"समान आचार संहिता की महत्ता" पर गोष्ठी संपन्न



धनसिंह—समीक्षा न्यूज

मनुस्मृति सब मनुष्यों को समान सम्मान देती है-अतुल सहगल

समान आचार संहिता अविलंब लागू करो-राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य

गाजियाबाद। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद् के तत्त्वावधान में "समान आचार संहिता की महत्ता" पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया।यह कोरोना काल से 555 वां वेबिनार था।

वैदिक प्रवक्ता अतुल सहगल ने समान अचार संहिता की विवेचना प्रस्तुत की और यह बताया कि सृष्टि के अदिकाल में सर्वज्ञ ईश्वर ने अल्पज्ञ मनुष्यों के लिए वेद प्रकाशित किये और तत्पश्चात भगवान मनु ने वेदों में निहित धर्म के आधार पर दिव्य ग्रन्थ मनुस्मृति प्रदान की।जब मनुष्यों ने सभ्य जीवन और संस्थागत जीवन में प्रवेश किया तो उन्हें मनुस्मृति की आवश्यकता पड़ी।यही मनुस्मृति सब मनुष्यों को एक समान मानती है और इसी अवधारणा के आधार पर उनके लिए एक अचार संहिता और विधान देती है।इसी मूल अवधारणा के आधार पर समान नागरिक संहिता की आवश्यकता पड़़ती है।वक्ता ने फिर विश्व के कुछ उन देशों के नाम प्रस्तुत किये जहां समान नागरिक संहिता लागू है और यह कहा कि यह दुर्भाग्यवश भारत में लागू नहीं है।उन्होंने इस विषय के कुछ ऐतिहासिक और राजनीतिक पहलुओं को छुआ।इस बात को श्रोताओं के समक्ष रखा कि समान नागरिक संहिता पूर्णतः युक्ति संगत और न्यायोचित है।यह शुद्ध लोकतान्त्रिक विचारधारा के अनुरूप है।इस विचारधारा के मुख्य बिंदु हैं--समानता,न्याय और बंधुत्व।भारतीय संविधान के अनेक सम्बद्ध अनुच्छेदों की चर्चा की और इस बात पर संकेत दिया कि किस प्रकार इनमें से कुछ अनुच्छेद दूसरे अनुच्छेदों से विरोधाभास पर हैं।इन संवैधानिक त्रुटियों को सही करने की आवश्यकता है।वर्तमान सरकार की मंशा इस विषय पर ठीक है और यह समान नागरिक संहिता लाने का प्रयास कर रही है।हम सब राष्ट्रभक्त नागरिकों को सरकार की इस प्रस्तावना का पुरज़ोर समर्थन करना चाहिए। ऐसी संहिता देश की अखंडता और समाज के संगठन को दृढ़ करेगी।पंथ और धर्म में मौलिक अन्तर है और हमें इस अन्तर को पहचान के सरकार के सामने लाना चाहिए।इसके अनुसार संविधान में संशोधन करने की आवश्यकता पर बल दिया।  संविधान समान विधान का नाम है।ऐसा विधान जो पक्षपाती हो,संविधान ही नहीं कहलाया जा सकता। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद् के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि केन्द्र सरकार को समान आचार संहिता कानून शीघ्र लागू करना चाहिए यह देश हित में है, आर्य समाज इसका समर्थन करता है।

मुख्य अतिथि डॉ. गजराज सिंह आर्य व अध्यक्ष डॉ. कर्नल विपिन खेड़ा ने भी कानून को राष्ट्र हित में आवश्यक बताया। राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य स्वयं युनिफोर्म सिविल कोड के पक्षधर हैं,उन्होंने ने वक्ताओं का एवं श्रोताओं का धन्यवाद ज्ञापित किया। गायिका प्रवीणा ठक्कर, कमलेश चांदना, कमला हंस, ईश्वर देवी, जनक अरोड़ा, मधु खेड़ा, सुनीता अरोड़ा, विजय खुल्लर आदि के मधुर भजन हुए।

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