'हम नहीं तो तुम नही'



मै एक वृक्ष हूं, मै मुझसे कह रहा हूं

तुमने मुझ टहनी को काटा है मै तुम्हारी शाख काटूंगा!

धनसिंह

गाजियाबाद। आज जहां देखो वहां चुनावी चर्चाओं का माहौल है। जिधर देखो वह चुनाव की बातें करता हुुआ नज़र आ रहा है चाहे उसे राजनीति से कुछ लेना देना ही ना हो। वहीं जो पार्टी कार्यकर्ता इस बार चुनाव लड़ने के पूरे मुढ़ में थे और उन्हें टिकट नहीं मिला, उनमें से कुछ अपने आपको तुर्रम खां समझते हुए यह समझ बैठे हैं कि 'हम नहीं तो तुम नही'। वहीं कुछ शांति से आगे की सोच कर बैठ गये है। यह तो अपनी अपनी सोच का फेर है। किन्तु हो सकता है कि कोई तुर्रम खां निकल ही जाये और वह अपने कटने का बदला वृक्ष की शाख को काट कर ले ले।

वहीं अगर नये नये पौधों की बात करें तो उन्हें बड़े वृक्ष अपने अपने फायदे के अनुसार प्रयोग या उपयोग में ला रहे हैं और यदि उस पौधे से कुछ फायदा नज़र नहीं आ रहा है तो उसे या तो दरकिनार कर दिया जा रहा है या फिर आगे के लिए 'लोलीपॉप' देकर शांत किया जा रहा है। वहीं कुछ नये पौधे उछाल मार मारकर अपने आप को 'तुर्रम खां' साबित करने की कोशिश करने में लगे हैं। जिससे की उनकी कुछ 'पूंछ' हो सके।





इस बार के चुनावों में ऐसा लग रहा है कि यह कोई छोटा मोटा घोटाला नहीं अपितु बहुत बड़ा घोटाला हुआ है। मुझे लगता है कि उत्तर प्रदेश में पहली और सबसे बड़ी गलती विशेष दो पार्टी हाईकमानों ने की है जिनकी सरकार बननी है और इन गलतियों का खामियाजा भी उन्हें भुगतना पड़ेगा ही। सरकार तो बनेगी ही पर किस किस का सहारा लेना पड़ेगा उसका पता नहीं। चलो एक पार्टी को तो सहारा मिल ही जायेगा किन्तु और दूसरी पार्टी को सहारा लेने की जरूरत पड़ी तो यह बड़ी समस्या हो जायेगी। ऐसे में पार्टी हाईकमानों को चाहिए कि इस बारे में सोच विचार कर अपनी अपनी ट​हनियों को सम्भाले और अपनी शाख कटने से बचाये।

अगर बात वर्तमान में फलहार वृक्ष की कि जाये तो ऐसा लग रहा है कि उसके माली को बड़े वृक्ष के मालियों द्वारा अपने पदों का खतरा देखते हुए उसकी ​टहनियों को काटा गया ताकि उस माली की विफलताओं को दिखाया जा सके जिसे की वह मुख्य माली ना बन सके। यह तो राजनीतिक मामले में जितनी ज्यादा बात कि जाये उतना कम है। खैर जो भी होगा वह आने वाले समय में सामने आ ही जायेगा। 

वहीं जिला गाजियाबाद की स्थिति को देखकर तो ऐसा लग रहा है कि 

चलेगी साईकिल, उड़ेगी धूल

2 पर साईकिल, 2 पर फूल

1 पर रस्साकसी होकर चलेगी ताना—तानी

जनता जानेगी अंत में ईवीएम की जबानी

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