धनसिंह—समीक्षा न्यूज
गुण,कर्म,स्वभाव से तय होती थी वर्ण व्यवस्था-डॉ. रामचंद्र (कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय)
व्यक्ति के पद,गरिमा से हो दंड व्यवस्था-राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य
गाज़ियाबाद। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में "मनुस्मृति में जीवन दर्शन" विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन जूम पर किया गया।जिसमें मनुस्मृति के संदर्भ में व्याप्त धारणाओं के प्रति शंका समाधान भी किया गया।यह परिषद का 146 वां वेबिनार था।
संस्कृत विभाग अध्यक्ष,कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के डॉ रामचंद्र ने "मनुस्मृति में जीवन दर्शन" विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वर्ण व्यवस्था जन्म से नहीं अपितु व्यक्ति के गुण,कर्म स्वभाव से तय होती थी।उच्च कुल में पैदा हुआ व्यक्ति गुण के आधार पर शूद्र कहलाता है और निम्न कुल में जन्म लेने वाला गुण के आधार पर ब्राह्मण कहलाता है।पुरातन काल में जाति व्यवस्था गुण के आधार पर ही तय होती रही। मनुस्मृति में कहा गया है कि वेद सभी धर्म का मूल है,वेद का अध्ययन सभी मनुष्यों को करना चाहिए।भोजन जीवन का निर्माण करता है उन्होंने कहा कि मनुस्मृति जीवन के सिद्धांत की शिक्षा देती है।व्यक्ति के गलत आचरण से समाज का आचरण भी गलत हो जाता है।महर्षि मनु जी ने वैदिक विचारधारा को अपने अनमोल ग्रंथ मनु स्मृति में जीवन के हर पहलू को उजागर किया है।मनुस्मृति के सही जीवन दर्शन को प्रत्येक मनुष्य तक पहुंचाने की आज अति आवश्यकता है।मनुस्मृति में पांच महायज्ञ को भी विशेष स्थान दिया गया है।मनुस्मृति में कानून का भी संदेश दिया गया है।बताते हैं कि समाज को सुदृढ़ करना है तो दंड व्यवस्था को कठोर होना चाहिए।मनुस्मृति का जीवन दर्शन समाज को बेहतर दिशा में ले जाने का मार्ग है।
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने अखिल भारत हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्र प्रकाश कौशिक के निधन पर विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की ओर कहा कि वह हिंदुत्व के प्रति समर्पित जुझारू कार्यकर्ता थे।
उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि मनुस्मृति व्यक्ति की गरिमा व पद के अनुसार दंड व्यवस्था करने का आदेश देती है।उन्होंने कहा कि स्वाध्याय के माध्यम से मनुष्य उत्कृष्ट हो सकता है मनुस्मृति में भी इस बात का वर्णन है व्यक्ति को प्रतिदिन आत्मनिरीक्षण करते रहना चाहिए यह देखना चाहिए कि कौन से आचरण हमसे गलत हुआ है और कौन से आचरण हमसे सही हुआ है।जो गलती आज हुई है उसे कल सुधारने का प्रयास करते रहना चाहिए।
आर्य नेता सुरेन्द्र शास्त्री ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि हमारे देश का स्वर्णिम काल लगभग 8 वीं सदी से पहले का वो समय था जब समाज व्यवस्था और राज व्यवस्था मनुस्मृति के अनुसार थी और उसके बाद का हमारे देश का पतनकाल वो समय था जब हमने हजारों वर्षों की परतंत्रता झेली और ये वो समय था जब समाज व्यवस्था विदेशी व्यवस्था पर आधारित थी जिसमे केवल शोषण था।
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद उत्तर प्रदेश के प्रांतीय महामंत्री प्रवीण आर्य ने कहा कि महर्षि मनु जी ने वैदिक विचारधारा को अपने अनमोल ग्रंथ मनु स्मृति में जीवन के हर पहलू को उजागर किया है।
योगाचार्य सौरभ गुप्ता ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में ये दिखाई देता है कि आज की युवा पीढ़ी वैदिक संस्कृति के मूल से दूर है आज अभियान चला कर युवा पीढ़ी को वैदिक संस्कृति से अवगत कराने आवश्यकता है।
गायिका दीप्ति सपरा,पुष्पा शास्त्री,सविता आर्या,कीर्ति खुराना,संगीता आर्या,किरण सहगल,रविन्द्र गुप्ता,आशा आर्या,ईश्वर देवी (अलवर)आदि ने अपने गीतों से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
मुख्य रूप से आनन्द प्रकाश आर्य,यशोवीर आर्य,धर्मपाल आर्य,नरेन्द्र आहूजा विवेक,डॉ मनोज तंवर,चन्द्रकान्ता आर्या, उर्मिला आर्या,आनन्द सूरी, हरिओम शास्त्री,अरुण आर्य,सुरेश सेठी,विकास भाटिया,राजेश मेहंदीरत्ता आदि उपस्थित थे।
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