सन्त रविदास व गाडगे महराज को किया याद




धनसिंह—समीक्षा न्यूज  

गाजियाबाद। सत्योदय बुद्ध विहार, डा0 अम्बेडकर पार्क लाजपत नगर जी0 टी0 रोड साहिबाबाद के प्रांगण में महान दार्शनिक, समाज सुधारक, सामाजिक क्रांति के अग्रदूत, बेजोड़ कवि सन्त शिरोमणि रविदास ने उपेक्षित, वंचित और लाचार तथा दलित समाज के सर्वांगीण उत्थान के लिए जीवन भर पूरे देश में भ्रमण कर पाखण्ड और जातिवाद के विरोध में जागरण करते हुए समता, त्याग, तपस्या, सत्य, अहिंसा का सन्देश दिया, जयन्ती का आयोजन डा0 अम्बेदकर जन कल्याण परिषद् उत्तर प्रदेश ने किया, कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राम दुलार यादव संस्थापक/अध्यक्ष लोक शिक्षण अभियान ट्रस्ट रहे, अध्यक्षता समाज सेविका अरविंदर कौर ने, संचालन संस्था के अध्यक्ष लक्ष्मण प्रसाद ने किया, डा0 छज्जू सिंह सुजान, अरविन्द कमल, बिन्दू राय महिला उत्थान संस्था की राष्ट्रीय अध्यक्षा ने गीत प्रस्तुत किया, डी0 पी0 मौर्य, कैलाश चन्द ने कार्यक्रम को सम्बोधित किया, सन्त रविदास व गाडगे महराज के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें स्मरण करते हुए, उनके बताये रास्ते पर चलने का संकल्प लिया गया|

   कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि राम दुलार यादव ने कहा कि सन्त शिरोमणि रविदास जी के जीवन काल में देश में सामंतवादी व्यवस्था थी, जातिवाद, धार्मिक पाखण्ड, ऊँच-नीच, विषमता, शोषण, अन्याय, अत्याचार चरम सीमा पर था, गरीबी भूख, पीड़ा के कारण शोषित, पीड़ित, दलित जनता अशिक्षा, अमानवीयता की शिकार थी, उस समय रविदास जी ने निर्भीकता पूर्वक जनता में सन्देश दिया “रविदास जन्म के कारणें, कोई न होता नीच| नीच नर कौं करि डारै हैं, ओछे कर्म की कीच”|| उन्होंने स्वयं जूता बनाकर तथा मरम्मत का कार्य कर अपने परिवार का भरण-पोषण किया तथा जरुरतमंद लोगों की सेवा किया| उन्होंने अपनी आजीविका को धन कमाने का साधन बनाने के बजाय सेवा का माध्यम बनाया| लोग उनकी वाणी की मधुरता और ज्ञान से प्रभावित थे| उनके आगे ज्ञानी भी नतमस्तक हो जाते थे| हमें सन्त रविदास जी के जीवन से प्रेरणा लेकर उनके बताए मार्ग पर चलकर समाज में सद्भाव, भाईचारा, प्रेम, और सहयोग से रहना चाहिए तथा देश, समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर करने का प्रयत्न करना चाहिए| मुख्य अतिथि राम दुलार यादव ने छज्जू सिंह ‘सुजान’ द्वारा लिखित “मै” “अहं” और “अहम” पुस्तक का विमोचन किया|

   डा0 अशोक, राजकुमार, आर0 पी0 सिंह, अर्जुन प्रधान तथा महिलाओं, पुरुषों, विद्वानों, शिक्षाविदों ने सन्त रविदास, बाबा गाडगे जी महराज के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें याद किया| कार्यक्रम के अन्त में प्रसाद वितरण, भोजन भंडारा हुआ|

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