समाजसेवी समाज के बीच उत्कृष्ट कार्य करके समाज को प्रेरणा देने का कार्य करता है: बीके शर्मा हनुमान



धनसिंह—समीक्षा न्यूज 

गाजियाबाद। विश्व ब्रह्मऋषि ब्राह्मण महासभा के संस्थापक/राष्ट्रीय अध्यक्ष बीके शर्मा हनुमान ने बताया कि सामाजिक कार्य का अर्थ है सकारात्मक, और सक्रिय हस्तक्षेप के माध्यम से लोगों और उनके सामाजिक माहौल के बीच अन्तःक्रिया प्रोत्साहित करके व्यक्तियों की क्षमताओं को बेहतर करना ताकि वे अपनी ज़िंदगी की ज़रूरतें पूरी करते हुए अपनी तकलीफ़ों को कम कर सकें। इस प्रक्रिया में समाज-कार्य लोगों की आकांक्षाओं की पूर्ति करने और उन्हें अपने ही मूल्यों की कसौटी पर खरे उतरने में सहायक होता है। समाज के बीच उत्कृष्ट कार्य करके समाज को प्रेरणा देने का कार्य करता है

बीके शर्मा हनुमान ने यह भी बताया कि  जो जीवन में कुछ भी नहीं कर पाते, वे अक्सर आलोचक बन जाते हैं। जीवन-पथ पर चलने में जो असमर्थ हैं, वे राह के किनारे खड़े हो, दूसरों पर पत्थर ही फेंकने लगते हैं। यह चित्त की बहुत रुग्ण दशा है। जब किसी की निंदा का विचार मन में उठे, तो जानना कि तुम भी उसी ज्वर से ग्रस्त हो रहे हो! स्वस्थ व्यक्ति कभी किसी की निंदा में संलग्न नहीं होता। और, जब दूसरे उसकी निंदा करते हों, तो उन पर दया ही अनुभव करता है। शरीर से बीमार ही नहीं, मन से बीमार भी दया का पात्र है। ''मेरे एक मित्र हैं, सुविख्यात समाजसेवी। कई बार उनकी बहुत निंदनीय आलोचनाएं होती हैं, लेकिन उन्हें कभी किसी ने विचलित नहीं होते देखा है। जब मैंने उनसे इसका रहस्य पूछा, तो वे मुझसे बोले, 'जरा अपनी एक अंगुली मुझे दिखाइए।' मैंने चकित भाव से अंगुली दिखाई। तब वे कहने लगे, ''देखते हैं! आपकी एक अंगुली मेरी ओर है, तो शेष तीन अंगुलियां आपकी अपनी ही ओर हैं। वस्तुत:, जब कोई किसी की ओर अंगुली उठाता है, तो उसके बिना जाने उसकी ही तीन अंगुलियां स्वयं उसकी ही ओर उठ जाती हैं। अत: जब कोई मेरी ओर दुर्लक्ष्य करता है, तो मेरा हृदय उसके प्रति दया से भर जाता है, क्योंकि, वह मुझसे कहीं बहुत अधिक अपने आप पर प्रहार करता है।

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