शिवरात्रि महर्षि दयानंद की बोध रात्रि बन गई



धनसिंह—समीक्षा न्यूज      

महर्षि दयानंद की शिक्षाओं को जन जन तक पहुचाने का संकल्प लें-आर्य रविदेव गुप्ता

महर्षि दयानंद ने सोचने की दिशा व दशा ही बदल डाली-राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य

गाजियाबाद। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में शिवरात्रि के उपलक्ष्य में "ऋषि बोधोत्सव"  का आयोजन ऑनलाइन जूम पर किया गया।उल्लेखनीय है कि स्वामी दयानंद जी को 14 वर्ष की आयु में शिवरात्रि के दिन बोध प्राप्त हुआ था और वह मूलशंकर से दयानंद बन गए,बाद में सत्य के प्रचार प्रसार के लिए आर्य समाज की स्थापना की।यह परिषद का कोरोना काल मे 186 वां वेबिनार था।

वैदिक विद्वान आर्य रविदेव गुप्ता ने कहा कि वेदों की शिक्षाओं को अपनाने पर महर्षि दयानंद ने बहुत अधिक जोर दिया।उन्होंने पाखंड अंधविश्वासों पर गहरी चोट की जिससे समाज मे जागरूकता बढ़ी।उनका कहना था कि वेद ईश्वर कृत ज्ञान है और संसार के हर ज्ञान का सार इसमें निहित है।आज ऋषि बोध दिवस के दिन उनके प्रति हमारी यही  सच्ची श्रद्धांजलि होगी कि हम सब अपने अपने स्तर पर उनके द्वारा दिखाए रास्ते पर चलने का प्रयास करें और आर्य समाज की नींव को मजबूत करने के लिए योगदान दें।

केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि महर्षि दयानंद वैचारिक क्रांति के अग्रदूत थे,उन्होंने अपने गहन चिंतन व विचारों से लोगों की सोचने की दिशा व दशा बदल डाली उनके आदर्श आज भी प्रासंगिक हैं।उन्होंने आर्य समाज की स्थापना करके हम सभी का कल्याण किया।इसी आत्मबोध और आत्मज्ञान को इस महान विभूति ने हिन्दू जाति के उत्थान का आधार बनाया।उनके विचारों और संदेशों को प्रचारित करने के लिए हमे पुरजोर प्रयास करना चाहिए।

मुख्य अतिथि पूर्व मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट व उत्तरी दिल्ली वेद प्रचार मंडल के प्रधान ओम सपरा ने कहा कि ऋषि बोध उत्सव पर हमें संकल्प लेना चाहिए कि ऋषि के संदेशों को प्रचारित करने के लिए शिक्षा प्रणाली में सुधार करने हेतु आर्य विद्यालयों को प्रारम्भ करें।

कार्यक्रम अध्यक्ष आंतरिक लोकपाल पी एन बी महेन्द्र प्रताप नागपाल ने कहा कि प्रत्येक वर्ष ऋषि बोध उत्सव पर हमें आत्म चिंतन करने का प्रयास करना चाहिए।हमने क्या पाया क्या खोया इसका विचार करें और आर्ष ग्रन्थो का स्वाध्याय करें।

केन्द्रीय आर्य युवक परिषद उत्तर प्रदेश के महामंत्री प्रवीण आर्य ने  कहा कि महर्षि ऋषि दयानन्द सरस्वती के ऋण को चुकाने के लिए आर्य(श्रेष्ठ) राष्ट्र का निर्माण करने का प्रयास सभी आर्यों को करना चाहिए।

गायिका दीप्ति सपरा,नरेन्द्र आर्य सुमन,कुसुम भण्डारी,मृदुला अग्रवाल,संध्या पांडेय,ईश्वर देवी आर्या(अलवर),प्रतिभा कटारिया, शांता तनेजा,सुशांता आर्या,द्रोपदी तनेजा,प्रतिभा सपरा,राजश्री यादव,उर्मिला आर्या(गुरुग्राम), रविन्द्र गुप्ता आदि ने गीतों के माध्यम से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।

इस अवसर पर रामकुमार सिंह आर्य,देवेन्द्र भगत,सौरभ गुप्ता, अरुण आर्य,आर पी सूरी,डी पी परमार,आनन्द प्रकाश आर्य, कमलेश हसीजा,वेदप्रभा बरेजा, ललित बजाज,डॉ रचना चावला, विजय हंस,राजेश मेंहदीरत्ता आदि उपस्थित थे।


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