दयानन्द दशमी व अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस सम्पन्न

 




धनसिंह—समीक्षा न्यूज   

नारी जाति के उद्धारक थे महर्षि दयानंद -डॉ. सुषमा आर्या

वरिष्ठ राजनेताओं द्वारा पाखंड फैलाना चिंता का विषय -राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य

गाजियाबाद। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में "अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस" व आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद जी जन्मदिन "दयानन्द दशमी" के रूप में ऑनलाइन जूम पर मनाया गया।यह कोरोना काल मे परिषद का 185 वां वेबिनार था।

वैदिक विदुषी डॉ. सुषमा आर्या ने कहा कि महर्षि दयानंद जी के नारी जाति पर असंख्य उपकार हैं,उन्होंने समाज सुधार,नारी शिक्षा व वेदों को पढ़ने पढ़ाने पर बल दिया।बाल विवाह को निषेध किया व सती प्रथा को भी अनुचित ठहराया।उन्होंने विधवा विवाह का समर्थन किया।स्वामी जी का मानना था कि नर नारी सब एक समान है सबको यज्ञ करने का समान अधिकार है।

केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि महर्षि दयानंद ने समाज में फैली कुरूतियों,रुढ़ियों,पाखंड का पुरजोर विरोध किया,लेकिन आज के वरिष्ठ राजनेता मूर्ति पूजा,मूक जानवरों का पशु वध आदि कार्य करके या उपस्थिति देकर पाखंड अंधविश्वास को बढ़ावा दे रहे हैं जोकि चिंता का विषय है क्योंकि आम जनता उनका अनुसरण करती हैं।उन्होंने कहा कि आर्य समाज ने महिलाओं की शिक्षा व सुसंस्कृत करने के लिए अनेको गुरुकुल व विद्यालय,महाविद्यालय स्थापित किये और उन्हें स्वालम्बी व स्वाभिमानी बनाने में उल्लेखनीय योगदान दिया।

आर्य नेत्री उर्मिला आर्य ने कहा कि नारी अब अबला नहीं सबला है और हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना रही है। 

कार्यक्रम अध्यक्ष बहिन मंजू (प्रभारी,पतञ्जलि महिला योग समिति तेलंगाना) ने अपनी बेटियों को बहादुर,स्वालम्बी, शिक्षित करने का आह्वान किया, उन्हें ऐसा मजबूत बनाये जिससे वह जिंदगी के रणक्षेत्र में अपने भाग्य निर्माता स्वयं बन सके।

गाजियाबाद से प्रवीण आर्य,नोएडा से मर्दुल अग्रवाल, हापुड़ से पुष्पा आर्या,हिसार से ईश आर्य,सुदेश आर्या,आशा आर्य,प्रेम हंस(ऑस्ट्रेलिया),ईश्वर देवी,सुषमा बुद्धिराजा,प्रगति आर्या,विजया रानी शर्मा ,कुसुम भंडारी,प्रतिभा कटारिया आदि ने भी अपने विचार रखे ।


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