ज्ञानपीठ केन्द्र 1, स्वरूप पार्क जी0 टी0 रोड साहिबाबाद के प्रांगण में मनाया गया गुरु पुर्णिमा कार्यक्रम



 

धनसिंह—समीक्षा न्यूज 

साहिबाबाद। पंडित मदन मोहन मालवीय नि: शुल्क पुस्तकालय, वाचनालय 5/65 वैशाली तथा ज्ञानपीठ केन्द्र 1, स्वरूप पार्क जी0 टी0 रोड साहिबाबाद के प्रांगण में गुरु पुर्णिमा कार्यक्रम का आयोजन किया गया, इस अवसर पर कार्यक्रम में शामिल सभी प्रतियोगी छात्र, छात्राओं ने, गणमान्य विद्वानों ने, ड़ा0 विशन लाल गौड़, ड़ा0 सभापति शास्त्री, लोक शिक्षण अभियान ट्रस्ट के संस्थापक/अध्यक्ष शिक्षाविद राम दुलार यादव, अनिल मिश्र, सी0पी0 सिंह, चक्रधारी दूबे को सम्मानित किया, कार्यक्रम का संचालन अनिल मिश्र ने, आयोजन इंजी0 धीरेन्द्र यादव ने किया, कार्यक्रम को चंद्रबली मौर्य ने भी संबोधित किया, पत्रकार बंधुओं का भी स्वागत किया गया।

      लोक शिक्षण अभियान ट्रस्ट के संस्थापक/अध्यक्ष शिक्षाविद राम दुलार यादव ने कहा कि दुनिया में किसी प्रकार के ज्ञान का जन्मदाता गुरु है, गुरु ही अंधकार, अज्ञानता से शिष्य को प्रकाश की ओर मोड देता है, नैतिकता का आचरण सत्य, सन्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है, उन्होने संत कबीर के दोहे को अद्घृत करते हुए कहा कि “गुरू कुम्हार शिष कुंभ है, गढि-गढि काढै खोट। अन्तर हाथ सहार दै, बाहर बाहै चोट” ।। गुरु तो सबको समान दृष्टि से देख ज्ञान के प्रकाश से आलोकित करता है, सोई हुई शक्तियों को जगाता है, लेकिन आज 21वीं सदी में उच्च शिक्षा पाकर अधिकतर लोग जिन्हे अधिकार प्राप्त हो गया वह अहंकार के कारण अन्याय, अनाचार, शोषण, भ्रष्टाचार, झूठ और लूट में लगे हुए है जिनकी सेवा करने की उनकी ज़िम्मेदारी है, उनका शोषण कर रहे है, देश के संविधान और लोकतन्त्र को कमजोर कर रहे है, गुरु ने तो नैतिकता कि शिक्षा दी थी लेकिन वह नैतिक पतन के मार्ग पर चल रहे है, आज मेरा निवेदन है उन सभी लोगों को गुरु पुर्णिमा के दिन संकल्प लेना चाहिए कि समाज में व्याप्त अहंकार, द्वेष, नफरत, असहिष्णुता, विभाजन की विभीषिका को समूल नष्ट कर देश, समाज में सद्भाव, भाईचारा, एकता, न्याय, बंधुत्व, प्रेम और सहयोग की भावना का विकास करेंगे, भ्रम, पाखंड, रूढ़िवाद, कुरीतियों को फैलाने वालों को हतोत्साहित करेंगे, नहीं तो गुरु पुर्णिमा पर चाहे कितना ही स्नान कर लो यदि आचरण ठीक नहीं तो माँ गंगा भी आप को माफ नहीं करेंगी।

         इस अवसर पर ड़ा विशन लाल गौड़ ने कहा कि आज स्थिति बदली हुई है, 21वीं सदी में न वह गुरु ही अपने कर्तव्य का सही निर्वहन कर रहे है, और शिष्य के व्यवहार में भी परिवर्तन है, हम जब शिक्षक रहे,  ईमानदारी से पूरी लगन और मेहनत से छात्रों को शिक्षित किया, इतने अंतराल में भी हम सैकड़ों छात्रों के नाम आज भी जानते है, उनसे विद्या का लगाव था, मै कार्यक्रम में शामिल सभी को आशीर्वाद देता हूँ कि आपस में सहयोग बनाए रखें, उन्होने कहा कि सरकार को शिक्षा की ज़िम्मेदारी लेनी होगी नहीं तो हम आजाद होते हुए गुलाम रहेंगे।

        ड़ा0 सभापति शास्त्री ने कहा कि संत, महात्मा, शिक्षक ही गुरु नहीं सबसे प्रथम गुरु माता होती है, जो मुझे किसी प्रकार के कार्य में निपुण बनाता, वही हमारा गुरु है, हमे माता, पिता का आचार्य की तरह सम्मान करना चाहिए, उन्होने हमे मार्ग दिखाया, जिससे हम अपने को समाज में स्थापित कर सके।

  कार्यक्रम में शामिल रहे, ड़ा0 विशन लाल गौड़, ड़ा0 सभापति शास्त्री, राम दुलार यादव, ड़ा0 देवकर्ण चौहान, एस0एन0 अवस्थी, चंद्रबली मौर्य, सी0पी0 सिंह, सम्राट सिंह यादव, अनिल मिश्र, फूलचंद पटेल, हरेन्द्र यादव, एस0एन0 जायसवाल, आदित्य, मुनीव यादव, बिन्दु राय, चक्रधारी दूबे, सोनम, सोनित, फराह, रिचा, नेहा, विक्रांत, मुलेन्द्र, निशा आदि।

Post a Comment

0 Comments