कोरोना काल में 181 वां वेबिनार सोल्लास सम्पन्न



धनसिंह—समीक्षा न्यूज  

"त्रेतवाद का सिद्धान्त" महर्षि दयानन्द सरस्वती की अनुपम देन है-डॉ. हरिओम शास्त्री

जीव,ईश्वर,प्रकृति सृष्टि के आधार है-राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य


गाजियाबाद। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के द्वारा महर्षि दयानन्द सरस्वती द्वारा प्रतिपादित "त्रैतवाद" सिद्धान्त पर गोष्ठी का आयोजन ज़ूम पर ऑनलाइन किया गया। यह परिषद् का 181वां वेबिनार था।

वैदिक विद्धवान डॉ हरिओम शास्त्री (फरीदाबाद) ने कहा कि महर्षि दयानन्द ने वेद,वेदांग, उपांग,उपनिषद सहित समस्त उपलब्ध प्राचीन साहित्य का अध्ययन किया था जिससे वह जान सके कि ईश्वर का जीवात्मा और प्रकृति से पृथक स्वतन्त्र अस्तित्व हैं।ईश्वर-जीव-प्रकृति की एक दूसरे से भिन्न पृथक व स्वतन्त्र सत्ताओं को ही त्रैतवाद के नाम से जाना जाता है।ये तीनों मिलकर ही सृष्टि को बनाते व चलाते हैं।

केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि ईश्वर से अतिरिक्त जीव व प्रकृति पृथक हैं,यह ईश्वर के बनाये व उसके अंश आदि नहीं हैं।जीव अनादि व चेतन तत्व है जबकि प्रकृति अनादि व जड़ तत्व है और यह दोनों ही अनेक बातों में ईश्वर के वश व नियन्त्रण में हैं।

कार्यक्रम अध्यक्ष आर्य प्रतिनिधि सभा हिमाचल के अध्यक्ष प्रबोध चंद्र सूद,एडवोकेट ने कहा कि महर्षि दयानन्द जी ने अपनी इन मान्यताओं को बिना किसी की चुनौती के स्वयं ही अपने ग्रन्थों में प्रस्तुत किया है जिससे अद्वैतवाद खण्डित हो जाता है और त्रैतवाद अखण्डित रहता है वा सत्य सिद्ध होता है।

केन्द्रीय आर्य युवक परिषद उत्तर प्रदेश के महामंत्री प्रवीण आर्य ने कहा कि महर्षि दयानन्द ईश्वर को सृष्टि का धारण कर्ता,प्रलयकर्त्ता, जगत का स्वामी और जगत में व्यापक सत्ता बताते थे। 

गायिका प्रवीना ठक्कर,आदर्श मेहता,सुषमा गुगलानी,जनक अरोड़ा,रविन्द्र गुप्ता,नरेश खन्ना, कुसुम भण्डारी,संध्या पांडेय, प्रतिभा सपरा,प्रज्ञा आर्या आदि ने अपने गीतों से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।

इस अवसर पर अजय सहगल, सौरभ गुप्ता,आनन्द प्रकाश आर्य,आनन्द सूरी,डॉ रचना चावला,ओम सपरा,उर्मिला आर्या(गुरुग्राम),सुरेश आर्य आदि उपस्थित थे।

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