नीर बिना सब सूना
तीन दोहा मुक्तक...
विषय : नीर बिना सब सूना
हम सब का दायित्व है, सदा बचायें नीर।
बरबादी जल की सदा, देगी सब को पीर।
तरसेंगे इसके लिये, मत करिए बरबाद।
सूखें नदियाँ-नार सब, मिल जायें दो तीर।।1
संसाधन जल के सभी, संरक्षित हों आज।
व्यर्थ न हो अब बूँद भी, जागृत बने समाज।
नये तरीके खोज कर, दोहन को लें रोक।
ऐसे संग्रह हम करें, धरा न हो नाराज।।2
अति दोहन को रोक लें, सीमित करें प्रयोग।
सफल करें अभियान यह, जुड़ कर सारे लोग।
हो अकाल का सामना, अगर न चाहें आप।
मिलकर सब निश्चय करें, व्यर्थ न हो उपभोग।।3
प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा
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