प्रभु मिलन की राह" विषय पर गोष्ठी सम्पन्न



धनसिंह—समीक्षा न्यूज   

वेद मार्ग से ही प्रभु मिलन सम्भव-दर्शनाचार्या विमलेश बंसल

निष्काम व निस्वार्थ भक्ति से ही प्रभु से होगा मिलन-राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य

गाज़ियाबाद। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में "प्रभु मिलन कि राह" विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन जूम पर किया गया। यह कोरोना काल में परिषद का 142वां वेबिनार था ।

वैदिक विदुषी दर्शनाचार्या विमलेश बंसल ने "प्रभु मिलन की राह" विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यदि प्रभु से मिलना है तो सही मार्ग अपनाना होगा,मार्ग का सही ज्ञान होना आवश्यक है,और ज्ञान का एक मात्र सच्चा रूप वेद है।वेदों की आज्ञा का पालन करके उसका आचरण करके ईश्वर को प्राप्त किया जा सकता है।परमात्मा से मिलने के लिए पहले आत्मा को शुद्ध करना अनिवार्य है मनुष्य सांसारिक व्याधियों से मुक्ति चाहता है तो उसे निष्काम और नि:स्वार्थ भाव से प्रभु का स्मरण करना चाहिए।यदि वास्तविक आनंद चाहते हैं तो भारतीय संस्कृति को अपनाएं और प्रतिदिन प्रभु का स्मरण करें।

केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि वेदानुकूल शिक्षा का अनुसरण करने से ही जीवन में उन्नति व ईश्वर का सच्चा भक्त बनना सम्भव है।अपनी आत्मा को ज्ञानवान बनाना तथा ईश्वर के उपकारों को स्मरण कर उनके प्रति कृतज्ञता के भाव रखते हुए उसकी उपासना करना कर्तव्य होता है।साथ ही अन्य प्राणियों के प्रति भी हमारे मन में कृतज्ञता के भाव होने चाहियें और उनको सुख पहुंचाने की भावना होनी चाहिये।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए आर्य नेत्री विनीता खन्ना  ने कहा कि आज मनुष्य को ईश्वर के सत्यस्वरूप व उपकारों का ज्ञान प्राप्त करने की आवश्यकता है जिससे वह पाखंड अंधविश्वास से बच सके।

केन्द्रीय आर्य युवक परिषद उत्तर प्रदेश के प्रान्तीय महामंत्री प्रवीण आर्य ने कहा की वेद परमात्मा की वाणी हैं।वेदों में दी गयी शिक्षाओं का आचरण करना ही ईश्वर की आज्ञा का पालन करना है।

योगाचार्य सौरभ गुप्ता ने कहा कि योग में अष्टांग योग के माध्यम से मनुष्य अपने चित्त की वृत्तियों का निरोध कर ईश्वर से मिलन करने का पात्र बन सकता है। 

गायिका दीप्ति सपरा,रविन्द्र गुप्ता,कीर्ति नागिया,आशा आर्या, संगीता आर्या 'गीत',डॉ रचना चावला,ईश्वर देवी (अलवर), जनक अरोड़ा आदि ने अपने गीतों से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।

मुख्य रूप से आचार्य महेन्द्र भाई, आनन्द प्रकाश आर्य,यशोवीर आर्य,राजेश मेहंदीरत्ता,रविन्द्र उत्साही,अरुण आर्य,चन्द्रकान्ता आर्या,उर्मिला आर्या,वीना वोहरा आदि उपस्थित थे।

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