हिन्दुस्तान में जैन समाज के बड़े तीर्थ पर मंड़राये संकट के बादल




विवेक जैन—समीक्षा न्यूज नेटवर्क

- तीर्थराज सम्मेद शिखर की रक्षा के लिए हिन्दुस्तान के जैन संतों ने लोगों से किया 11 दिसम्बर 2022 को दिल्ली पहुॅंचने का आहवान, तीर्थराज क्षेत्र में लगातार काटे जा रहे पेड़ो और मांस व मंदिरा के परोसे जाने पर जताई घोर चिंता

- उत्तर भारत के प्रसिद्ध जैन संत ऐल्लक श्री 105 विज्ञान सागर जी महाराज ने देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, रक्षा मंत्री, विभिन्न राज्यों के राज्यपाल व मुख्यमंत्रियों सहित समस्त देशवासियों से की जैन तीर्थ की सुरक्षा की मांग 

मंड़ौला/गाजियाबाद। देशभर के जैन संत झारखण्ड़ राज्य सरकार और केन्द्रीय वन मंत्रालय द्वारा जैन समाज के प्रसिद्ध जैन तीर्थ तीर्थराज सम्मेद शिखर जी को वन्य जीव अभ्यारण्य का भाग दिखाने और इस स्थान पर पर्यावरण पर्यटन की अनुमति देने के पहले दिन से ही घोर चिंता व्यक्त कर रहे है और वर्तमान में सरकार के इस फैसले के दुष्परिणाम नजर आने लगे है। उत्तर भारत के प्रसिद्ध जैन संतों में शुमार ऐल्लक श्री 105 विज्ञान सागर जी महाराज ने कहा कि जैन समाज में सम्मेद शिखर को तीर्थराज का दर्जा हासिल है। सरकार के इस गलत फैसले से तीर्थराज की स्वतंत्र पहचान और पवित्रता नष्ट होने के कगार पर है। सरकार से जैन समाज के विभिन्न संगठन इस बारे में बात कर चुके है, लेकिन सरकार अपने इस अनुचित और गलत फैसले को वापस नही लेना चाहती। तीर्थराज सम्मेद शिखर क्षेत्र पर लगातार भारी संख्या में पेडों का कटान चल रहा है, वहां पर मांस और मंदिरा की बिक्री लगातार बढ़ रही है। कहा कि सरकार के इस फैसले के बाद जैन समाज के सबसे बड़े तीर्थ पर वे सभी अनुचित कार्य हो रहे है, जिनका जैन धर्म में घोर विरोध किया गया है। विज्ञान सागर महाराज ने जैन समाज, पर्यावरण प्रेमियों, ऐतिहासिक धरोहरों व इतिहास के रक्षकों, धर्म के रक्षकों, संस्कृति के रक्षकों आदि से जैन तीर्थ को बचाने के लिए 11 दिसम्बर 2022 को नई दिल्ली के ऐतिहासिक रामलीला मैदान में होने वाले श्री सम्मेद शिखर जी बचाओं आन्दोलन, विशाल धर्मसभा व रैली में पहुॅंचने का आहवान किया। कहा कि जैन धर्म के सिद्धान्त हिंसा के घोर विरोधी है। किसी की भद्दी बुराई करना तक जैन धर्म में निषेध माना जाता है। विशाल धर्मसभा में पहुॅंचने का उद्देश्य सरकार का ध्यान हमारे पवित्र तीर्थो की रक्षा से जुड़ी मांगों की ओर ध्यान आकर्षित करने से है। कहा कि क्षेत्र पर राज करने वाले राजा का परम कर्तव्य है कि वह अपने राज्य में उस राज्य की संस्कृति व धर्म की रक्षा करे। धर्मो रक्षति रक्षित। विज्ञान सागर महाराज ने देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, रक्षा मंत्री से तीर्थराज सम्मेद शिखर की स्वतंत्र पहचान और पवित्रता बनाये रखने के लिए सरकार द्वारा इस क्षेत्र को वन्य जीव अभ्यारण्य का भाग दिखाने और पर्यावरण पर्यटन की अनुमति देने वाले निर्णय को वापस लेने और इस स्थान पर मांस-मंदिरा की ब्रिकी पर पूरी तरह प्रतिबन्ध लगाने की मांग की। उन्होंने विभिन्न राज्यों के राज्यपाल, मुख्यमंत्रियों व उनके केबिनेट के मंत्रियों सहित समस्त देशवासियों से तीर्थराज सम्मेद शिखर की सुरक्षा में सहायता करने के लिए सहयोग की अपील की।

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