भूख व बेरोजगारी के थपेडो से त्रस्त दस परिवारो को एक संयासी ने लिया गोद, हर माह निशुल्क मिलेगा राशन



धनसिंह— समीक्षा न्यूज   

गाजियाबाद। शहर के एक सन्यासी ने गरीबी रेखा से नीचे जीवन निर्वाह करने वाले परिवारो के लिए कोई भूखा न सोये राष्टरीय अभियान शुरू किया है। इस अभियान के तहत भूख और मजबूरी से फांके काट रहे परिवारो को जब तक निशुल्क रसद व राशन हर माह उपलब्ध कराया जायेगा तब तक प्रश्नगत परिवार अपने पैरो पर खडा नही हो जाता है । इसी कडी में आज सेवा नगर स्थित स्वामी बाल नाथ आश्रम में गरीबी और भूखमरी के थपेडो से जूझ रहे दस परिवारो को आश्रम के संचालक स्वामी बालनाथ ने उन्हें गोद लेने की घोषणा की और आज से ही उन्हे पूरे एक माह का रसद व राशन भी उनकी आवश्यकतानुसार उपलब्ध करा दिया। 71 वर्षीय वृद्व स्वामी बालनाथ ने बताया कि इस अभियान के लिए हमने ऐसे परिवारो को चुना है जिनका न तो कोई रोजगार है और न ही उनका भरण पोषण करने के लिए उनका न कोई परिजन  है। ऐसे परिवारो में दिव्यांग ,बुजुर्ग विधवाये तथा ऐसे बुजुर्ग जिन्हे उनके परिजनो ने खुले आसमान के नीचे मरने के लिए छोड दिया हैं ।खास बात यह है कि इस संयासी की मुहिम को अमलीजामा पहनाने के लिए शहर के बडे व्यवसायी और उद्यमी उनकी मदद कर रहे है और गरीब परिवारों को दी जाने वाले राशन पर जो खर्चा हो रहा है वे खुद वहन कर रहे है ं।बकौल स्वामी बाल नाथ इस मुहिम मंें मदद करने वाले इन दानवीरो ने अपना नाम भी सार्वजनिक करने से मना कर दिया है। दानवीरो ने स्वामी बालनाथ को भरोसा दिया है कि जब तक इस प्रकार के परिवार उन्हे मिलते जायेगे उनकी मदद में कोई कमी नही आयेगी। आपको बता दे कि कोरोना काल के लाॅकडाउन के दौरान स्वामी बालनाथ ने गरीब और बेसहारा लेागो के लिए इन्ही दानवीरो की मदद से 24 घंन्टे लंगर चलाया था। यहां प्रतिदिन हजारो लोग लंगर में भोजन करते थे। गरीब लोगो को भोजन व राशन व्यवस्था उपलब्ध करने की प्रेरणा उन्हें कैसे मिली इस पर उनका कहना है कि अब से लगभग तीन दशक पहले गाजियाबाद जनपद के गांव अर्थला में भूख व बेरोजगारी से तंग आकर एक दम्पती ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी । इस हादसे के बाद उन्होने यह अभियान शुरू किया है। तभी से आश्रम में भूखे लोगो के लिए लंगर चलाया जाता है अब इस अभियान को और मजबूत बनाने के लिए हमने गरीबी रेखा से नीचे जीवन निर्वाह करने वाले परिवारो को हर माह रसद व राशन देने का फैसला किया है।

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