शीर्षक "नेता जी सुभाष चंद्र बोस"




भारत को आज़ाद कराने, आगे आए नेता जी।

राष्ट्र प्रेम की बलिवेदी पर, प्राण गँवाए नेता जी।1


बचपन से ही देशप्रेम था, दौड़ा करता नस-नस में।

कठिन राह थी आज़ादी की, खुद चुन लाए नेता जी।2


पढ़लिख कर बैरिस्टर होंगे, बाबू जी सपना पाले।

पर सुभाष ने सब कुछ त्यागा, तब बन पाए नेता जी।3


गर्म खून में जोश भरा था, और गर्म दल बनवाया।

त्याग अहिंसा का पथ इक दिन, शस्त्र उठाए नेता जी।4


गठित किया आज़ाद हिंद बल, अंग्रेजों से लड़ने को।

भिड़े ब्रिटिश सेनाओं से बिन, समय गँवाए नेता जी।5


लगा जान की बाजी अपनी, डर उत्पन्न किया रिपु में।

अंडमान को सबसे पहले, वापस लाए नेता जी।6


मुझे खून दो मैं आज़ादी, दूँगा हरदम कहते थे।

विलासिता को त्याग देश हित, जंगल आए नेता जी।7


नमन करें हम उस विभूति को, स्वार्थ नहीं अपना देखा।

उनके पीछे देश चल पड़ा, तब कहलाए नेता जी।8


उनके जैसा भाव हृदय रख, करें देश सेवा हम सब।

दृश्य देख अनुपम भारत का, खुश हो जाए नेता जी।9


कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा, 23 जनवरी 2021

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