32 वें वार्षिकोत्सव पर सामवेद पारायण यज्ञ धूमधाम से संपन्न





समीक्षा न्यूज संवाददाता

प्रत्येक नागरिक राष्ट्र रक्षा के काम में लगे तब कहीं राष्ट्र की रक्षा होगी---माया प्रकाश

राष्ट्र रक्षा करने का दायित्व भी उनका है जो इसे माता मानते हैं-वीरेंद्र शास्त्री

गाजियाबाद। रविवार को आर्य समाज नया आर्य नगर मेरठ रोड के 32 वें वार्षिकोत्सव पर सामवेद पारायण यज्ञ सहारनपुर से पधारे वैदिक विद्वान श्री वीरेन्द्र कुमार शास्त्री के ब्रह्मत्व में धूमधाम से संपन्न हुआ,वेद पाठ आचार्य रामा शंकर,सत्य प्रकाश शास्त्री एवं कु.प्रियंका आर्या ने किया।

बिजनौर से पधारे सुप्रसिद्ध भजनोपदेशक श्री कुलदीप आर्य, कविता आर्या एवं साथी कला कारों ने ईश्वर भक्ति,दयानंद गुणगान एवं राष्ट्रभक्ति गीतों से समाबांध दिया जिसे सुनकर श्रोता झूम उठे।

राष्ट्र रक्षा सम्मेलन श्री श्रद्धानंद शर्मा की अध्यक्षता में प्रारंभ हुआ वेद वक्ता श्री माया प्रकाश त्यागी (कोषाध्यक्ष सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा दिल्ली) ने अपने उद्बोधन में कहा कि राष्ट्र का सम्मेलन तो आर्य समाज शुरू से करता आ रहा है। राष्ट्र के पुरोहित हम बनें और राष्ट्र रक्षा के लिए हमेशा तैयार रहें प्रत्येक नागरिक राष्ट्र रक्षा के काम में लगे तब कहीं राष्ट्र की रक्षा होगी चारों वर्ण ब्राह्मण,क्षत्रिय,वैश्य और शूद्र ।चारों को अपने शरीर में घटाया और बताया कि मुख् मंडल ब्राह्मण, बाजू क्षत्रिय,उदर वैश्य और पैर शूद्र यदि पैर ना हों तो तीनों नहीं ठहर सकते हैं शूद्र अछूत नहीं है ऋषि दयानंद इन्हें ऊंचा उठाया और आर्य समाज को आदेश दिया कि इन्हें हेयदृष्टि से मत देखना वेद ने मनुष्य को चार भागों में बांटा है।ब्राह्मण सही दिशा ना देगा तो लोग भटक जाएंगे क्षत्रिय रक्षा ना करें तो लोग लड़ लड़ के मर जाएंगे राष्ट्र की रक्षा चारों मिलकर करें। जनता को राष्ट्र कहते हैं सभी को साथ लेकर चलना है हम अपने लिए ना जिएं अपितु सब के कल्याण के लिए जिएं।

