आर्य केन्द्रीय सभा ने मनाया ऑनलाइन स्वामी श्रद्धानन्द बलिदान दिवस



धनसिंह—समीक्षा न्यूज

शुद्धि आंदोलन पुनः चलाने की आवश्यकता-आचार्य योगेंद्र याज्ञिक

राष्ट्रीय एकता और अखंडता की मिसाल थे स्वामी श्रद्धानन्द-माया प्रकाश त्यागी

गाजियाबाद। आर्य केन्द्रीय सभा महानगर गाज़ियाबाद के तत्वावधान में अमर हुतात्मा स्वामी श्रद्धानन्द बलिदान दिवस ज़ूम के माध्यम से वर्चुअल मनाया गया।सुप्रसिद्ध भजोपदेशक श्री  कुलदीप आर्य (बिजनोर) ने अपने गीतों के माध्यम स्वामी श्रद्धानंद सरस्वती का गुणगान किया जिससे श्रोता भावविभोर हो गए।

मुख्य अतिथि सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा के कोषाध्यक्ष पण्डित माया प्रकाश त्यागी ने अपने उद्बोधन में कहा कि स्वामी श्रद्धानन्द जी का जीवन भटकते लोगों के लिये प्रकाश पुंज के समान है।हमें उनके जीवन से प्रेरणा लेकर देश की एकता अखंडता के लिये कार्य करना चाहिए,यह गर्व की बात है कि आर्य समाज के लोगों में देश भक्ति का जज्बा कूट कूट कर भरा हुआ है जो अत्यंत प्रशंसनीय है।स्वामी श्रद्धानन्द राष्ट्रीय एकता और अखण्डता की ज्वलंत मिसाल थे।स्वामी श्रद्धानन्द ने विश्व बंधुत्व का जो संदेश हम सबको दिया  तथा नैतिकता का पाठ पढ़ाया वह केवल भारत के पास है,पूरे विश्व मे ओर कहीं नहीं मिलेगा।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता आचार्य योगेंद्र याज्ञिक ने बताया की हमें जो विचार महर्षि दयानन्द ओर स्वामी  श्रद्धानन्द जी ने दिए हैं उसे आज जीवन में लागू करने की आवश्यकता है,उनके बलिदान दिवस पर उन्हें याद करने का अर्थ है सामाजिक समरसता को बढ़ावा देना आपसी भाई चारे से समाज व देश को मजबूत बनाएं,यही महापुरुषों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि हो सकती है।स्वामी श्रद्धानन्द जी ने गुरुकुल शिक्षा प्रणाली को पुनः जीवित किया व समान शिक्षा पद्धति को बढ़ावा दिया यही उनकी कथनी और करनी की समानता का प्रेरक उदाहरण है।उन्होंने कहा कि आज फिर से शुद्धि आंदोलन चलाने की आवश्यकता है जिससे जो लोग किसी कारण से विधर्मी हो गए थे उन्हें वापिस हिन्दू धर्म मे लाया जा सके।स्वामी श्रद्धानन्द ने शुद्धि आंदोलन की शुरुआत की ओर घर वापसी का मार्ग प्रशस्त किया।

स्वागताध्यक्ष श्री ओम प्रकाश आर्य (प्रसिद्ध उद्योगपति एवं समाज सेवी) ने बताया कि लार्ड मैकाले की शिक्षा पद्धति के द्वारा देश का विकास नहीं हो सकता, बच्चों में संस्कार व हमारी संस्कृति की रक्षा गुरुकुलीय पद्धति से ही हो सकती है।उन्होंने कहा कि राष्ट्र की रक्षा ब्रह्मचर्य से होगी।उन्होंने बताया कि स्वामीजी ने कहा है चाहे जीवन मे सुख हो चाहे दुख हो लाभ हो या हानि हो जीवन में कुछ प्राप्त हो या न हो सत्य को कभी मत छोड़ो,स्वामी श्रद्धानन्द के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि हम अपने जीवन में  परमात्मा के प्रति श्रद्धा रखें और आर्य समाज के उत्थान में अपना तन मन और धन लगा दें।

श्री श्रद्धानंद शर्मा (उप प्रधान आर्य प्रतिनिधि सभा उत्तर प्रदेश)ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि स्वामी श्रद्धानन्द स्वामी दयानन्द के ऐसे शिष्य थे जिन्होंने ऋषियों की परम्पराओं का पालन करते हुऐ गुरुकुल कांगड़ी की स्थापना हरिद्वार में की।

गोष्ठी का कुशल संचालन केन्द्रीय सभा के प्रधान श्री सत्यवीर चौधरी ने किया ओर कहा कि स्वामी श्रद्धानंद कहते थे यदि आपकी परमपिता परमात्मा में पूर्ण श्रद्धा है तो भगवान आपके सारे कार्य पूर्ण करेंगे।

सभा के महामंत्री श्री नरेन्द्र पांचाल ने दूर दराज से जुड़े ऑनलाइन गणमान्य अतिथियों व श्रोताओं का आभार व्यक्त किया।

इस अवसर पर मुख्य रूप से सर्वश्री विजय गर्ग आर्य,सुरेश गर्ग,वीरेन्द्र धामा,ओम पाल सिंह, शिप्रा गर्ग,आशा गुप्ता,मोती लाल, राजेन्द्र कुमार सिंह सुधीर धमीजा, प्रवीण आर्य आदि उपस्थित रहे।


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