स्वतंत्रता सेनानिययों के सिद्धांतों को साथ लेकर चलना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है- डीएम राकेश कुमार सिंह

 


धन सिंह समीक्षा न्यूज़

गाजियाबाद

दुर्गा भाभी का असली नाम दुर्गावती देवी था। दुर्गा भाभी का जन्म 07 अक्टूबर, 1907 को उत्तर प्रदेश के शहजादपुर गांव में हुआ था। दुर्गावती भारत की आजादी और ब्रिटिश सरकार को देश से बाहर खदेड़ने के लिए सशस्त्र क्रांति में सक्रिय भागीदार थीं। जब वह भगत सिंह और उनके दल में शामिल हुईं तो उन्हें आजादी के लिए लड़ने का मौका भी मिल गया। भारत की आजादी के लिए अपनी जान की परवाह किए बिना अंग्रेजो से लड़ने वालों में महिला स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का भी विशेष महत्व है। देश की आजादी की लड़ाई के लिए महिलाओं ने खुद को बलिदान कर दिया था। झांसी की रानी, अहिल्या बाई और कई दमदार व्यक्तित्व की महिलाओं की जाबांजी का भारतीय इतिहास गवाह है। इन महिलाओं में एक नाम भी शामिल हैं, वह हैं दुर्गावती का। 



दुर्गा भाभी भले ही भगत सिंह, सुख देव और राजगुरू की तरह फांसी पर न चढ़ी हों लेकिन कंधें से कंधा मिलाकर आजादी की लड़ाई लड़ती रहीं। स्वतंत्रता सेनानियों के हर आक्रमक योजना का हिस्सा बनी। दुर्गा भाभी बम बनाती थीं तो अंग्रेजो से लोहा लेने जा रहे देश के सपूतों को टीका लगाकर विजय पथ पर भी भेजती थीं। दुर्गा भाभी को भारत की 'आयरन लेडी' भी कहा जाता है। जिस पिस्तौल से चंद्रशेखर आजाद ने खुद को गोली मारकर बलिदान दिया था, वह पिस्तौल दुर्गा भाभी ने ही आजाद को दी थी। आजादी का अमृत महोत्सव संपूर्ण भारत में मनाया जा रहा है इसी क्रम में आजादी से अंत्योदय तक 90 दिवसीय अभियान पूरे प्रदेश में स्वतंत्रता सेनानियों के जनपदों में धूमधाम के साथ उन्हें श्रद्धांजलि और स्मरण करने के लिए मनाया जा रहा है। उत्तर प्रदेश के 03 जनपदों में से एक जनपद गाजियाबाद को भी इस अभियान के विशेष जनपदों में चुना गया है क्योंकि स्वतंत्रता सेनानी दुर्गावती जिन्हें स्नेह से सब दुर्गा भाभी के नाम से पुकारते हैं वह गाजियाबाद से ही संबंध रखती हैं। उक्त क्रम में हिंदी भवन के सभागार में आज दुर्गा भाभी के भतीजे जगदीश भट्ट जी को आमंत्रित कर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर दुर्गा भाभी के चित्र पर समस्त प्रतिभागियों द्वारा पुष्पांजलि अर्पित की गई और दुर्गा भाभी के जीवन से जुड़े अनेक चित्रों की प्रदर्शनी का अवलोकन किया गया, चित्र प्रदर्शनी में अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के चित्र भी प्रदर्शित किए गए। दुर्गा भाभी पर लिखी गई किताबों का स्टॉल भी परिसर में सजाया गया। इस अवसर पर संग्रहकर्ता विनय जिन्दल एडवोकेट के द्धारा शहीदों एवं महापुरूषों के ऊपर भारत सरकार द्वारा जारी किए गए सिक्कों की भी प्रदर्शनी लगायी गई। गायक कलाकार संगीता द्वारा "ए मेरे वतन के लोगों" गीत प्रस्तुत किया जिससे सभागार में उपस्थित जनों की आंखें नम हो गई। दुर्गा भाभी के परिजनों को शॉल पहनाकर तथा मां दुर्गा की प्रतिमा भेंट स्वरूप प्रदान की गई। तत्पश्चात अक्षयवरनाथ श्रीवास्तव द्वारा निर्देशित "आजादी की दीवानी दुर्गा भाभी" नाट्य प्रस्तुति की गई। दर्शकों ने नाटक की सजी बता की भूरी भूरी प्रशंसा की। इस अवसर पर दुर्गा भाभी के भतीजे जगदीश भट्ट जी द्वारा स्मरण करते हुए उनके जीवन काल की विभिन्न उपलब्धियों से सभागार में उपस्थित सभी गणमान्य व्यक्तियों एवं बच्चों को अवगत कराया गया। उन्होंने दुर्गा भाभी की जिंदगी के खट्टे मीठे पलों को याद करते हुए कहां की दुर्गा भाभी का जनपद गाजियाबाद से विशेष लगाव रहा है। इस अवसर पर जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह ने कहा कि स्वातंत्रता संग्राम सेनानियों से हम सभी परिचित है। उनको लेकर जब भी कोई कार्यक्रम करते है, जो उसके पीछे मुख्य उद्देश्य यह होता है कि जिन आर्दशों, विचारों को ले करके स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों  ने निष्कपट संघर्ष करके देश को आजादी दिलाई उनकों ध्यान में रखा जाए। उन्होंने कहा कि किस तरह उन्होंने देश की भलाई के लिए अपने प्राण दाँव पर लगाए या हँसते- हँसते न्योछावर कर दिए। आजादी की लडाई लड़ते समय स्वतंत्रता के लिए लड़ने वाले स्वतंत्रता सेनानियों ने आने वाली पीढियों के लिए यही सोचा होगा कि हम लोग देश को अपने विचारों व आचरणों से नई उचाईयों पर ले जाए क्योकि जब गुलामी झेल रहे थे तब देश वासियों को निर्णय लेने के अधिकार नहीं थे। अब हमारे पास सभी अधिकार है। हम अपने हिसाब से सोच सकते है, योजना बना सकते है साथ ही उन योजनाओं को धरातल पर भी उतार सकते है। अब हमारे ऊपर किसी का भी दवाब नहीं है। जिलाधिकारी ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानिययों के सिद्धांतों को साथ लेकर चलना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है। अंत में हिंदी भवन समिति के अध्यक्ष ललित जायसवाल जी ने नाटक के निर्देशक को रु0- 125000 सहयोग राशि का चैक भेंट किया। कार्यक्रम के अंत में मुख्य विकास अधिकारी विक्रमादित्य सिंह मलिक द्वारा हिंदी भवन समिति एवं उपस्थित गणमान्य अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर मंच का संचालन पूनम शर्मा द्वारा किया गया

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