समीक्षा न्यूज
गाजियाबाद। मिशन 125 वर्ष स्वस्थ्य जीवन- स्वस्थ भारत के तत्वाधान में आयुर्वेदिक पद्धति से सम्पूर्ण शरीर की जांच का आयोजन किया गया,जिसमें विशेषतः वरिष्ठ नागरिकों के स्वाथ्य की जांच की गई
इस मौके पर वरिष्ठ समाज सेवी पूनम चंदेल जी कहा कि मित्रो जीवन तीन चीजों पर आधारित है 1 -सांस 2- पानी 3- भोजन
1- जब हम सांस की बात करते हैं तो हमारा ध्यान हमेशा,हमारे आस - पास के वतावरण,पेड़ पौधे आदि के बारे में जाता है और हम तुरन्त सोच लेते हैं कि आस पास पॉल्यूशन बहुत अधिक है - वगैरा वगैरा,इस लिए हम परेशान भी रहते हैं,मगर हम जिस की वजह से जिंदा हैं उस पर कभी ध्यान ही नहीँ देते,मित्रों हमें जिंदा रहने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी हैं सांस,बगैर सांस के जिंदा रहने की कल्पना भी नहीँ कर सकते , जब तक सांसें चल रही है तभी तक जीवन है ,यदि सांसें बन्द हो गई तो बस ----- लेकिन विडम्बना ये है कि हम आदतन सांस ही छोटा सा लेते हैं,बहुत कम सांस या कहें कि बहुत थोडी वायु अपने सांस लेने में इस्तेमाल करते हैं जिस की वजह से प्राणवायु यानि कि ऑक्सीजन बहुत ही कम मात्रा में हमारे शरीर को मिल पाती है,जो भी हम छोटा सा सांस लेते हैं उसमें ऑक्ससीजन के अलावा और भी कई तरह की गैसें मिक्स होती हैं जिस से बहुत कम मात्रा में प्राण वायु -ऑक्सीजन हमारे शरीर को मिलती है,कम मात्रा में ऑक्सीजन मिलने की वजह से हमारे शरीर में नये सेल्स का सृजन होने की क्रिया बाधित होती रहती है,जिस प्रकार प्रकृति में हमेशा सृजन व विनाश का कार्य चलता रहता है जैसे कि आप पेड़ पौधों को भी देखते हैं कि हमेशा पौधा जब बड़ा होता है तो उसमें नये पत्ते -कलियां निकलती रहती हैं पुराने पत्ते सूख कर नीचे गिरते रहते हैं ठीक उसी तरह से हमारे शरीर में भी चौबीसों घण्टे ये बदलाव हमेशा चलता रहता है नये सेल्स का निर्माण होता रहता है और पुराने सेल्स नष्ट होते रहते हैं,मगर फर्क इतना है कि पेड़ पौधों के पत्ते सूख कर पेड़ों से अलग होकर नीचे गिर जाते हैं, जबकि हमारे शरीर में ये नष्ट होने वाले सेल्स टॉक्सिस के रूप में जमा होते रहते हैं,परमात्मा ने हमारे शरीर की संरचना बहुत ही सोच समझ कर की है,हमारे शरीर में सांसें ग्रहण करने की मशीन लँगस को बहुत बड़ा व विस्तार से बनाया है जिससे कि हम बड़ा व लम्बा सांस ले सकें,मगर हम आदतन उसका पूरा उपयोग ही नहीं करते ,40 वर्ष की आयु पार करने के बाद छोटा सांस लेने की आदत की वजह से या ये कहें कि हमारे द्वारा लंग्स से पूरा काम ना लेने की वजह से ये लँगस संकुचित सुकडना शुरु कर देते हैं,जिस से छोटे छोटे सांस लेने की वजह से हमारे शरीर को प्राणवायु ऑक्सीजन प्रॉपर ना मिलने की वजह से नये सेलों का बनना प्रायः बन्द सा हो जाता है , ओर पुराने सेलों का नष्ट होते रहना जारी रहता है,असल में बुढापा आने या विभिन्न बीमारियों से ग्रस्त होने का कारण भी यही है।