"मन जीते जग जीत" गोष्ठी संपन्न



समीक्षा न्यूज संवाददाता

मन को सेवक बनाने से ही कल्याण होगा -आचार्य श्रुति सेतिया 

गाजियाबाद। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद् के तत्वावधान में "मन जीते जग जीत " विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया।य़ह करोना काल से 523 वाँ वेबिनार था।

मुख्य वक्ता आचार्य श्रुति सेतिया ने कहा कि व्यक्ति मन को नियन्त्रित करने के बाद ही जग जीत सकता है।उन्होंने कहा कि ज़ो हमारा मन है वह सांसारिक वस्तुओं से प्यार किए बैठा है। आत्मा और परमात्मा के बीच में ज़ो दीवार बनी हुई है जो अवरोध,बाधा,रुकावट बनी हुई है वह केवल हमारे मन का परदा है।यदि हम अपने मन को जीत लेते हैं तो पूरे ब्रह्मांड को हम जीत लेते हैं।जब तक हम मन को वश में नहीं कर लेते तब तक परमात्मा से साक्षात्कार के योग्य नहीं हो सकते है।आत्मा और मन की गाँठ बँधी हुई है।हमें जो भी प्रयत्न करना है आत्मा और मन की गाँठ खोलने का करना है।इसलिए ऋषियों ने कहा है -अपने आप को पहचानो अपने आप को पहचानने का तात्पर्य यह है कि मन को अपने अनुकूल बनाना है। मन तो जड़ है।हम स्वयं ही मन द्वारा शासित होते हैं।हम मन के अधीन हो जाते हैं।मन हमारा स्वामी बन जाता है।हमारा कल्याण तब होगा जब हम मन को अपना सेवक बना लें।हमें अपनी आत्मा पर से स्थूल,सूक्ष्म और कारण शरीर के तीनों आवरण हटाने हैं और रजोगुण , तमोगुण और सत्वगुण से पार होना है।तब जाकर आपको अपने आप का पता लगेगा और वास्तविकता की पहचान होगी और हम अपने आपको जान पाएंगे।आज का मानव मन के बहकावे में रहता है।हमें जो भी प्रयास करना है जो भी उपाय सोचना है वह अपने मन को वश में करने का सोचना है।यदि हमें मन को वश में करना है तो मन के स्वभाव को अच्छी तरह समझना होगा और यह हम सबका अनुभव है कि मन एक स्थान पर नहीं टिकता है।हर क्षण नई वस्तु अच्छी लगने लगती है यह एक वस्तु से प्यार करता है और दूसरी वस्तु पहले से अच्छी दिखाई दे तो पहली को छोड़कर दूसरी वस्तुओं को पाने में दौड़ना प्रारंभ कर देता है।हमारी आत्मा सांसारिक भोगो में फँस कर मन के अधीन हो चुकी है और मन इन्द्रियों के भोगों पर मुग्ध हो चुका है और जो-जो  कर्म मन करता है उसका परिणाम आत्मा को ही भुगतना पड़ता है। जब तक आत्मा मन का साथ नहीं छोड़ेगी कभी अपने वास्तविक स्वरूप को पहचानने के योग्य नहीं हो सकेगी।आत्मा मन को जीत लेने के पश्चात पिछले कुकर्मों,कुवासनाओं से अपने आपको मुक्त कर लेती है तो जग को जीतने में कुछ भी देर नहीं लगती।

मुख्य अतिथि अनिता रेलन व रजनी चुघ ने भी मन को जीतने के उपाय बताए।केन्द्रीय आर्य युवक परिषद् के अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि सभी महान व्यक्ति जीवन में तभी आगे बढ़ पाए उन्होंने मन इंद्रियों को काबु किया।राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

गायिका प्रवीना ठक्कर, कौशल्या अरोड़ा, जनक अरोड़ा  ईश्वर देवी, कमला हंस, संतोष सांची, कमलेश चांदना ,नरेंद्र आर्य सुमन, नीलम गुप्ता, सावित्री गुप्ता 93 वर्षीय, आदर्श सहगल आदि ने मधुर भजन सुनाये। 

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