"मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम" पर गोष्ठी सम्पन्न



धनसिंह—समीक्षा न्यूज 

राम भारतीय संस्कृति और परंपरा के आधार हैं - डा राम चन्द्र(कुरुक्षेत्र)

श्रीराम के चरित्र को जीवन में अपनाये-आनन्द प्रकाश आर्य

गाजियाबाद। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद् के तत्वावधान में रामनवमी के उपलक्ष्य में "मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम" विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया।यह कोरोना काल से 522 वां वेबिनार था। मुख्य वक्ता डा. राम चन्द्र (विभागाध्यक्ष कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय) ने राम नवमी की सभी को बधाई देते हुए कहा कि राम भारतीय संस्कृति और परंपरा के आधार हैं उनका संपूर्ण जीवन विश्व मानवता के इतिहास में मानवीय मूल्यों के सर्वोच्च पालनकर्ता के रूप में प्राप्त होता है इसलिए विश्व के इतिहास में केवल श्रीराम के साथ ही मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम शब्द का प्रयोग होता है श्री राम का व्यक्तित्व आम और खास सब को प्रभावित करता है उनके अपने जीवन में तो मर्यादा के पालन का आकर्षण है ही उनके साथ जुड़े भाई बंधु पत्नी पिता माता एवं अन्य सभी जन भी मर्यादा के साथ सम्बंध होते हैं यही उनके व्यक्तित्व की खूबी है चंदन के समीपवर्ती वृक्ष में भी खुशबू का संचार होता है ऐसे ही श्रीराम के निकटवर्ती सभी लोग भी मर्यादा के साथ में जुड़ जाते हैं जहां इतिहास भाई भाई के कलह और झगड़ों से भरा हुआ है वहां संपूर्ण साम्राज्य का परित्याग करके वनवास को स्वीकार लेना यह केवल राम का ही सामर्थ्य और उदाहरण है इसका दूसरा उदाहरण दुनियां में कहीं ओर नहीं मिलता राज्य अभिषेक एवं बनवास दोनों ही स्थितियों में चेहरे की चमक की समानता राम के ही जीवन में दिखाई देती है लंका पर विजय प्राप्त करने के बाद भी सोने की लंका का राज्य स्वीकार नहीं करते अपितु उसे विभीषण को सोंपकर अयोध्या की तरफ चल पड़ते हैं उनके समय में अयोध्या में किसी भी प्रकार का क्लेश और दुख नहीं था कोई भी अकाल मृत्यु का ग्रास नहीं होता था यही कारण है कि आज भी दुनियां में जब भी श्रेष्ठ राज्य की कल्पना होती है तो राम राज्य का नाम लिया जाता है। मुख्य अतिथि हापुड़ आर्य समाज के संरक्षक आनन्द प्रकाश आर्य ने कहा कि हमें मर्यादा पुरुषोत्तम राम के जीवन आदर्शों मान्यताओं यज्ञ-रक्षा और योग की जीवन पद्धति को अपनाना चाहिए।जैसे श्रीराम राजतिलक और वनगमन के समय समभाव रहे थे वैसे ही हमें भी जीवन की प्रत्येक परिस्थिति में स्थितप्रज्ञ होकर समभाव से रहना चाहिए। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद् के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि श्रीराम गुणों की खान थे उनका चरित्र उत्तम कोटि का था उसे आत्मसात करने की आवश्यकता है। राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य ने कहा कि आर्य समाज चरित्र की पूजा करता है,चित्र की नहीं। कैप्टन अशोक गुलाटी ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि हमारी वर्तमान पीढ़ी को चारित्रिक और वैचारिक रूप से समृद्ध बनाने के लिए घर और परिवार में प्रतिदिन रामायण का पाठ किया जाना चाहिए। गायक रविन्द्र गुप्ता, प्रवीण आर्य, दीप्ति सपरा, कमला हंस, कौशल्या अरोड़ा, जनक अरोड़ा आदि ने मधुर भजनो द्वारा श्रीराम गुणगान किया जिसे सुनकर श्रोता झूम उठे।

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