सामाजिक कार्यों में अड़ंगा डालने वाले के खिलाफ समाज ने एकजुट होकर दी चुनौती!



समीक्षा न्यूज नेटवर्क

गाजियाबाद। वोल्गा बैंक्वेट हाल में सर्व समाज के प्रतिष्ठित लोगों ने मीटिंग कर पूरे प्रकरण पर की व्पापक चर्चा समाज में आज भी कुछ ऐसे लोग हैं जिन्हे समाज में हो रहे अच्छे कार्य खटकते हैं। वो दिन-रात इस प्रयास में लगे रहते हैं कि ये सामाजिक कार्य आखिर कैसे रूकेंगे? ऐसे व्यक्ति को कभी ना कभी, उनके विचारों से मिलता हुआ दूसरा व्यक्ति मिल ही जाता है तब एक और एक ग्यारह होकर ये निकल पड़ते हैं सामाजिक कार्यों में बाधा डालने। जी हां आप सही समझे, हमारा इशारा महाराजा अग्रसेन रसोई (निकट डायमंड बैंक्वेट हाल) व नासिरपुर फाटक के सामने स्थित परमार्थ वाटिका की ओर है। जहां दोनों जगह मिलाकर एक हजार से ज्यादा जरूरतमंद व्यक्तियों को प्रतिदिन सुबह व दोपहर को भोजन मिलता है। इन दोनों स्थानों पर कपड़े व राशन रखने के लिए बांस की झोपड़ी बना रखी है। कुछ लोगों को यह झोपड़ियां पक्का निर्माण नजर आती हैं। उन व्यक्तियों ने बगैर पूरी जानकारी प्राप्त किये व बगैर स्थल पर निरीक्षण किये, समाचार पत्रों में संस्था का विरोध करना शुरू कर दिया। जिससे उन लोगों को कष्ट पहुंचा जो इन संस्थाओं के सामाजिक कार्यों से भली-भांति परिचित थे।




वोल्गा बैंक्वेट में जुटे समाजसेवी

अखबारों व सोशल मीडिया के माध्यम से सामाजिक संस्थाओं व उनके कार्यों को बदनाम करने से दुखी, समाज के प्रतिष्ठित व्यक्ति, रविवार की दोपहर को वोल्गा बैंक्वेट हाल में जुटे व पूरे प्रकरण की जानकारी ली। तब अंत में सभी वक्ताओं ने समाज को बगैर दूसरा पक्ष जाने बदनाम करने वाले, सुभाष गुप्ता की जोरदार शब्दों में निंदा की और अफसोस प्रकट किया कि किसी व्यक्ति व संस्था को बदनाम करने से पहले, एक बार वहां जाकर वस्तु स्थिति की जानकारी क्यों नहीं की गई। किसी के मात्र भड़काने से जल्दबाजी से कोई निर्णय लेना कितना उचित है। 

चौदह साल बनाम चौदह दिन

वोल्गा बैंक्वेट हाल में हुई बैठक में 60 से ज्यादा लोग मौजूद थे। सभी ने अपने-अपने विचार रखे। सभी के विचारों का सार केवल एक यही था कि परमार्थ सेवा ट्रस्ट के द्वारा पिछले 14 वर्षों से लगातार जरूरतमंद व्यक्तियों को स्वच्छ व स्वादिष्ट भोजन खिलाया जा रहा है तथा दोनों संस्थाओं के पास आय-व्यय का पूरा हिसाब है। सभी ने एक स्वर में चुनौती दी कि आरोप लगाने वाले सुभाष गुप्ता पहले 14 साल से चल रही वाटिका में मात्र चौदह दिन अपने साथियों के साथ आकर भोजन वितरण व अन्य कार्य की व्यवस्था संभाल कर दिखाये, तब उन्हें ज्ञान हो जायेगा कि संस्थाएं कितना चंदा खा रही हैं और कितना लोगों से ला रही है। आरोप लगाने व कार्य को करने में उन्हें जमीन आसमान का अंतर होता है।

बैठक में थे मौजूद

हिमांशु मित्तल (पार्षद कविनगर), अजय गुप्ता (जनसेवक गार्डन इंक्लेव), ओमदत्त गुप्ता  (मेरठ रोड), मुकेश गोयल  (घूकना), डा. बीके शर्मा हनुमान  (मीडिया प्रभारी परमार्थ सेवा ट्रस्ट), संदीप सिंघल  (संस्थापक महाराजा अग्रसेन रसोई), सतीश मित्तल  (अध्यक्ष महाराजा अग्रसेन रसोई), अतुल गुप्ता  (बिहारी), राजकिशोर गुप्ता  (संरक्षक सर्राफा एसोसिएशन), प्रदीप गर्ग  (चेयरमैन अग्रवाल संगठन से-23), सुनील गुप्ता  (पूर्व पार्षद), डा. हरीश शर्मा  (महामंत्री, व्यापार मंडल से.-23), अरूण गुप्ता  (मामा), बसंत मोहन अग्रवाल  (एडवोकेट उच्चतम न्यायालय), मयंक मोहन अग्रवाल  (अशोक नगर), अजय अग्रवाल  (से-23), ज्योति मिश्रा  (ज्गोविंदपुरम), उमेश मित्तल  (चिरंजीव विहार), अरविंद गुप्ता  (शास्त्री नगर), प्रदीप सिंघल  (कोषाध्यक्ष), अरूण गुप्ता  (देहली गेट),  राजीव अग्रवाल  (नंदग्राम), रवि वाष्णेय, पवन सिंघल, प्रमोद अग्रवाल, सुनील बंसल, दीपक मित्तल  (मरियम नगर), सुरेश अग्रवाल, आरके अग्रवाल  (विजय नगर), राकेश मित्तल (पूर्व पार्षद), बीएन अग्रवाल पटेल नगर, दीपक सिंघल   (नंदग्राम) सहित अनेक लोग मौजूद थे। 

सुभाष गुप्ता के पीछे छिपे हैं कुछ दूसरे चेहरे?

पर्दे के सामने जिस सुभाष गुप्ता के कंधे पर रखकर, संस्थाओं को बदनाम करने का काम किया जा रहा है, इसके पीछे गहरी साजिश प्रतीत होती है। सुभाष गुप्ता गाजियाबाद में नये नहीं आकर बसे हैं, जो भी शहर में अच्छा-बुरा हो रहा है वो भी नया नहीं है। साथ ही वीके अग्रवाल ने बताया कि सुभाष गुप्ता से तो उनकी कोई पहचान भी नहीं है जो किसी मनमुटाव का कारण बनी हो, इसलिए इसमे कोई राजनैतिक या मीडिया से जुड़े चंद लोगों की साजिश की बू आती है जो  सुभाष गुप्ता को अपनी साजिश का शिकार बना रहे हैं।

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