"सावधानी में सुरक्षा"
संलग्न चित्र परआल्ह छंद में एक प्रयास
शीर्षक : "सावधानी में सुरक्षा"
रोग भयानक आया था जब, इसका था न कहीं उपचार।
ग्रस्त हुआ था जो भी मानव, जीवन से तब मानी हार।1
शोध और अनुसंधानों से, किया रोग पर कड़ा प्रहार।
वैज्ञानिक ईश्वर बन आये, भूल न पाया जग उपकार।2
मात्र दवाई काम न करती, बदले आज मनुज व्यवहार।
रखें सुरक्षित संबंधों को, मानव करे नहीं व्यभिचार।2
सावधान रह कर ही मानव, पाये इससे बेड़ा पार।
नशा ड्रग्स से रख कर दूरी, रहे सुरक्षित यह संसार।4
एकनिष्ठता को दर्शाएँ, जीवनसाथी को दें प्यार।
लापरवाही नहीं करें हम, सदा सँभालें निज घर बार।5
कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा, 06 जनवरी 2021
Comments
Post a Comment