शिव का जलाभिषेक करने से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं! और भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है: बीके शर्मा हनुमान



धनसिंह—समीक्षा न्यूज

गाजियाबाद। विश्व ब्रह्मर्षि ब्राह्मण महासभा के संस्थापक राष्ट्रीय अध्यक्ष ब्रह्मर्षि विभूति बीके शर्मा हनुमान ने बताया कि फाल्गुन मास में कृष्णपक्ष की चतुर्दशी को महादेव और माता पार्वती के विवाह के कुछ निहितार्थ तो निकलते ही हैं। चंद्रमास का ग्यारहवां माह होता  है फाल्गुन । यह वसंत का संक्रमण काल भी है। ऋतुराज वसंत में प्रकृति अपना श्रृंगार करती है। अर्थात प्रकृति की मोहकता आने के पूर्व ही प्रकृतिस्वरूपा माता पार्वती का साथ हो जाए ताकि शीश पर जल और वायुमंडल में अपने डमरू से नाद-सृष्टि का रोपण करने वाले महादेव प्रकृति की पर्याय माता पार्वती के साथ मिलकर लोक कल्याण का परिवार स्थापित कर सकें। विवाहोपरांत महादेव ने पुत्र कार्तिकेय को दैत्यों के विरुद्ध देवताओं की सेना का सेनापति नियुक्त किया। कार्तिकेय प्रकृति में विद्यमान विषाणु रूपी दैत्यों का वध अपने वाहन, मोर के माध्यम से करते हैं। वहीं पुत्र गणेश को पशु तथा मानव के संयुक्त स्वरूप में महादेव ने यूं ही नहीं किया। इसके माध्यम से पशुता से मानवता की ओर चलने का संदेश भी दिया। गणेश जी को बुद्धि-विवेक का दायित्व दिया गया। ज्ञान तथा बौद्धिक कार्य में संलग्न होने पर रूप-रंग तथा • सौंदर्य का विषय गौण हो जाता है। गणेश जी को कैंथ और जामुन इसीलिए पसंद हैं, क्योंकि बुद्धि- विवेक के साथ कसैली तथा मीठी परिस्थितियों में भाव समान रहता है और तब आह्लाद का मोदक अवश्य मिलता है। वहीं माता पार्वती के वाहन सिंह की विशेषता है कि एक तो वह स्वयं अपने आहार की व्यवस्था करता है तथा आहार बच जाने पर उसे अपनी गुफाओं में ले जाकर संग्रहित नहीं करता । संग्रह लोभ की वृत्ति को जन्म देता है।

अब वर्ष के ग्यारहवें चंद्रमास पर दृष्टि डालें तो यह माह पांच ज्ञानेंद्रियों तथा पांच कर्मेंद्रियों एवं एक मन जिसका योग 11 होता है, का सूचक है। चतुर्दशी तिथि का निहितार्थ इन 11 इंद्रियों के साथ तीन लोकों से भी जुड़ जाता है। ऐसे ही सुखद पड़ाव पर महाशिवरात्रि पर्व आता है, जो दर्शाता है कि जहाँ शिव-पार्वती हैं, वहीं आनंद का सागर है।

ब्रह्मर्षि विभूति बीके शर्मा हनुमान ने बताया कि फाल्गुन मास महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा अर्चना करने का विशेष महत्व है इस पर्व पर भगवान शिव का जलाभिषेक करने से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और भक्तों की  सभी मनोकामना  पूर्ण होती है मां पार्वती के साथ उनका विवाह अभी इसी दिन हुआ था इसी कारण इस पर्व को महाशिवरात्रि कहा जाता है महाशिवरात्रि पर्व पर भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से मनुष्य के सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं और  अगर कोई भी भक्त उनका सच्चे मन से सिर्फ जल से भी अभिषेक कर देता है तो भी उस पर अपनी कृपा की बारिश कर देते हैं सनातन धर्म में मान्यता है कि भगवान शिव सभी भगवानों में भोले हैं आज के दिन बेलपत्र भांग धतूरा आदि का भोग भगवान शिव को प्रिय है आज अर्धांगिनी रीता शर्मा के साथ पूजन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

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