इस महामारी के प्रकोप ने लोगों के दिलों में दहशत पैदा कर दी है। हर समय दिल में डर समाया रहता है। ऐसे ही कुछ भाव प्रस्तुत हैं...



समीक्षा न्यूज 

समय का चक्र

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है समय का चक्र कैसा

मौत  चारो ओर है ,

काल सिर मंडरा रहा है

हर तरफ ये शोर है..!

ज़िन्दगी बस आज ही है

कल छुपा इक राज है ,

 है यही पैगाम सबको

मौत का आगाज़ है।

 इन पलों को हम सँजोलें

साँस हर  कमजोर है ,

काल सिर मंडरा रहा है

हर तरफ ये शोर है..!

बढ़ गयीं हैं दूरियां ही

एक दूजे के लिए ,

है नहीं मालूम हम को

कल मिलें या ना मिलें ,

हो नहीं कोई जुदा अब

यत्न ये पुरजोर है ,

काल सिर मंडरा रहा है

हर तरफ ये शोर है..!

मंजु कौशिक



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