समीक्षा न्यूज
समय का चक्र
..................
है समय का चक्र कैसा
मौत चारो ओर है ,
काल सिर मंडरा रहा है
हर तरफ ये शोर है..!
ज़िन्दगी बस आज ही है
कल छुपा इक राज है ,
है यही पैगाम सबको
मौत का आगाज़ है।
इन पलों को हम सँजोलें
साँस हर कमजोर है ,
काल सिर मंडरा रहा है
हर तरफ ये शोर है..!
बढ़ गयीं हैं दूरियां ही
एक दूजे के लिए ,
है नहीं मालूम हम को
कल मिलें या ना मिलें ,
हो नहीं कोई जुदा अब
यत्न ये पुरजोर है ,
काल सिर मंडरा रहा है
हर तरफ ये शोर है..!
मंजु कौशिक
0 Comments