"श्रीराम मानव से महामानव तक" गोष्ठी संपन्न



धनसिंह—समीक्षा न्यूज 

श्री राम ने जीवन में लिए व्रतों का पालन किया- आचार्य हरिओम शास्त्री

गाजियाबाद। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में "श्री राम मानव से महा मानव तक " विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया।यह करोना काल से 521 वाँ वेबिनार था।

वैदिक प्रवक्ता आचार्य हरिओम शास्त्री ने कहा कि श्री राम ने जो व्रत संकल्प लिए उनका पूर्णतः पालन किया। श्रीराम चन्द्र जी महाराज मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम बन गए।क्योंकि उनका अपना जीवन अपने सुख और समृद्धि के लिए नहीं बल्कि प्राणिमात्र के लिए था।वे एक आदर्श राजा,आदर्श पुत्र,आदर्श पिता,आदर्श भाई,आदर्श पति, आदर्श मित्र थे।वे केवल  आदर्श मित्र ही नहीं बल्कि एक आदर्श शत्रु भी थे।आदर्श मानव  हेतु जो भी गुण,कर्म और स्वभाव आवश्यक होते हैं वे सभी राजकुमार श्री राम में दिखाई देते हैं।महाकवि कालिदास ने रघुवंश महाकाव्य में कहा है कि - शैशवेऽभ्यस्त विद्यानां,यौवने विषयैषिणाम्।वार्धक्ये मुनिवृत्तानां,योगेनान्ते तनुत्यजाम्।। अर्थात् रघुवंशी राजाओं का जीवन बचपन में विद्याओं का अभ्यास करने,यौवन में विषयों का भोग करने,बुढ़ापे में ऋषि मुनियों का सा जीवन बिताने और अन्त में योग द्वारा शरीर छोड़ने तक होता था।

श्री रामचन्द्र जी ने जीवन में निशिचर हीन करहुं मही  का व्रत लेकर धरती पर मानवता का आजीवन प्रचार किया।जीवन में लिए गए व्रत का पालन हर कीमत और हर परिस्थिति में किया।फिर चाहे उन्हें कितनी कठिन से कठिन समस्या का सामना करना पड़ा हो।मित्रों सुग्रीव और विभीषण को दिए गए वचन को अन्त तक निभाया। सोने की सुन्दर लंका को भी जीत कर उन्हें माता और मातृ भूमि स्वर्ग से बढ़कर लगती हैं।इसलिए माता और मातृभूमि के दर्शन करने और आदर्श भाई भरत को दिए गए वचन का पालन करने हेतु वे लक्ष्मण से कहते हैं - अपि स्वर्णमयी लंका न मे लक्ष्मण रोचते। रथजननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी ।। हे लक्ष्मण! मुझे यह सोने की लंका भी नहीं अच्छी लगती है क्योंकि मेरे लिए तो मां और मातृभूमि स्वर्ग से भी अधिक महान हैं। इसलिए मैं शीघ्रातिशीघ्र इनके दर्शन करना चाहता हूं।। इसलिए मर्यादा पुरुषोत्तम  पद किसी भी अन्य महापुरुष के साथ न लगकर केवल श्री राम जी  के साथ लगकर अपनी शोभा बढ़ा रहा है।हमें अपने अपने घर के छोटे बड़े सभी सदस्यों को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम चन्द्र जी का जीवन परिचय देते रहना चाहिए तभी हमारा श्री रामनवमी उत्सव मनाना सार्थक होगा। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने संचालन करते हुए कहा कि श्री राम भारत के कण कण में विद्यमान है उनके गुणों के जीवन में धारण करने से एक आदर्श राज्य की स्थापना होगी।  मुख्य अतिथि आर्य नेता राजेश मेहन्दीरता व विमल सचदेवा ने श्री राम जी जीवन से प्रेरणा लेने का आह्वान किया। राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य ने एक गीत कहना जो मान लेते भगवान राम का ये हाल ना होता कभी भारत महान का सुनाया और धन्यवाद ज्ञापित किया। गायिका प्रवीना ठक्कर, रविन्द्र गुप्ता, कौशल्या अरोड़ा, जनक अरोड़ा, प्रतिभा कटारिया, कमला हंस, संतोष धर,ईश्वर देवी, कमलेश चांदना,उर्मिला आर्य, सुनीता बहल,रेखा गौतम आदि के मधुर भजन हुए।


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