धर्म का सच्चा स्वरूप पर आर्य गोष्ठि संम्पन्न



धनसिंह—समीक्षा न्यूज

ईमानदारी से कर्त्तव्य पालन ही धर्म है-राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य

गाज़ियाबाद। रविवार को केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में "धर्म का वास्तविक रूप" विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन गूगल मीट पर किया गया। यह कोरोना काल में 130 वां वेबिनार था।

केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि ईमानदारी व पूरी निष्ठा के साथ किया गया "कर्तव्य पालन" ही धर्म है,धर्म एक तरीका हैं जीवन जीने का,एक माध्यम हैं मनुष्य जीवन को समझने का।अच्छाई बुराई तो महज एक छोटा सा अंग हैं मगर धर्म इन सब से कुछ अलग हैं,कुछ अनोखा,सदा ही नवीनतम लगने वाला व मानव जीवन को वास्तव मे सफल बनाने का माध्यम हैं।अनेकों विद्वानो ने इस पर अपने अपने विचार प्रस्तुत किए हैं और सभी ने अपने - अपने मायने मे उत्तम से उत्तम विचार प्रस्तुत किए हैं लेकिन हम यहाँ उन विचारो की बात करेंगे जो आपकी प्रतिदिन के जीवन से मिलती जुलती हो,जिन्हे आप अपने जीवन मे आसानी से उतार सके,भगवद्गीता मे भी यह कथन हैं कि जो साधन मे सुगम हो वही मार्ग श्रेष्ठ होता हैं।

वैदिक विदुषी डॉ कल्पना रस्तोगी ने कहा कि धर्म का अर्थ है-आत्मा को आत्मा के रूप में उपलब्ध करना,न कि जड़ पदार्थ के रूप में।भगवान महावीर ने कहा है कि धर्म शुद्ध आत्मा में ठहरता है और शुद्ध आत्मा का दूसरा नाम है अपने स्वभाव में रमण करना और स्वयं के द्वारा स्वयं को देखना। असल में वास्तविक धर्म तो स्वयं से स्वयं का साक्षात्कार ही है।धर्म के वास्तविक रूप को जानने के लिए आर्ष ग्रंथों का स्वाध्याय आवश्यक है।

कार्यक्रम अध्यक्ष आर्य नेत्री कृष्णा पाहुजा ने पाखण्ड अंधविश्वास से बचने बचाने व धर्म के सच्चे स्वरूप को जन जन तक पहुचाने का आह्वान किया।

केन्द्रीय आर्य युवक परिषद उत्तर प्रदेश के प्रान्तीय महामंत्री प्रवीण आर्य ने कहा कि धर्म और कुछ नही अपितु अपनी अपनी रुचि के अनुसार अपने अपने कर्तव्यो का पालन  हैं।सभी का कुछ न कुछ स्वभाव होता हैं ओर हर व्यक्ति जो भी करता हैं,अपने स्वभाव के अनुसार ही करता हैं।

प्रधान शिक्षक सौरभ गुप्ता ने कहा कि हम जहाँ है जैसे है अपने कार्य की पूरी ईमानदारी के साथ करे यही धर्म है ।

संविधान निर्माता,शिक्षाविद् डॉ. भीमराव राव अम्बेडकर की 64वीं पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

गायिका सुदेश आर्या,संध्या पांडेय,सुषमा बुद्धिराजा,रविन्द्र गुप्ता,ईश्वर देवी(अलवर),संतोष आर्या,रजनी गोयल,आशा आर्या, दीप्ति सपरा,बिंदु मदान,उर्मिला आर्या ने मधुर गीत प्रस्तुत किये।

आर्य नेता आनन्द प्रकाश आर्य, डॉ रचना चावला,करुणा चांदना, रमा चावला,कुमकुम खोसला, दीपांकर यश,देवेन्द्र गुप्ता,संतोष शास्त्री,वीना वोहरा,प्रकाशवीर शास्त्री,गीता गर्ग,अंजू आहूजा आदि उपस्थित थे।


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