डॉली शर्मा ने कोरोना के कारण हो रही अव्यवस्थाओं को लेकर जिलाधिकारी को लिखा पत्र



समीक्षा न्यूज नेटवर्क

गाजियाबाद। महानगर कांग्रेस कमेटी गाजियाबाद के पूर्व अध्यक्ष व वरिष्ठ कांग्रेस नेता नरेंद्र भारद्वाज की पुत्री डॉली शर्मा ने कोरोना काल के दूसरे दौर में भी अपने उदारवादी दृष्टिकोण और जनहित के कार्यों से जनमानस का ध्यान अपनी ओर खींचा है और पिछले दो दिनों से जनपदीय ही नहीं बल्कि सूबे की सियासत में छाई हुई हैं। इसे महसूस कर अन्य नेतागण दांतों तले अंगुली दबा रहे हैं कि ये कैसा सियासी शॉट मारा है डॉली शर्मा ने, कि जनपद के कतिपय दिग्गज नेता भी धराशायी महसूस कर रहे हैं। 

बता दें कि नेहरू-गांधी परिवार के आह्वान पर पिछले साल पिता-पुत्री की इस कांग्रेसी सियासी जोड़ी ने कोरोना पीड़ितों की तन, मन, धन से उल्लेखनीय मदद की और जनता व पार्टी दोनों का भरोसा हासिल किया। लेकिन इस बार उन्होंने वह कर दिखाया, जो पीएम नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल के सुपर स्टार मंत्री माने जाने वाले और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के करीबियों में शुमार किये जाने वाले गाजियाबाद के सांसद और केंद्रीय सड़क निर्माण, राजमार्ग  एवं परिवहन राज्यमंत्री जनरल वी के सिंह भी नहीं कर पाए!

जी हां, एक अदद बेड की व्यवस्था! कहा जा रहा है कि जब जनरल सिंह अपने किसी खास रोगी व्यक्ति को गाजियाबाद या दिल्ली-एनसीआर में बेड की व्यवस्था नहीं करवा पाए तो उन्होंने गाजियाबाद डीएम से सहयोग मांगा, जिस पर मुख्यमंत्री के सूचना सलाहकार शलभ मणि त्रिपाठी ने भी मदद की हामी भरी। लेकिन जब सभी असहाय दिखे और मीडिया में यह बात तूल पकड़ी तो राजनीति की धुरंधर समझी जाने वाली डॉली शर्मा ने बिना समय गंवाए जनरल वी के सिंह के द्वारा अग्रसारित रोगी के लिए एक बेड की व्यवस्था गाजियाबाद न सही, लेकिन हापुड़ के एक निजी अस्पताल, जिसे हाल में ही कोविड सेंटर में तब्दील किया गया है, में करवा दिया और जिस ट्विटर से जानकारी पाकर उन्होंने यह सबकुछ किया, उसी के सहारे सम्बन्धित लोगों तक जानकारी भी पहुंचा कर बात मीडिया में सार्वजनिक कर दी। इससे सियासी रंग और चोखा हो गया! इसे आप बीजेपी-कांग्रेस का फिक्स मैच मत समझ लीजिएगा। क्योंकि सबकुछ अनायास हुआ या सायास, वही बेहतर बता सकते हैं!

कहा जा रहा है कि जिस व्यक्ति ने लोकसभा चुनाव 2019 में उन्हें शिकस्त दी हो, उसी के अधूरे कार्य को मानवता के आधार पर पूरे कर दिखाना कोई छोटी बात नहीं है। यह उदारमना पिता की उदार बेटी ही कर सकती है। उन्होंने अपने कदम से गाजियाबाद में सियासी उदारता की एक बड़ी लकीर खींच दी है। साथ ही, गाजियाबाद के उन नेताओं को परोक्ष संदेश भी दे दिया है कि जनरल सिंह जैसे सज्जन नेता के साथ बहुत सारे वैसे लोग भी हैं, जो समय के साथ प्रकट होते जाएंगे। 

कहा जा रहा है कि डॉली के कदम से जनरल के धुर विरोधी एक नेता भी खुद को धूलधूसरित महसूस कर रहे हैं। क्योंकि उनका धनबल और सम्पर्क बल भी जनरल साहब का बाल बांका नहीं कर पाया।....आगे आगे देखिए, होता है क्या?

इधर, एआईसीसी सदस्य और गाजियाबाद की पूर्व महापौर प्रत्याशी, पूर्व लोकसभा प्रत्याशी डॉली शर्मा ने जिलाधिकारी अजय शंकर पांडेय को पत्र लिखकर खत्म होते बेड, अॉक्सीजन, वेंटिलेटर और प्लाज्मा का ना मिलना, टेस्टिंग ना हो पाना और अंतिम संस्कार के लिए जगह ना मिलने के सम्बन्ध में अपनी चिंता जताकर राज्य सरकार की नाकामियों पर प्रत्यक्ष हमला बोला। 

कांग्रेस नेत्री डोली शर्मा ने डीएम को पत्र में लिखा है कि आशा है आप स्वस्थ होंगे, लोगों को सुविधाएं पहुंचाने में आप भी प्रसासरत है, लेकिन स्थिति बड़ी भयावह है, लोग बेड, अॉक्सीजन, वेंटीलेटर, प्लाज्मा, टेस्टिंग ना हो पाने, आर.टी.पी.सी. आर रिपोर्ट ना मिल पाने के चलते सड़को पर भटक रहे है। बहुत लोगो के परिजनों की तो रास्ते में ही मौत हो रही है, शमशान घाटों पर कतारे लगी है, कहीं कहीं तो देखा जा रहा है रोड़ के किनारे में ही अंतिम संस्कार किए जा रहे हैं। अतः मेरी आपसे विनती है कि इस भयावह स्थिति को देखते हुए गाजियाबाद रामलीला मैदान के हॉल्स, हिंदी भवन, मानसरोवर भवन, हज हाउस, नये बस अड्डे पर बंद पड़ा हुआ रेड मॉल जैसी जगहों को भी कोविड सेंटर में तब्दील कर देना चाहिए। मुझे उम्मीद नहीं पूरा यकीन है कि आप इस बात को ध्यान में रखते हुए, मेरे गाजियाबाद के भाई बहनों को राहत पहुचायेंगे।

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