धनसिंह—समीक्षा न्यूज
गाजियाबाद : "विगत भूल कर चलो चलें हम, खुद को फिर संस्कारित कर लें/नए वर्ष की नई भोर में, नए भाव को आओ गढ़ लें।।" सुप्रसिद्ध कवयित्री डॉ. रमा सिंह की ये पंक्तियां हमें याद दिलाती हैं, उस प्राचीनतम संस्कृति की,जो हमारे देश की अमूल्य धरोहर है। आज के इस व्यस्ततम जीवन में चाहे विवशता कहें या कहना चाहिए कि यह हमारा दुर्भाग्य है ,जो हम इन संस्कारों को भूलते जा रहे हैं जो कि हमारी मूल पहचान थीं। सरकार द्वारा अपने अपने स्तर पर पर्यावरण संरक्षण और लोक कला को और उन्नत बनाने हेतु प्रयास किए जा रहे हैं।
इसी श्रृंखला में "The Saaz Musical Hub" नामक संस्था ने एक अभियान जारी किया है- "Save Culture,Save Environment" । इस संस्था के फेस बुक पेज पर अगस्त 2020 से कलाश्रृंखला नामक कार्यक्रम में हर शनिवार को किसी नवयुवक कलाकार की कला का प्रदर्शन किया जाता है। अब तक लगभग 20 नवयुवक कलाकार अपनी कला का मंचन इस पेज पर कर चुके हैं। संस्था द्वारा किया गया यह प्रयास अत्यंत सराहनीय एवं प्रशंसनीय है, जिससे अनेक नए कलाकारों को मंच प्राप्त हो रहा है। निश्चय ही यह प्रयास कहीं न कहीं संस्कृति और पर्यावरण के संरक्षण में अवश्य सहायक सिद्ध होगा।
उक्त जानकारी देते हुए स्थानीय वी एन भातखंडे महाविद्यालय की शिक्षिका ज्योति शर्मा ने बताया है कि इसी श्रृंखला को आगे बढ़ाने तथा ऋतुराज वसंत के स्वागत हेतु कला श्रृंखला के तत्वावधान में "वसंतनाद" नामक गायन एवम् नृत्य की ऑनलाइन प्रतियोगिता का आयोजन सुनिश्चित किया गया है जिसके परिणाम की घोषणा व पुरस्कार वितरण 16 फ़रवरी 2021 को वसंत पंचमी पर्व पर किया जाएगा। देश के सुविख्यात कलाकारों द्वारा इस प्रतियोगिता का निर्णय लिया जाना सुनिश्चित है । उन्होंने सभी से अनुरोध किया है कि अपने बच्चो को इस आयोजन का हिस्सा बनाकर संस्कृति और पर्यावरण संरक्षण में यथासंभव सहयोग करें और अधिक से अधिक लोगों को इसमें प्रतिभागिता हेतु प्रोत्साहित करें।
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