"सद्गुण अपनाएं-दुर्गुण भगाएं" विषय पर गोष्ठी संपन्न



धनसिंह—समीक्षा न्यूज

सद्गुणों से युक्त  नागरिक होंगे तो देश सुखों से पूरित होगा-आचार्या श्रुति सेतिया

गाजियाबाद। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद् के तत्वावधान में "सद्गुण अपनाएं-दुर्गुण भगाएं" विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया।यह कोरोना काल से 554 वाँ वेबिनार था।

मुख्य वक्ता वैदिक विदुषी आचार्या श्रुति सेतिया ने अपने ओजस्वी उद्बोधन में कहा कि मनुष्य का कर्तव्य सद्गुणों से युक्त होना तथा दुर्गुणों को हटाना है।मनुष्य जीवन में दुर्गुण व दुर्व्यसन व्याधियों व रोगों के समान होते हैं।दुर्गुण व दुर्व्यसनों से मनुष्य का पतन होता है।इनके होते हुए मनुष्य की सर्वांगीण उन्नति नहीं हो सकती।इनको दूर करने तथा इनके स्थान पर श्रेष्ठ गुण,कर्म व स्वभाव को धारण करने पर ही मनुष्य की आत्मा व शरीर उज्वल जीवन को प्राप्त होते हैं।स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने संस्कार विधि में प्रार्थना व उपासना के पहले मंत्र का हिंदी में अनुवाद किया तथा अर्थ देते हुए कहते हैं की हे सकल जगत के उत्पत्ति कर्ता,समग्र,ऐश्वर्य युक्त, शुद्ध स्वरूप,सब सुखों के दाता परमेश्वर,आप कृपा करके हमारे समस्त दुर्गुण,दुर्व्यसन और दुखों को दूर कर दीजिए और जो कल्याण कारक गुण, कर्म व स्वभाव और पदार्थ हैं वह सब हमको प्राप्त कीजिए  स्वामी जी के इस प्रिय मंत्र पर विचार करने पर इसका महत्व ज्ञात होता है।इस मंत्र के अर्थ को आत्मसात् कर सदैव इसके अनुसार अपने जीवन को बनाने का प्रयत्न करना चाहिए।इसका लाभ हमें तो होगा ही इसके साथ साथ अन्य मनुष्य जो हमारी संगति को प्राप्त होंगे उनको भी लाभ होगा।हमें महापुरुषों के जीवन का अध्ययन करना चाहिए,क्योंकि उनके जीवन में दुर्गुण व दुर्व्यसन न्यूनतम तथा सद्गुण अधिकतम होते हैं।ऋषि मुनि तथा सभी महापुरुष सब मनुष्यों को बुराइयों को छोड़ने तथा श्रेष्ठ गुणों को धारण करने का संदेश देते हैं।जो मनुष्य इस नियम व वैदिक शिक्षाओं का पालन करते हैं वह निश्चय ही प्रशंसनीय एवम् अपने जीवन को श्रेष्ठ गुणों से युक्त करने वाले बनते हैं और ऐसे मनुष्यों का जीवन सुखी व सफलता को प्राप्त होता है।मनुष्य को स्वाध्याय व वैदिक सत्संग और पंच महायज्ञ विधि सहित ईश्वर उपासना आदि कार्य करते हुए निरंतर अपने दुर्गुणों को दूर करते रहना चाहिए और वेद विहित जो सद्कर्म आदि कार्य हैं उनका आचरण व पालन करना चाहिए।जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में मनुष्य को सत्य मार्ग पर चलते हुए सद्गुणों से युक्त रहने व दुर्गुणों से रहित होने की प्रेरणा दी जाती है।देश की सरकार का भी कर्तव्य है कि वह अपनी योजनाओं को बनाते समय यह ध्यान रखे कि उसके सभी नागरिक सत्य गुणों से युक्त तथा असत्य दुर्गुणों से पृथक रहें।ऐसा देश व समाज ही उत्तम,कल्याण कारी एवम् आदर्श होता है।

मुख्य अतिथि आर्य नेत्री सुनीता रसोत्रा व अध्यक्ष श्रीमती शशि कांता ने सद्गुण अपनाने और दुर्गुण छोड़ने पर बल दिया। राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कुशल संचालन करते हुए महापुरुषों के जीवन से गुण धारण करने का आह्वान किया  एवं राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

गायिका प्रवीणा ठक्कर, कमलेश चांदना, सुनीता अरोड़ा,जनक अरोड़ा, ईश्वर देवी, कमला हंस, विजय खुल्लर, पिंकी आर्या, कुसुम भण्डारी, सरला बजाज, वीना आर्या, कौशल्या अरोड़ा आदि ने मधुर भजन प्रस्तुत किए।

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