काम के प्रति लगन, निष्ठा व समर्पण की भावना ने यादगार बना दी सुमिता श्रीवास्तव की विदाई



वाचस्पति रयाल

समीक्षा न्यूज 

उच्च शिक्षा प्राप्त सुमिता ने 22 महीनों से भी कम समय में मनवाया अपने काम का लोहा

नरेंद्रनगर। क्वीली पट्टी के पोखरी स्थित बेलमती चौहान राजकीय महाविद्यालय में बतौर प्राचार्य रही प्रो० सुमिता श्रीवास्तव के विदाई समारोह में दृष्टिगोचर हुई झलकियों की बानगी इतना समझने के लिए काफी थी कि महाविद्यालय की आधारशिला रखने से लेकर उच्च शैक्षणिक वातावरण स्थापित करने को उनके भगीरथ प्रयत्न लंबे समय तक याद किए जाते रहेंगे।

  महाविद्यालय की प्राचार्य सुमिता श्रीवास्तव की इस विदाई समारोह में जुटी भारी भीड़ का जमावड़ा मात्र विदाई समारोह का शो नहीं,बल्कि सुमिता श्रीवास्तव द्वारा महा विद्यालय के चहुँमुखी विकास व बच्चों के उज्जवल भविष्य के निर्माण हेतु रखी नींव की प्रति सम्मान व आदर्श को दर्शा रहा था।

  अपने विदाई समारोह में जुटी भीड़ की आत्मीयता व आदर्श भावों को देख प्राचार्य भी गदगद थी।

  बताते चलें कि प्राचार्य सुमिता श्रीवास्तव का समायोजन श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय कैंपस ऋषिकेश होने के फलस्वरूप विदाई समारोह आयोजित किया गया था।

    प्राचार्य सुमिता श्रीवास्तव के विदाई समारोह में जुटी भारी भीड़ व कार्यक्रम की भव्यता बता रही थी कि लग्न, कर्मठता,निष्ठा,संघर्षशीलता व काम के प्रति समर्पण की भावना से लक्ष्य हासिल करने को उद्यत व्यक्ति जहां क्षेत्र के लोगों के दिलों में जगह बना लेता है,वहीं औरों के लिए  प्रेरणा व आदर्श  के रूप में भी पहचाने जाने लगता है।

   जाहिर सी बात है कि महाविद्यालय के समग्र विकास के लिए अपने इन्हीं उक्त विशेषताओं से लैस प्राचार्य सुमिता श्रीवास्तव की विदाई समारोह में जुटी भीड़ उनकी कर्मठता कोे दाद दे रही थी।

   प्राचार्य सुमिता श्रीवास्तव का विदाई समारोह के यादगार बनने के पीछे भी कुछ खास वजहें रही हैं।

   वो ये कि उत्तराखंड आंदोलन में शहीद हुई बेलमती चौहान के नाम से  पट्टी क्वीली के पोखरी में वर्ष 2013-14 में खुले इस महाविद्यालय के लिए जगह तलाशने के विचार निरंतर लोगों के दिलों दिमाग में तैरते ही रह गए।

   मगर दिसम्बर 2019 में बतौर प्राचार्य कार्यभार ग्रहण करते ही सुमिता श्रीवास्तव ने महाविद्यालय स्थापना हेतु भूमि चयन के मसले से लेकर महाविद्यालय की वेबसाइट निर्माण,लाइब्रेरी को ई- ग्रंथालय से जोड़ने,लचर शैक्षणिक व्यवस्था को पटरी पर लाने, वृक्षारोपण कराने, महाविद्यालय के सर्वांगीण विकास में स्टाफ को साथ लेकर चलने,उपयोगी सुझाव लेने, क्रीड़ा मैदान के अभाव में समय-समय पर खेल, सांस्कृतिक व सामान्य ज्ञान जैसी गतिविधियों को प्राथमिकता से कराने, महाविद्यालय को 4G कनेक्टिविटी से जोड़ने जैसे अनेकों कार्य करवाते हुए महाविद्यालय को एक नई दिशा दे डाली।

  अपने इन्हीं कार्यों के बदौलत प्राचार्य सुमिता श्रीवास्तव की क्षेत्र में एक आदर्श छवि निखर कर सामने आई।

महाविद्यालय के लिए किए गए अपने इन्हीं कार्यों की बदौलत सुमिता श्रीवास्तव का यह विदाई समारोह खास रंग में रंग गया।

 अपने विदाई समारोह को संबोधित करते हुए सुमिता श्रीवास्तव ने इन पंक्तियों को उद्धृत कर बता दिया कि कड़ी मेहनत ही सफलता की कुंजी है, उन्होंने कहा-

हौसलों के आगे कोई पर्दा नहीं होता

कड़े परिश्रम का कोई विकल्प नहीं होता।

दिल में हो जज्बा कुछ कर दिखाने का;

 तो जलते दिए को भी आँधियों का डर नहीं होता।




  विदाई समारोह को संबोधित करने वाले वक्ताओं में नरेंद्र बिजल्वाण ने यह कह कर विदाई समारोह को और भी गमगीन व संजीदा बना दिया कि:दस्तूर विदाई के,हैं ये मुद्दतों से पुराने;

आप जहां भी जाओ वहीं, गुनगुनाते रहें,आपके तराने    इस मौके पर डा० वंदना सेमवाल,प्रो०अरुण कुमार सिंह,रचना राणा, सरिता सैनी ,रेखा नेगी आदि ने प्राचार्य सुमिता श्रीवास्तव के उच्च कोटि का व्यवहार,कर्मठ कार्यशैली व महाविद्यालय को ढर्रे पर लाने की उनकी बेजोड़ क्षमताओं की जमकर प्रशंसा की।

महाविद्यालय परिवार की ओर से सुमिता श्रीवास्तव को विदाई पत्र व शॉल भेंटकर सम्मानित किया गया।

 छात्र-छात्राओं सहित महाविद्यालय स्टाफ तथा क्षेत्रवासियों की भारी उपस्थिति ने इस विदाई समारोह को यादगार बना दिया।

  महाविद्यालय में प्राचार्य सुमिता श्रीवास्तव के काम ने बता दिया कि निरंतर परिश्रम से जहां व्यक्ति सफलताओं की सीढ़ियां चढ़ता चला जाता है, वहीं समाज के बीच,उसकी खुद-ब-खुद खास पहचान बनती चली जाती है। अपने काम के दम पर औरों के लिए प्रेरणा बनी सुमिता श्रीवास्तव ने दिखा दिया कि:-

वो काम भी क्या जो इज्जत और शोहरत न दिला सके

धूल से भरी वो हथेली भी क्या,जो माटी में सोना न उगा सके

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