"श्रावण में कांवड़ यात्रा" पर गोष्ठी संपन्न



धनसिंह—समीक्षा न्यूज 

तीर्थाटन कर संस्कृति की रक्षा करें-विमलेश बंसल दर्शनाचार्या

गाजियाबाद। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद् के तत्वावधान में "श्रावण में कावड़ यात्रा" विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया।यह कोरोना काल से 564 वां वेबिनार था।

वैदिक विदुषी विमलेश बंसल दर्शनाचार्या ने कहा कि कांवड़ यात्रा को धर्म प्रचार यात्रा का रूप देना चाहिए इतनी धन जन शक्ति लगती है पर समाज को कोई लाभ नहीं मिल पाता,यदि वेद प्रचार भी जुड़ जाए तो ज्ञान वर्धन यात्रा हो सकती है इस पर विचार करने की आवश्यकता है।विभिन्न धार्मिक स्थल जो पहाड़ों़ पर स्थित हैं देश भ्रमण व अवलोकन का अवसर देते हैं इस बहाने अपनी संस्कृति से जुड़ें और प्राकृतिक सुन्दरता का अवलोकन करें।उन्होने कहा कि वस्तुत: कावड़ यात्रा राष्ट्रीय एकात्मता, सामाजिक समरसता,पृथिवी, जल और प्रकृति का संरक्षण , संवर्धन के साथ मानव के धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति के लिए श्रावण मास में एक उत्तम अवसर है।श्रावण मास के श्रुति सम्मत धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ से कोई भी व्यक्ति वंचित न रहे,यह प्रयास हम सबको करना चाहिए।

हम विशुद्ध रूप से उत्तम कावड़िए बनें,भिन्न भिन्न मंचों से भिन्न भिन्न माध्यमों से यज्ञ अध्ययन स्वाध्याय द्वारा धर्म के स्कंध को पुष्ट करें।शुद्ध ज्ञान, शुद्ध कर्म,शुद्ध उपासना की कावड़ से जीवन का कल्याण करें,

ईशावास्यमिदम् अर्थात् ईश्वर की कण कण में विद्यमानता को चारों ओर शुद्ध स्वरूप में निहारें।ओम् परमात्मा ही कल्याणकारी शिव हैं निर्माण पालन पोषण रक्षण इत्यादि कार्य उसके शिवत्व को ही दर्शाते हैं।सम्पूर्ण भारत में अलग अलग विद्यमान ज्योतिर्लिंग ईश्वर की ज्ञान ज्योति के प्रतीक मात्र दीप शिखाओं के समान हैं जो ज्ञान और अध्यात्म के माध्यम से न सिर्फ भारत को,बल्कि सम्पूर्ण विश्व को आलोकित कर रहे हैं।ऋग्वेद में एक मंत्र आता है उपहवरे गिरीनाम संगमे च नदीनां धिया विप्रो अजायत,,, अर्थात् नदियों के पवित्र संगम पर और पर्वतों की चोटियों पर मेधावी विप्र बन जाते हैं ऐसी पवित्र भूमि पर जो ऋषियों ज्ञानियों ध्यानियों की तपस्थली है वहां जाना,ध्यान उपासना आदि करना,सेवा देना आदि सौभाग्य की बात है।

इसलिए तीर्थाटन करके हमें संगठन में चलकर उस आध्यात्मिक ऊर्जा को सपरिवार ससमाज अवश्य ग्रहण करना चाहिए तभी मानव कल्याण,इस दौरान विध्वंसकारी उपद्रवी तत्वों का डटकर प्रतिकार कर अपनी संस्कृति की रक्षा करनी चाहिए।

मुख्य अतिथि आर्य नेत्री प्रोमिला गुप्ता व राजश्री यादव ने अपनी नई पीढ़ी को भारतीय संस्कृति से जोड़ने का आह्वान किया।

केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि यह पर्व हमारी संस्कृति को मजबूत बनाया करते हैं।राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

गायिका प्रवीणा ठक्कर, रविन्द्र गुप्ता,जनक अरोड़ा, किरण सहगल, आदर्श सहगल, गीता शर्मा आदि के मधुर भजन प्रस्तुत किए।

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