मकर सक्रांति, पोंगल और बिहू की अनंत शुभकामनाएं_
शीर्षक : "मकर संक्रांति"
उत्तरायण पर्व है संक्रांति इसको बोलते।
आ दिवाकर मकर में मधुमास के पट खोलते।1
दिन बड़े होने लगे रातें घटें प्रत्येक दिन।
मुक्त होकर शरद से बासन्त उपवन डोलते।2
दान पुण्य करें सभी स्नान तीरथ में करें।
शीत से काँपे बदन तो गंग हर-हर बोलते।3
उड़ रही नभ में पतंगें भोग खिचड़ी का लगे।
सिंधु आस्था देख मन मानव खुशी से डोलते।4
हर कहीं है धूमधाम हुलास की लहरें उठें।
देश भर में लोग नव उल्लास का रस घोलते।5
कर्नल प्रवीण व मीनू त्रिपाठी, नोएडा, 14 जनवरी 2021
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