्य सौरभ गुप्ता ने कहा कि बिस्मिल बहुत अच्छे शायर थे, उनका लिखा गीत "सरफरोशी की तमन्ना" हर व्यक्ति की जुबान से गाया जाता है।बिस्मिल ने फांसी से तीन दिन पहले जेल में अपनी आत्म कथा लिखी थी जो हर नोजवान को पढ़नी चाहिए।

सुप्रसिद्ध गायिका संगीता आर्या गीत,नरेश खन्ना,दीप्ति सपरा, नरेन्द्र आर्य सुमन,आशा आर्या, जनक अरोड़ा,रविन्द्र गुप्ता,ईश्वर देवी आदि ने अपने गीतों से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।

मुख्य रूप से आचार्य महेन्द्र भाई,आनन्द प्रकाश आर्य,यशोवीर आर्य,डॉ आर के आर्य, ओम सपरा,यशोवीर आर्य, देवेन्द्र गुप्ता,देवेन्द्र भगत,प्रकाशवीर शास्त्री,कैप्टन अशोक गुलाटी,डॉ रचना चावला,करुणा चांदना, उर्मिला आर्या आदि उपस्थित थे।

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