146 वीं लौहपुरुष सरदार पटेल जयंती सौल्लास सम्पन्न



धनसिंह—समीक्षा न्यूज  

अखण्ड भारत के शिल्पीकार थे सरदार पटेल -राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य

निर्भीकता व निर्णायकता के पर्याय थे सरदार पटेल - डॉ.गजराजसिंह आर्य

गाज़ियाबाद। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में 146 वीं सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती पर ऑनलाइन आर्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। उल्लेखनीय है कि सरदार पटेल का जन्म  गुजरात के नाडियाड में 31 अक्टूबर,1875 को हुआ था। संगठित भारत को बनाने में आपकी विशेष भूमिका मानी जाती है।सरदार पटेल को भारत की 565 रियासतों का विलय करके अखंड भारत के निर्माण के लिए याद किया जाता है। यह कोरोना काल में परिषद का 306 वां वेबिनार था।

केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि सरदार पटेल स्पष्ट एवं निर्भीक वक्ता थे।स्वतन्त्रता के बाद उन्हें उपप्रधानमन्त्री तथा गृहमन्त्री बनाया गया।गृहमन्त्री होने के कारण रजवाड़ों के भारत में विलय का विषय उनके पास था।सभी रियासतें स्वेच्छा से भारत में विलीन हो गयीं थी,पर जम्मू-कश्मीर,जूनागढ़ तथा हैदराबाद ने टेढ़ा रुख दिखाया। सरदार की प्रेरणा से जूनागढ़ में जन विद्रोह हुआ और वह भारत में मिल गयी।हैदराबाद में आर्य समाज का आंदोलन व फिर पुलिस कार्यवाही कर उसे भारत में मिला लिया गया।यदि सरदार पटेल न होते तो हिंदुस्तान का वर्तमान रूप ऐसा न होता, हिंदुस्तान खण्ड खण्ड में विभाजित होता।रजवाड़ों रियासतों का हिंदुस्तान में विलय करने का श्रेय सरदार पटेल को ही जाता है।आज आवश्यकता इस बात की है कि हम आजादी का मतलब समझें और राष्ट्र की एकता अखण्डता की रक्षा का संकल्प लें। देश की वर्तमान विषम परिस्थितियों में सरदार पटेल बहुत याद आते हैं।

मुख्य अतिथि डॉ.गजराज सिंह आर्य ने कहा कि सरदार पटेल गंभीर चिन्तक,बहुआयामी, आदर्शवादी व व्यवहारिक व्यक्तित्व के धनी थे। राष्ट्र के प्रति उनका प्रेम अद्वितीय था।वर्ष 1928 में गुजरात में बारडोली सत्याग्रह हुआ जिसका नेतृत्व वल्लभ भाई पटेल ने किया।उस समय प्रांतीय सरकार किसानों से भारी लगान वसूल रही थी।सरकार ने लगान में 30 फीसदी वृद्धि कर दी थी।जिसके चलते किसान बेहद परेशान थे।वल्लभ भाई पटेल ने सरकार की मनमानी का कड़ा विरोध किया।बारडोली सत्याग्रह की सफलता के बाद वहां की महिलाओं ने वल्लभ भाई पटेल को 'सरदार' की उपाधि दी।अगर आजादी के बाद नेहरू की जगह प्रधानमंत्री सरदार पटेल बनते तो आज कश्मीर व अलगावाद की समस्या नहीं होती।

कार्यक्रम अध्यक्ष सुरेन्द्र गुप्ता रने कहा कि सरदार पटेल के विचार से व्यक्ति की अधिक अच्छाई उसके मार्ग में बाधक है, इसलिए अपनी आंखों को क्रोध से लाल होने दीजिए और अन्याय का सामना मजबूत हाथों से कीजिए।निडर होकर अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाने में सर्वदा आगे रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने पटेल की जगह नेहरू को प्रधान मंत्री बनवा कर अनर्थ किया।

प्रान्तीय महामंत्री प्रवीण आर्य ने कहा कि भारत के राजनीतिक एकीकरण में लौहपुरूष,भारत रत्न सरदार वल्लभ भाई पटेल जी के योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता।

युवा गायिका रेखा गौतम, रेखा वर्मा,विजय खुल्लर, रेणु घई, कमलेश चांदना,वीरेन्द्र आहूजा, जनक अरोड़ा,विमला आहूजा, मधु खेड़ा,आदि ने गीतों के माध्यम से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।

प्रमुख रूप से संजय सत्यार्थी, प्रेमप्रकाश शर्मा,विनय अग्रवाल, प्रवीना ठक्कर,प्रवीन आर्या, ओमप्रकाश महेन्द्रू,राजेश चुघ, सत्यपाल आर्य,मीना अग्रवाल, आर्यन अग्रवाल,प्रतिभा कटारिया आदि उपस्थित थे ।

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