स्वामी श्रद्धानन्द व्यक्तित्व व कृतित्व विषय पर गोष्ठी सम्पन्न



धनसिंह—समीक्षा न्यूज    

स्वतंत्रता संग्राम के नायक थे स्वामी श्रद्धानंद-डॉ योगानांद शास्त्री,पूर्व अध्यक्ष, दिल्ली विधानसभा

श्रद्धा नंद बलिदान भवन को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करो-राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य 

गाज़ियाबाद। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में महान स्वतंत्रता सेनानी,गुरुकुल कांगड़ी के संस्थापक "स्वामी श्रद्धानन्द जी के 94 वें बलिदान दिवस के उपलक्ष्य में उनके "व्यक्तित्व व कृतित्त्व" पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन जूम पर किया गया। यह कोरोना काल में परिषद का 140 वां वेबिनार था।

मुख्य अतिथि दिल्ली विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष,मंत्री डॉ योगानांद शास्त्री ने कहा कि देश के स्वतंत्रता संग्राम में स्वामी श्रद्धानंद जी का  सर्वाधिक योगदान रहा।उन्होंने दृढ़ता व निर्भीकता के साथ आंदोलन का नेतृत्व किया।उन्होंने गुरूकुलीय शिक्षा पद्धति को पुनर्जीवित करने के लिए गुरुकुल कांगड़ी हरिद्वार जैसी संस्थाओं की स्थापना की और अपना सर्वस्व दान कर दिया। उन्होंने  13 अप्रैल 1917 को संन्यास ग्रहण किया,तो वे मुंशीराम से स्वामी श्रद्धानन्द बन गये।महर्षि दयानंद के विचारों के प्रबल समर्थक रहे और उन विचारों को आम जन तक पहुँचाया।उनका राजनैतिक जीवन रोलेट एक्ट का विरोध करते हुए एक स्वतन्त्रता सेनानी के रूप में प्रारम्भ हुआ। अच्छी-खासी वकालत की कमाई छोड़कर स्वामीजी ने ”दैनिक विजय” नामक समाचार-पत्र में ”छाती पर पिस्तौल” नामक क्रान्तिकारी लेख लिखे। 

केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने केन्द्र सरकार से मांग की स्वामी श्रद्धानंद जी का बलिदान भवन दिल्ली के नया बाजार में स्थित है उसे राष्ट्रीय स्मारक बनाया जाए। उन्होंने कहा कि  स्वामी जी महात्मा गांधी के सत्याग्रह से प्रभावित थे और उन्होंने गुरुकुल कांगड़ी पधारने पर"महात्मा" की उपाधि से सम्मानित किया ।  भारतीयों की मृत्यु का प्रतिशोध लेने वाले महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी शहीद उधम सिंह जी की जन्म जयन्ती पर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किये गए।

केन्द्रीय आर्य युवक परिषद उत्तर प्रदेश के प्रान्तीय महामंत्री प्रवीण आर्य ने कहा की श्रद्धानन्द जी सत्य के पालन पर बहुत जोर देते थे।उन्होंने लिखा है- "प्यारे भाइयो! आओ,दोनों समय नित्य प्रति संध्या करते हुए ईश्वर से प्रार्थना करें और उसकी सत्ता से इस योग्य बनने का यत्‍‌न करें कि हमारे मन,वाणी और कर्म सब सत्य ही हों।सर्वदा सत्य का चिंतन करें।वाणी द्वारा सत्य ही प्रकाशित करें और कमरे में भी सत्य का ही पालन करें।

योगाचार्य सौरभ गुप्ता ने कहा कि स्वामी श्रद्धानन्द की 23 दिसम्बर, 1926 को चांदनी चौक,दिल्ली में गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी।इस तरह धर्म,देश,संस्कृति, शिक्षा और दलितों का उत्थान करने वाला यह युगधर्मी महापुरुष सदा के लिए अमर हो गया।

डॉ सुषमा आर्या,नरेन्द्र आहूजा विवेक,चन्द्रकान्ता आर्या,ओम सपरा आदि ने भी अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए।गायिका दीप्ति सपरा,प्रतिभा कटारिया,पुष्पा चुघ,नरेश प्रसाद, आशा आर्या,जनक अरोड़ा, रविन्द्र गुप्ता,ईश्वर देवी,अंजू आहूजा,संगीता आर्या ने अपने गीतों से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।

मुख्य रूप से आचार्य महेन्द्र भाई,आनन्द प्रकाश आर्य, यशोवीर आर्य,धर्मपाल आर्य,राम कुमार आर्य,अरुण आर्य,सुरेश आर्य,राजेश मेंहदीरत्ता,वेदप्रकाश भगत आदि उपस्थित थे।


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