मैक्स अस्पताल वैशाली के डॉक्टरों ने रोबोटिक बेरिएट्रिक सर्जरी के जरिए घटाया 90 किलो से ज़्यादा वजन



देवेन्द्र तौमर—समीक्षा न्यूज 

ग़ाज़ियाबाद। दुनियाभर में मोटापा एक परेशानी बनती जा रही है, जो कई बीमारियों की वजह बनता है. आधुनिकता के साथसाथ ये उसकी उभरती चुनौती है. टेक्नोलॉजी की दुनिया में शारीरिक कार्य में कमी आई है, जो मोटापे की एक बड़ी वजह है और मोटापा कई बीमारियों का पिटारा साथ लेकर आता है.  भारत समेत दुनियाभर में बढ़ रही इस समस्या के चलते ही विश्व मोटापा दिवस मनाया जाता है. ताकि लोगों को इसके प्रति जागरूक किया जा सके और इस पर रोक लगाई जा सके.4 मार्च को हर साल विश्व मोटापा दिवस यानी वर्ल्ड ओबैसिटी डे मानाया जाता है. 

लोगों को जागरूक करने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए विश्व मोटापा दिवस से पहले वैशाली स्थित मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल एक रोगीकेंद्रित जागरूकता सत्र का आयोजन किया. इसमें स्वस्थ जीवनशैली की ज़रूरत और मोटापे को रोकने के तरीकों पर प्रकाश डाला गया.

इस मौक़े पर मैक्स हॉस्पिटल में मैक्स इंस्टीट्यूट ऑफ मिनिमल एक्सेस, बेरियाट्रिक एंड रोबोटिक सर्जरी के निदेशक और प्रमुख डॉ. विवेक बिंदल भी मौजूद रहे. इस दौरान प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए, डॉ. विवेक बिंदल ने कहा, “मोटापा आज दुनिया के सामने सबसे बड़ी स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक है, जो 800 मिलियन लोगों को प्रभावित कर रहा है और लाखों लोग जोखिम में हैं. हृदय रोग, मधुमेह, कैंसर और ऑस्टियोआर्थराइटिस, लिवर, किडनी की बीमारी, स्लीप एपनिया, और अवसाद जैसी अन्य पुरानी बीमारियों में इसका महत्वपूर्ण योगदान है. यह हाल के वर्षों में एक महामारी बन गया है, जिससे रोगों की संख्या और मृत्यु दर में वृद्धि हुई है, विशेष रूप से मध्यम आयु वर्ग की आबादी के बीच ये बीमारी बढ़ रही है.” उन्होंने आगे कहा, किसी भी वजन घटाने के प्रयास के लिए जीवन शैली में बदलाव, डाइट और फ़िज़िकल एक्टिविटी को बढ़ाना ज़रूरी है. नींद के बदलते पैटर्न, असमय सोना, गलत समय खाना जैसी आदतें हमारे मेटाबॉलिज्म को ख़राब करता है. डॉ. विवेक बिंदल ने मोटापे से जुड़े तीन केस का ज़िक्र किया.

32 वर्षीय, श्री वैभव जैन को सुपर मॉर्बिड ओबेसिटी के साथ, मेटाबोलिक सिंड्रोम, 67.4 बीएमआई, 208 किलोग्राम वज़न और ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया, ग्रेड 2 फैटी लिवर, कोलेलिथियसिस और हाइपोथायरायडिज्म सहित अन्य बीमारियों के साथ लाया गया. वैभव को चलने और रोज़मर्रा के कामों को करने में कठिनाई होती थी, जिससे उसकी दिनचर्या प्रभावित हो रही थी. एक विस्तृत जाँच के बाद, उसकी रोबोटिक बेरियाट्रिक सर्जरी (स्लीव गैस्ट्रोस्टॉमी) की गई. मैक्स अस्पताल में सर्जरी के बाद 17 महीनों में उसका 93 किलो वजन कम हुआ और जो अब 115 किलो है. वह अब स्लीप एपनिया से मुक्त हो गया है और अब अपने पेशेवर जीवन पर अधिक सक्रिय और ध्यान केंद्रित कर पा रहा है.

44 वर्षीय श्रीमती मीनाक्षी का भी ऐसा ही मामला था, जो 16 से अधिक वर्षों से बेहद मोटापे और डायबिटीज से पीड़ित थीं. उन्हें उच्च रक्तचाप, घुटने में ऑस्टियोआर्थराइटिस और ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया भी था. वह पूरे घुटने बदलने की योजना बना रही थीं, लेकिन उसके वजन के कारण (113.4 किलोग्राम) उसे बेरियाट्रिक सर्जरी विभाग में रेफर किया गया और सर्जरी की सलाह दी गई.15 महीनों के बाद, उसका वजन 113.4 किलो से कम हो गया है, बीएमआई 48.4 किग्रा/मी2 से अब 73 किलो हो गया है. उनके शुगर के केवल को अब बिना इंसुलिन के केवल न्यूनतम दवाओं से कंट्रोल किया जा रहा है.

ये केस 25 साल की श्री देवेन सिंगला का है, जिसे 168 किलोग्राम वजन और 52.1 किलोग्राम/एम2 के बीएमआई के साथ सुपर मॉर्बिड ओबेसिटी, ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया और मेटाबॉलिक सिंड्रोम के साथ पेश किया गया. वह सांस लेने में कठिनाई के चलते चलने में असमर्थ थे. वह दिन में सोने की वजह से भी परेशान थे. उन्होंने रोबोटिक बेरिएट्रिक सर्जरी कराई और 9 महीनों में 55 किग्रा वजन कम किया. उन्हें अब सांस लेने में कठिनाई और दिन में सोने की समस्या से राहत मिली है.

मैक्स हॉस्पिटल सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, वैशाली के इंस्टीट्यूट ऑफ मिनिमल एक्सेस, बैरिएट्रिक एंड रोबोटिक सर्जरी को ओबेसिटी एंड मेटाबोलिक सर्जरी सोसाइटी ऑफ इंडिया द्वारा सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (सीओई) के रूप में प्रमाणित किया गया है.

उच्च बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) और मोटापे से संबंधित अन्य चिकित्सीय स्थितियों वाले रोगियों की रोबोटिक बेरिएट्रिक सर्जरी की जाती है. बेरिएट्रिक सर्जरी डायबिटीज़, हाई बीपी और ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया जैसे लाइफ़स्टाइल से जुड़ी बीमारियों को ठीक करने में मदद करती है. डब्ल्यूएचओ के अनुसार,25 से ज़्यादा बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले को ज़्यादा वजन वाला और 30 से ज़्यादा वजन वाले को मोटापे से ग्रस्त माना जाता है. ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज के अनुसार, यह मुद्दा महामारी के अनुपात में बढ़ गया है, 2017 में अधिक वजन या मोटापे के कारण हर साल 4 मिलियन से अधिक लोग मर रहे हैं.

मैक्स अस्पताल वैशाली के डॉक्टरों ने कहा कि जनता में मोटापे और उससे संबंधित नकारात्मक स्वास्थ्य परिणामों के बारे में जागरूकता बढ़ाने की ज़रूरत है. वहीं, डॉ बिंदल ने कहा,“स्वस्थ जीवन शैली, हेल्दी खाने की आदतों और फ़िज़िकल एक्टिविटी के फ़ायदों को  अधिकारियों, डॉक्टरों और चिकित्सकों द्वारा बढ़ावा दिया जाना चाहिए.

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