संस्कृत पुरोहितों द्वारा ऑनलाइन शिक्षक संगोष्ठी संपन्न



समीक्षा न्यूज संवाददाता    

गाजियाबाद। "उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान लखनऊ" द्वारा चल रहे "त्रय मासिक" पौरोहित्य प्रशिक्षणार्थियों ने शिक्षक दिवस पर पौरोहित्य प्रशिक्षक के सानिध्य में एक संगोष्ठी ऑनलाइन संपन्न किया।

जिसमें सर्वप्रथम वेद पाठी देशराज ने वैदिक मंत्रों का उच्चारण किया।

वक्ता गण में आचार्य विवेक शास्त्री ने कहा कि शिक्षक अज्ञान को दूर करता है आदर्श शिक्षक व्यक्ति के अवगुणों को निकालता है,गुरु का ना होने पर हमारा जीवन अंधकार युक्त हो जाता है गुरु विद्यार्थियों के व्यक्तित्व को सजाता है गुरु का संकल्प राष्ट्र को उत्तम बनाता है।

 गुरु द्वारा दिया गया ज्ञान हमारे जीवन का निर्माण करता हैं, गुरु का ज्ञान कभी समाप्त होने वाला नहीं है।

प्रशिक्षणार्थी जितेंद्र कुमार ने कहा कि अच्छा शिक्षक जीवन भर छात्र बना रहता है सीखता है और दूसरों को सिखाता है।

ऑनलाइन शिक्षक संगोष्ठी में आचार्य ओमदेव ने कहा विद्या ऐसा धन है जो भाई नहीं बांट सकता चोर नहीं चुरा सकता तथा विदेश में जहां कोई ना हो वहां विद्या मित्र होता है सभी धन में विद्या धन उत्तम धन है।

कार्यक्रम का कुशल संचालन कर रहे सीताराम शास्त्री ने संचालन में कहा कि पिता और शिक्षक अपने पुत्र एवं शिष्य को अपने से ऊपर ऊंचा  उठता हुआ  देखना चाहते हैं।

विद्वान पुरोहित राजीव शास्त्री ने "तमसो मा ज्योतिर्गमय "सूक्ति से सबके मंगल मय की कामना की।

अंत में प्रशिक्षक आचार्य अग्निदेव शास्त्री ने शिक्षक दिवस पर अपनी शुभकामनाएं देते हुए कहा कि पुरोहित आदर्श शिक्षक के रूप में परिवार समाज एवं उत्तम राष्ट्र कल्याण की कामना करता है।


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