हमारे शरीर को कम ऑक्सजन मिलने के कारण हमारी सृजन शक्ति कम हो जाती है तथा शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी धीरे - धीरे नष्ट हो जाती है और यही नष्ट होते सेल्स टॉक्सिन के रूप में हमारे शरीर में इकठ्ठा होते रहते हैं,ये टॉक्सिन बहुत कम मात्रा में हमारे शरीर से बाहर निलते हैं जो कि कभी कभी केंसर का रूप भी धारण कर लेते हैं,हमें स्वस्थ्य रहने के लिए,हमारे शरीर को अधिक ऑक्सीजन की जरूरत होती है,जो कि कुछ समय लम्बे सांस लेकर प्राकृतिक रूप से पूरी की जा सकती है, इसका प्रमाण हम देखते हैं कि जब हम जीवन व मृत्यु के अन्तिम पड़ाव पर होते,उस समय हमारे बच्चे या शुभ चिंतक हॉस्पिटल लेकर भागते हैं,और हॉस्पिटल में हमारी जगह आई सी यू में होती है,वहां पहुंचते ही डॉक्टर साहब हमारा जीवन बचाने के लिए सबसे पहले हमको ऑक्सीजन की स्पोर्ट देते हैं,मगर विडम्बना यही है की हम अपने जीवन में छोटा सांस लेने की वजह से जाने अनजाने स्वतः ही मृत्यु की तरफ अग्रसर होते रहते हैं।यदि हम प्रति दिन आधा घण्टा लम्बे सांस लेने की आदत बना लें तो बहुत सारी बीमारियों से छुटकारा पा सकते हैं, केंसर जैसी खतरनाक बीमारी भी दीर्घश्वासन से ठीक जो सकती है,साथियों आज से ही हम इस प्रक्रिया को शुरु करें,हमें सीधे बैठकर,कमर सीधी करके बैठना है और आराम से नाक के द्वारा लम्बे सांस लेने है तथा मूंह खोलकर लम्बे लिये हुए सांस को बाहर निकाल देना है,ये बहुत ही आसान प्रक्रिया है,इस प्रक्रिया को घडी में समय देख कर प्रतिदिन कम से कम आधा घंटा करना है,शुरु करने में पहले दिन हो सकता है कि शुरु के 5 मिनटों में ही कुछ थकान महसूस दे,मगर धीरे धीरे प्रैक्टिस करके समय को बढ़ाना है,ये कार्य कहीं भी ओर कभी भी किया जा सकता है , इस में हम केवल सांस लेने की ही बात करते हैं,आज से हम ये लम्बे सांस लेने की प्रक्रिया शुरु करें , इस से हम निश्चचित ही 125 वर्ष स्वस्थ्य जीवन जी सकेंगे।बाकी जहां तक पानी व भोजन की बात है हम दिन भर पानी पीते हैं मगर कभी उसे चैक ही नही करते,कोन सा पानी पीवें,कितना पानी पीवें जहां तक भोजन की बात है तो वो विषाक्त हो गया है क्यों?किसान पैदा करते समय बहुत अधिक कीटनाशकों का उपयोग करते हैं,हमें स्वस्थ रहने के लिए जैविक खाने की आवश्यकता है।
इस मौके पर गीता चौधरी प्रभारी सेवा सदन जी ने बताया कि गलत खान पान की वजह से पेट से सम्बंधित समाएं बहुत से लोगों को हैं इस से निजात पाने के लिए सेवा सदन का अमृत पंचशील चूर्ण बहुत ही लाभ दायक है,इस चूर्ण के सेवन से पुरानी से पुरानी कब्ज मै आराम देता है। इस चूर्ण के लेने से बिना तकलीफ के साधारण दस्त होकर पेट साफ हो जाता है।यह चूर्ण कब्ज के रोगियो के लिए बहुत ही उत्तम ओषधि है।
इस अवसर पर इंदू शर्मा, रेणु तोमर,सरवन कुमार एमिल अहमद आदि मौजूद रहे
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