भगवान की सगुण व निर्गुण भक्ति से ही मानव कल्याण संभव -आचार्य चंद्रशेखर शर्मा(ग्वालियर)




गरीब,असहाय,भूखे प्यासे की सेवा ही सुगुण भक्ति है -राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य

धनसिंह—समीक्षा न्यूज 

गाजियाबाद। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में "भगवान की सगुण और निर्गुण भक्ति विषय" पर आर्य गोष्ठी का आयोजन किया गया । यह कोरोना काल में परिषद का 227 वां वेबिनार था।

वैदिक विद्वान आचार्य चंद्रशेखर शर्मा (ग्वालियर) ने भगवान की सगुण निर्गुण भक्ति पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि जो गुणों से रहित है वह निर्गुण भक्ति है, जो गुणों से सहित है वह सगुण भक्ति है, जो जो गुण परमेश्वर में हैं उन से युक्त और जो जो गुण नहीं है उन से पृथक मानकर प्रशंसा करना सगुण निर्गुण स्तुति है।शुभ गुणों के ग्रहण की ईश्वर से इच्छा और दोष छुड़ाने के लिए परमात्मा की सहायता चाहना सगुण निर्गुण प्रार्थना है। सब दोषों से रहित सब गुणों से सहित परमेश्वर को मानकर अपने आत्मा को उसके और उसकी आज्ञा के अर्पण कर देना सगुण निर्गुण उपासना है, उन्होंने आगे कहा महर्षि दयानंद के दिव्य जीवन के ध्यान पक्ष, भक्ति पक्ष, योग पक्ष, जाप पक्ष,मौन पक्ष, सेवा पक्ष, मानव धर्म पक्ष और राष्ट्रप्रेम पक्ष पर अधिक ध्यान देना चाहिए जिससे आत्मौद्धार एवं मानवौद्धार होगा, व मानव का कल्याण संभव होगा।


केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि ईश्वर की सच्ची भक्ति गरीब, असहाय,भूखे प्यासे व्यक्ति की सेवा है यही सुगुण भक्ति है। मानव जीवन सेवा के लिए मिला है हमें जरूरतमंदों की सेवा व सहायता करके सफल बनाना चाहिए।

प्रान्तीय महामंत्री प्रवीण आर्य ने कहा कि आर्य समाज का छठा नियम भी कहता है कि "संसार का उपकार करना इस समाज का मुख्य उद्देश्य है अतः परोपकार की भावना से मनुष्य को कार्य करते रहना चाहिए।

अध्यक्षता करते हुए आर्य नेत्री चंद्रकांता आर्या व मुख्य अतिथि कृष्ण लाल राणा ने भी अपने विचार रखे और ईश्वर की भक्ति पर प्रकाश डाला।

गायिका सुदेश आर्या, रमा नागपाल,ईश्वर देवी, रेखा गौतम, रवीन्द्र गुप्ता, उमा आर्या, सुशीला यादव, बिंदु मदान आदि ने भजन सुनाये।

आचार्य महेन्द्र भाई, सौरभ गुप्ता, वीना आर्या, विनय मल्होत्रा, ईश आर्य, मनोज मान आदि उपस्थित थे।

भवदीय,

प्रवीण आर्य,

मीडिया प्रभारी,

9911404423,9716950820

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