शरद ऋतु में हृदयाघात से बचाव पर आर्य गोष्ठी सम्पन्न



धनसिंह—समीक्षा न्यूज

तनाव ह्रदयाघात का मुख्य कारण-राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य 

गैस व अपचन की समस्या ह्रदयाघात का प्रथम चरण-डॉ सुषमा आर्या,आयुर्वेदाचार्या

गाज़ियाबाद। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में "शरद ऋतु में हृदयाघात" से बचाव विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन जूम एप पर किया गया।यह कोरोना काल में परिषद का 132 वां वेबिनार था।

केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि हृदयाघात का कारण विचाराघात है।यदि आप तनाव को जीवन में अधिक अपनाएंगे तो ह्दयाघात की आशंका बढ़ जाती है।जो आपके बस में नहीं है,उसके बारे में बिना कारण सोचना,बहस करना तनाव का कारण बनते हैं।जीवन में जब भी मौका मिले ठहाके लगाकर हँसना चाहिए इससे तनाव दूर होता है और अनेकों रोगों से बचा जा सकता है।आज की भाग दौड़ की जीवनशैली अस्त व्यस्त रहना रोग का कारण बनते हैं।

आयुर्वेदाचार्या डॉ सुषमा आर्या ने कहा कि  हृदयाघात वर्तमान स्थिति में सामान्य से हो गया है।हमारी दिनचर्या में चिंता, तनावग्रस्त जीवनशैली,काम का मानसिक दबाव आदि के कारण इस रोग में वृद्धि हो रही है।आयुर्वेद में ऋतुचर्या का वर्णन मिलता है।विश्व की अन्य चिकित्सा पद्धतियों ने भारत से सीखा और अपनी पद्धति में समाहित किया।ऋतुचर्या का समकालीन महत्त्व आज भी कम नहीं हुआ,बल्कि यह हमारी बिगड़ती जा रही जीवनशैली के कारण होने वाले गैर-संचारी रोगों से बचाव का रास्ता है।ये शरद ऋतु का समय शरीर से टॉक्सिन्स निकालने का सर्वोत्तम समय है जब शरीर से विषाक्त पदार्थों का निष्कासन हो जाएगा तो शरीर स्वस्थ रहेगा और हृदयाघात जैसी समस्याओं से छुटकारा मिल सकेगा।

कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ करुणा चांदना ने कहा कि  अध्ययनकर्ताओं व शोध से पता चला है कि आहार और जीवन शैली में बदलाव करके रोगी उच्च कोलेस्ट्राल और हृदय संबंधी रोग के खतरे को कम कर सकता है।पौष्टिक,सन्तुलित आहार व हल्के व्यायामद्वारा हृदयाघात से बचा सकता है।

केन्द्रीय आर्य युवक परिषद उत्तर प्रदेश के प्रान्तीय महामंत्री प्रवीण आर्य ने कहा कि हृदय रोगियों को चिकनाई युक्त खाद्य पदार्थों और तनाव का त्याग,शारीरिक व्यायाम के साथ फलों और हरी सब्जियों का सेवन करना चाहिए।हल्के व्यायाम और घूमने से दिल की मांसपेशियां मजबूत होती हैं और हाथ,पैरों की धमनियां स्वस्थ होती हैं।

योगाचार्य सौरभ गुप्ता ने कहा कि चिकित्सा पद्धति में ऋग्वेद, अथर्ववेद,चरकसंहिता और सुश्रुतसंहिता आदि में हितायु, सुखायु,स्वास्थ्य और चिकित्सा के लिये ऋतुचर्या,दिनचर्या,रात्रि चर्या,स्वस्थवृत्त,सद्वृत्त,आहार एवं रसायन के महत्त्व को बहुत विस्तृत रूप से प्रतिपादित व वर्णित किया गया था।इनमें वर्णित ज्ञान को पढ़ कर जीवन मे प्रयोग करना चाहिए।

गायिका दीप्ति सपरा,सुदेश आर्या,प्रतिभा सपरा,सुषमा बुद्धिराजा,डॉ रचना चावला,डॉ अनुराधा आनन्द,रविन्द्र गुप्ता, संतोष आर्या,प्रतिभा सपरा,आशा आर्या आदि ने मधुर गीतों से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।

मुख्य रूप से आनन्द प्रकाश आर्य,उर्मिला आर्या,यशोवीर आर्य,कुमकुम खोसला,देवेन्द्र गुप्ता,संतोष शास्त्री,प्रकाशवीर शास्त्री,ओम सपरा,राजेश मेंहदीरत्ता आदि उपस्थित थे।

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