यज्ञ के ब्रह्मा एवं मुख्य वक्ता वैदिक विद्वान श्री वीरेंद्र शास्त्री ने कहा की आर्य समाज अट्ठारह सौ सत्तावन की क्रांति से राष्ट्र रक्षा सम्मेलन कर रहा है जब स्वतंत्रता नहीं थी तो भी यही कहते थे कि  राष्ट्र रक्षा करो उन्होंने बताया कि ऋषि दयानंद ने 1874 में 3-5 महीने में सत्यार्थ प्रकाश लिखा था। स्वतंत्रता के आंदोलन के मूल में ऋषि दयानंद की विचारधारा थी उन्होंने कहा था कि विदेशी राजा से स्वदेशी राजा अच्छा होता है लोकमान्य तिलक ने कहा था स्वतंत्रता मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है मनुष्य का दूध पीना जन्मसिद्ध अधिकार है लेकिन मांस खाना नहीं मनुष्य जन्म से स्वतंत्र रहना चाहता है गुलामी नहीं भारत में मांडलिक राजा भी स्वतंत्र थे परंतु चक्रवर्ती राजा से केवल परतंत्र थे प्राचीन इतिहास में भी कोई गुलाम नहीं थे देश स्वतंत्र तो हुआ परंतु बलिदानियों की भावना अनुकूल नहीं बन पाया दो टुकड़ों में भारत माता बंट गई भारत की सीमाएं तो सुरक्षित है। परन्तु भीतरघात से खतरा है।वेद कहता है धरती मेरी माता है और मैं इसका पुत्र इस नाते भारत हमारी माता है।दूसरा वर्ग डायन कहता है और भारत माता की जय नहीं बुलाएंगे कहता है।राष्ट्र रक्षा करने का दायित्व भी उनका है जो इसे माता मानते हैं इक्ष्वांकु कुल हमारे पूर्वज हैं जिस धरती पर तुम रहते हो उससे माता का संबंध है दुनियां का पहला राष्ट्र और आर्यव्रत था सारे देशों का निर्माण भारतवर्ष ने किया। महाभारत पर्यंत आर्यों का एकछत्र राज्य था जब तक संस्कृति को पढ़ेंगे नहीं तो संस्कृति की रक्षा नहीं हो पाएगी वेद कहता है मनुष्य बनो। राम ने रावण को क्यों मार दिया क्योंकि रावण  वैदिक संस्कृति को नष्ट करने वाला था इसलिए वध करा संस्कृति की रक्षा करने से राष्ट्र की रक्षा हो जाएगी राष्ट्र के प्रति समर्पण की भावना से हमें कार्य करना होगा।

समारोह के मुख्य अतिथि माननीय दिनेश गोयल जी एमएलसी विधायक ने आयोजकों का सुंदर आयोजन के लिए आभार व्यक्त किया और कहा कि जब भी देश में कोई समस्या आती है तो आर्य समाज मिलकर उसका समाधान खोजता है। ऋषि दयानंद कृत सत्यार्थ प्रकाश को पढ़कर मैंने देखा कि इसे पढ़ने से देश के प्रति समर्पण की भावना जाती है।

अध्यक्षीय उद्बोधन में श्री श्रद्धानंद शर्मा ने कहा कि देश की सत्ता सात आठ वर्षो से ऐसे लोगों के हाथ में है जो देश की सीमाओं को सुरक्षित करने में लगे हैं आधुनिक टेक्निक से सीमाओं पर काम हो रहा है ड्रैगन हो या कोई और इधर हिम्मत नहीं पड़ेगी आंख उठाकर देखने की समृद्धि शक्ति भी विश्व में हमारी सर्वोपरि है पश्चिमी सीमा हमारी और आंख उठा कर देख नहीं सकती अब वह चालाकी से आतंकवादियों को भेजती है वह बात एक अलग है सरकार सजग है सैन्य शक्ति जागरूक है। अंदर से जो आक्रमण हो रहा है उस पर विचार करने की आवश्यकता है अन्यथा आज नहीं तो 50 साल बाद देश हाथ से निकल जाएगा बाहर से पैसा मताअंतरण के लिए खर्च हो रहा है जो कि हमारे लिए घातक है। आज हमें अपने गौरवशाली इतिहास को अपनी नई जनरेशन को पढ़ाने की आवश्यकता है, बच्चों को संस्कारित करने की आवश्यकता है तभी राष्ट्र सुरक्षित रह पाएगा।

मंच का कुशल संचालन आर्य केंद्रीय सभा के महामंत्री श्री नरेंद्र पंचाल ने किया।

इस अवसर पर मुख्य रूप से सर्वश्री सत्यवीर चौधरी,संतलाल मिश्रा,केके यादव,संजीव मल्होत्रा,इंद्रसेन सोलंकी,सुभाष चंद गुप्ता,सत्येंद्र त्यागी,प्रवीण आर्य,जयपाल सिंह त्यागी,डॉ प्रतिभा सिंघल,फूलारानी मल्होत्रा,कौशल गुप्ता,आशा आर्या, बालमुकुंद विश्वकर्मा, रोहताश सोलंकी, तेजपाल आर्य आदि उपस्थित रहे।

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